सरदार सरोवर विवाद: 7,669 करोड़ पर महायुद्ध, MP ने गुजरात को गजब धोया!

सरदार सरोवर बांध के मुआवजे को लेकर मध्यप्रदेश और गुजरात सरकार झगड़ रही हैं... मध्यप्रदेश 7,669 करोड़ रुपए गुजरात से मांग रहा है...

4पीएम न्यूज नेटवर्कः सरदार सरोवर बांध नर्मदा नदी पर बना भारत का दूसरा सबसे बड़ा बांध है….. जो लंबे समय से विवादों के केंद्र में रहा है……. यह बांध गुजरात के नवगाम के पास स्थित है…… और नर्मदा घाटी विकास परियोजना का हिस्सा है…… इसका उद्देश्य गुजरात, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र…… और राजस्थान जैसे राज्यों को सिंचाई, पेयजल और बिजली प्रदान करना है……. हालांकि इस परियोजना ने कई सामाजिक, पर्यावरणीय…… और आर्थिक मुद्दों को जन्म दिया है……. जिनमें सबसे प्रमुख है मुआवजे और पुनर्वास का विवाद……. हाल ही में मध्यप्रदेश और गुजरात सरकारों के बीच मुआवजे को लेकर तनाव बढ़ गया है…… मध्यप्रदेश सरकार ने गुजरात से 7,669 करोड़ रुपये की मांग की है…….. जबकि गुजरात केवल 281 करोड़ रुपये देने पर विचार कर रहा है…….. इस विवाद का सबसे बड़ा खामियाजा उन लोगों को भुगतना पड़ रहा है…….. जो डूब क्षेत्र में रहते हैं और पुनर्वास की प्रतीक्षा कर रहे हैं…….

आपको बता दें कि सरदार सरोवर बांध की आधारशिला 5 अप्रैल 1961 को भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने रखी थी……. यह बांध नर्मदा नदी पर बनाया गया है…….. जो भारत की पश्चिमी दिशा में बहने वाली सबसे लंबी नदी है……. इस परियोजना का निर्माण 1987 में शुरू हुआ……. लेकिन तमाम विवादों और विरोधों के कारण इसे पूरा होने में 56 साल लग गए…….. और 17 सितंबर 2017 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसका उद्घाटन किया…….

बता दें कि इस बांध की ऊंचाई 138.68 मीटर और लंबाई 1.2 किलोमीटर है……. यह विश्व का दूसरा सबसे बड़ा कंक्रीट गुरुत्वीय बांध है……. जो न केवल बिजली उत्पादन करता है….. बल्कि गुजरात और राजस्थान के सूखाग्रस्त क्षेत्रों में सिंचाई और पेयजल की आपूर्ति भी करता है…… वहीं इस परियोजना के तहत गुजरात में 8,00,000 हेक्टेयर और राजस्थान में 2,46,000 हेक्टेयर भूमि को सिंचाई सुविधा मिलती है…… यह बांध चार राज्यों गुजरात, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र और राजस्थान के 131 शहरों…… और 9,633 गांवों को पेयजल प्रदान करता है…… बांध से उत्पन्न बिजली का 57 फीसदी महाराष्ट्र, 27 फीसदी मध्यप्रदेश और 16 फीसदी गुजरात को मिलता है…….

इसके अलावा 532 किलोमीटर लंबी नर्मदा नहर इस बांध से निकलती है…… जो दुनिया की सबसे बड़ी नहरों में से एक है……. यह नहर 1.9 मिलियन हेक्टेयर कृषि क्षेत्र को सिंचाई सुविधा प्रदान करती है…… हालांकि इस परियोजना की लागत अनुमानित 100 करोड़ रुपये से बढ़कर 16,000 करोड़ रुपये तक पहुंच गई……. और इसके पर्यावरणीय और सामाजिक प्रभावों ने इसे विवादों का केंद्र बना दिया…….

