विधानसभा में लाल डायरी लहराने वाले राजेंद्र गुढ़ा शिवसेना में शामिल
नई दिल्ली। राजस्थान में राजेंद्र गुढ़ा ने कांग्रेस का हाथ छोडक़र शिवसेना (एकनाथ शिंदे गुट) का दामन थाम लिया है। गुढ़ा विधानसभा में लाल डायरी दिखाकर चर्चाओं में आए थे, हालांकि उन्हें इस घटना के बाद मंत्री पद से बर्खास्त कर दिया था। वहीं, एकनाथ शिंदे ने कहा कि महाराष्ट्र और राजस्थान की धरोहर का मिलन हुआ है। सीएम शिंदे ने उन्हें शपथ दिलाई। बता दें कि राजस्थान सरकार की कैबिनेट से बर्खास्त होने के बाद राजेंद्र गुढ़ा 24 जुलाई को एक लाल डायरी लेकर विधानसभा पहुंचे थे। दावा किया था कि डायरी में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ आरोपों की पूरी लिस्ट है। हालांकि, उन्हें उस दिन सदन से बाहर कर दिया गया था। गुढ़ा ने कहा था कि कांग्रेस के मंत्रियों और विधायकों ने उनसे वो डायरी छीन ली। ये भी कहा था कि उनके पास डायरी का दूसरा हिस्सा भी है।
राजेंद्र गुढ़ा को उनके एक बयान के बाद मंत्री पद से बर्खास्त कर दिया गया था। कांग्रेस 21 जुलाई को विभानसभा में क्चछ्वक्क से मणिपुर की घटना पर सवाल कर रही थी। उसी समय राजेंद्र गुढ़ा ने कहा था कि ये सच्चाई है कि हम महिलाओं की सुरक्षा में असफल हो गए। राजस्थान में जिस तरह से महिलाओं पर अत्याचार बढ़े हैं, हमें मणिपुर की जगह अपने राज्य की स्थिति देखनी चाहिए।
इसके बाद गुढ़ा ने राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत पर लगातार निशाना साधा। उन्होंने झुंझनूं में कहा था कि मुख्यमंत्री पैरों में पट्टी बांधकर बैठे हुए हैं। गृह विभाग यदि काबिल व्यक्ति के पास होता तो काम होता। बहन-बेटियों के अत्याचार में राजस्थान देश में नंबर वन है और ये राजेंद्र गुढ़ा नहीं, बल्कि अपराध के आंकड़े बोल रहे हैं। इससे पहले उन्होंने कहा था कि पुलिस मंथली ले रही है, सरेआम दारू बिक रही हैं और सारी शराब अवैध है। पुलिस शराब के रूट एस्कॉर्ट करती है।चालान काटने के पैसे, एफआईआर करने के पैसे।।। हर जगह पैसे ले रहे हैं।।कीड़े पड़ेंगे।
राजस्थान के झुंझुनू जिले के उदयपुरवाटी से विधायक राजेंद्र, गुढ़ा गांव के रहने वाले हैं। राजेंद्र ने अपने नाम के साथ गांव का नाम भी जोड़ लिया और इस तरह उनका नाम हो गया राजेंद्र गुढ़ा। राजेंद्र गुढ़ा 2018 के चुनाव में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के टिकट पर दूसरी बार विधायक निर्वाचित हुए थे। राजेंद्र गुढ़ा उन नेताओं में शामिल थे जो 2020 में सचिन पायलट जब अपने समर्थक विधायकों के साथ हरियाणा के मानेसर चले गए थे, तब सीएम गहलोत के साथ डटकर खड़े थे।