तीन तलाक कानून से मामलों में आई कमी
केरल के राज्यपाल का दावा- 96 फीसदी कम हुईं तलाक की घटनाएं
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। केंद्र सरकार द्वारा तीन तलाक को बैन करने और दंडनीय अपराध बनाने पर केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने एक बड़ा दावा किया है। केरल के गवर्नर ने कहा कि 2019 में तीन तलाक को दंडनीय अपराध बनाए जाने के बाद से मुसलमानों में इसकी दर में 96 फीसदी की कमी आई है और इससे महिलाओं व बच्चों को फायदा हुआ है।
समान नागरिक संहिता पर एक सेमिनार को संबोधित करते हुए उन्होंने यह भी पूछा कि क्या यह अजीब नहीं है कि जब कोई न्याय मांगता है तो पहले धर्म का जिक्र करना पड़ता है। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड द्वारा यूसीसी पर अपनी आपत्तियां विधि आयोग को भेजे जाने पर आरिफ मोहम्मद ने कहा कि हर किसी को अपनी राय व्यक्त करने का अधिकार है। उन्होंने कहा कि विधि आयोग ने सुझाव मांगे हैं और मुझे पूरी उम्मीद है कि जो भी सुझाव आएंगे, उन पर विधि आयोग और सरकार पूरा ध्यान देगी। यूसीसी विवाह, तलाक और विरासत पर कानूनों के एक सामान्य सेट को संदर्भित करता है जो धर्म, जनजाति या अन्य स्थानीय रीति-रिवाजों के बावजूद सभी भारतीय नागरिकों पर लागू होगा।
तीन तलाक से बर्बाद हो जाता था महिलाओं का भविष्य
राज्यपाल ने 1980 के दशक के शाह बानो मामले का भी जिक्र किया। उन्होंने मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) अधिनियम 2019 की प्रशंसा की, जो मुसलमानों में तीन तलाक के माध्यम से तत्काल तलाक की प्रथा को दंडनीय अपराध बनाता है, जिसमें तीन साल तक की कैद का प्रावधान है। उन्होंने बताया कि कैसे 2017 में सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले के बाद से दो साल लग गए। शीर्ष अदालत ने 3:2 के बहुमत से फैसला सुनाया था कि मुस्लिमों में तीन तलाक की प्रथा ‘अमान्य’, ‘अवैध’ और ‘असंवैधानिक’ है। खान ने कहा कि क्या आप जानते हैं कि फैसले के बाद तीन तलाक एक दिन भी नहीं रुका। उन्होंने कहा कि तलाक पर प्रतिबंध नहीं लगाया गया है, और इसे प्रतिबंधित नहीं किया जा सकता है, तीन तलाक पर प्रतिबंध लगा दिया गया है, और इसे दंडनीय अपराध बनाने का परिणाम यह है कि मुस्लिम समुदाय में तलाक की दर में 96 फीसदी की कमी आई है और इससे न केवल महिलाओं को फायदा हुआ, बल्कि उन बच्चों को भी फायदा हुआ जिनका भविष्य पहले तलाक के कारण बर्बाद हो जाता था।