हाल के समाचारों के अनुसार मध्यप्रदेश और गुजरात सरकारों के बीच मुआवजे को लेकर गंभीर विवाद चल रहा है…….. मध्यप्रदेश सरकार ने गुजरात से 7,669 करोड़ रुपये की मांग की है……. जो डूब क्षेत्र में प्रभावित लोगों के पुनर्वास और अन्य खर्चों के लिए है……. दूसरी ओर गुजरात सरकार केवल 281 करोड़ रुपये देने को तैयार है……. मध्यप्रदेश ने गुजरात के रवैये को गुमराह करने वाला और झूठा करार दिया है……. बता दें कि इस विवाद का असर मध्यप्रदेश के उन लोगों पर पड़ रहा है……. जो डूब क्षेत्र में रहते हैं और पुनर्वास की प्रतीक्षा कर रहे हैं……

नर्मदा वाटर डिस्प्यूट ट्रिब्यूनल के फैसले के अनुसार गुजरात को डूब क्षेत्र में प्रभावित लोगों के पुनर्वास का पूरा खर्च वहन करना है……. इसमें वन भूमि, शासकीय भूमि और अन्य पुनर्वास लागत शामिल हैं……… मध्यप्रदेश का कहना है कि गुजरात इस जिम्मेदारी से पीछे हट रहा है…….. मध्यप्रदेश ने दावा किया है कि डूब क्षेत्र का आकलन सही नहीं किया गया है……. गुजरात के सरदार सरोवर नर्मदा निगम लिमिटेड के चीफ इंजीनियर मध्यप्रदेश के डूब क्षेत्र के दावों की जांच कर रहे हैं…….. इस जांच में यह देखा जा रहा है कि मध्यप्रदेश द्वारा प्रस्तुत डूब क्षेत्र का दावा सही है या नहीं………

नर्मदा बचाओ आंदोलन की नेता मेधा पाटकर के अनुसार करीब 10,000 लोग अभी भी पूर्ण पुनर्वास की प्रतीक्षा कर रहे हैं……… अधिकारियों द्वारा बार-बार फंड की कमी का हवाला दिया जाता है…….. जिसके कारण पुनर्वास का काम रुका हुआ है…… मध्यप्रदेश का एक पुराना मुआवजा दावा था…… जिसे 2022 में संशोधित किया गया……. इस संशोधित दावे पर अभी सहमति नहीं बनी है……. गुजरात का कहना है कि मध्यप्रदेश के दावों की वैधता की जांच की जा रही है…..

जिसको लेकर मध्यप्रदेश सरकार का कहना है कि सरदार सरोवर बांध के कारण उनके राज्य के कई गांव…… और हजारों लोग प्रभावित हुए हैं……. बांध की ऊंचाई बढ़ाने और जलाशय को भरने के फैसले से डूब क्षेत्र में रहने वाले लोगों का जीवन……. और आजीविका खतरे में पड़ गई है……. मध्यप्रदेश ने गुजरात पर तमाम गंभीर आरोप लगाए हैं….. जिसमें मध्यप्रदेश का दावा है कि गुजरात NWDT के फैसले का पालन नहीं कर रहा……. जिसमें पुनर्वास का खर्च गुजरात को वहन करना है…….

जिसको लेकर गुजरात का कहना है कि वे मध्यप्रदेश के दावों की जांच कर रहे हैं……. और डूब क्षेत्र के आंकड़ों की सत्यता पर सवाल उठा रहे हैं……. गुजरात के अधिकारियों का दावा है कि मध्यप्रदेश द्वारा मांगी गई राशि बहुत है….. और वे केवल 281 करोड़ रुपये के मुआवजे को उचित मानते हैं……. गुजरात के सरदार सरोवर नर्मदा निगम लिमिटेड के चीफ इंजीनियर ने कहा कि मध्यप्रदेश के दावों की वैधता की जांच के बाद ही अंतिम राशि तय की जाएगी…..

सरदार सरोवर बांध के कारण मध्यप्रदेश के 192 गांव और लगभग 40,000 परिवार प्रभावित हुए हैं…….. नर्मदा बचाओ आंदोलन के अनुसार 245 गांवों की करीब 2.5 लाख आबादी इस परियोजना से प्रभावित हुई है…….. जिनमें ज्यादातर आदिवासी और प्राकृतिक संसाधनों पर निर्भर समुदाय हैं….. पुनर्वास स्थलों पर बुनियादी सुविधाओं जैसे पानी, बिजली, स्कूल और अस्पतालों की कमी है……. कई परिवारों को उनकी मूल भूमि से दूर बसाया गया…… जिससे उनकी आजीविका प्रभावित हुई…… सुप्रीम कोर्ट और NWDT के निर्देशों के बावजूद पुनर्वास की प्रक्रिया धीमी है…… वहीं बांध के कारण नर्मदा नदी का प्राकृतिक प्रवाह बाधित हुआ……. जिससे निचले क्षेत्रों में पर्यावरण और कृषि को नुकसान पहुंचा…….

आपको बता दें कि नर्मदा बचाओ आंदोलन का नेतृत्व मेधा पाटकर कर रही हैं…… उन्होंने बांध के सामाजिक और पर्यावरणीय प्रभावों के खिलाफ लंबी लड़ाई लड़ी है…….. आंदोलन ने पुनर्वास और मुआवजे की मांग को बार-बार उठाया है……. मेधा पाटकर का कहना है कि गुजरात सरकार NWDT के फैसले का उल्लंघन कर रही है……. और प्रभावित लोगों के अधिकारों की अनदेखी कर रही है…….

वहीं इस विवाद को सुलझाने के लिए जुलाई के अंत में गुजरात के केवड़िया में दोनों राज्यों के मध्यस्थों की बैठक होने वाली है…….. इस बैठक में मुआवजे और पुनर्वास से जुड़े मुद्दों पर चर्चा होगी……. दैनिक भास्कर ने दोनों राज्यों के बीच हुए पत्राचार……. और दस्तावेजों की पड़ताल की…….. जिसमें यह सामने आया कि मध्यप्रदेश और गुजरात के बीच समन्वय की कमी एक बड़ा मुद्दा है…… वहीं सुप्रीम कोर्ट ने भी इस मामले में हस्तक्षेप किया है…….. 2019 में कोर्ट ने चार राज्यों और केंद्र सरकार को जलस्तर……. और पुनर्वास के मुद्दों पर त्वरित चर्चा करने का आदेश दिया था……. 2023 में कोर्ट ने केंद्र से यह पूछा कि क्या नर्मदा नदी के निचले क्षेत्रों में पर्याप्त पानी छोड़ा जा रहा है……

आपको बता दें कि इस विवाद का सबसे ज्यादा असर मध्यप्रदेश के डूब क्षेत्र के लोगों पर पड़ रहा है…….. नर्मदा बचाओ आंदोलन के अनुसार करीब 10,000 लोग अभी भी पुनर्वास का इंतजार कर रहे हैं…….. कई परिवारों को बिना उचित मुआवजे…….. और सुविधाओं के नए स्थानों पर बसाया गया है……. बांध के जलस्तर बढ़ने से 76 गांवों को डूबने का खतरा है…….. जिससे लोगों में डर और अनिश्चितता का माहौल है…….

सरदार सरोवर बांध एक महत्वपूर्ण परियोजना है…….. जिसने लाखों लोगों को पानी और बिजली प्रदान की है…….. लेकिन इसके साथ ही यह कई सामाजिक और पर्यावरणीय चुनौतियों का कारण भी बना है……. मध्यप्रदेश और गुजरात के बीच मुआवजे का विवाद इस परियोजना की सबसे बड़ी कमजोरियों में से एक है……. मध्यप्रदेश की 7,669 करोड़ रुपये की मांग…….. और गुजरात की 281 करोड़ रुपये की पेशकश के बीच का अंतर इस विवाद को और गभींर बना दिया है…….. इस मुद्दे का हल निकालने के लिए दोनों राज्यों को पारदर्शी…… और जवाबदेह तरीके से काम करना होगा…… साथ ही केंद्र सरकार और सुप्रीम कोर्ट की भूमिका भी महत्वपूर्ण होगी…….

 

Related Articles

Back to top button