एसबीआई को लगी सुप्रीम फटकार हर हाल में कल तक दें हिसाब
चुनावी बॉन्ड मामले में सुनवाई समयसीमा बढ़ाने से किया इनकार, शीर्ष अदालत बोली- 26 दिन में क्या किया
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। चुनावी बॉन्ड मामले में सुप्रीम कोर्ट ने एसबीआई को फटकार लगाई है। सीजेआई ने बैंक से कहा कि हमने आपको डेटा मिलान के लिए नहीं कहा था, आप आदेश का पालन कीजिए, जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा कि आपको सिर्फ डेटा सील कवर से निकालना है और भेजना है। साथ ही कोर्ट ने कहा कि आदेश न पूरा होने पर अवमानना का केस दर्ज होगा। सीजेआई ने एबीआई से पूछा कि आपने पिछले 26 दिनों में क्या काम किया, कितना डेटा मिलान किया, सीजेआई ने ये भी कहा कि मिलान के लिए समय मांगना सही नहीं है, हमने आपको ऐसा करने का निर्देश नहीं दिया है, आखिरकार सारा ब्यौरा मुंबई मुख्य शाखा में भेजा जा चुका है, आपने अर्जी में कहा है कि एक साइलो से दूसरे साइलो में जानकारी का मिलान समय लेने वाली प्रक्रिया।
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया द्वारा चुनावी बॉन्ड की जानकारी देने के लिए 30 जून तक की मोहलत की मांग वाली अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट में एडीआर व एसबीआई के खिलाफ अवमानना का मामला चलाने की याचिका पर भी सुनवाई हुई।
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बीआर गवई, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पांच जजों की बेंच में सुनवाई हुई।
‘कल तक ब्यौरा दें, 15 मार्च तक चुनाव आयोग प्रकाशित करे’
चुनावी बॉन्ड मामले में सुप्रीम कोर्ट ने एसबीआई की याचिका खारिज करते हुए 12 मार्च तक ब्योरा देने के निर्देश दिए हैं। साथ ही ईसी (चुनाव आयोग) को 15 मार्च तक ये ब्योरा पब्लिश करने के निर्देश दिए गए हैं। सीजेआई ने कहा कि हमने आपको डेटा मिलान के लिए नहीं कहा था, आप आदेश का पालन कीजिए। सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने एसबीआई के वकील से कहा कि आप कहते हैं कि दाता का विवरण एक निर्दिष्ट शाखा में एक सीलबंद लिफाफे में रखा गया था। सभी सीलबंद लिफाफे मुंबई में मुख्य शाखा में जमा किए गए थे। दूसरी ओर राजनीतिक दल 29 अधिकृत बैंकों से पैसा भुना सकते हैं। वकील हरीश साल्वे ने दलील दी कि इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदने की तारीख और खरीदने वाले का नाम एक साथ उपलब्ध नहीं है, उसे कोड किया गया है, उसे डिकोड करने में समय लगेगा।
हमें और वक्तचाहिए था : साल्वे
हरीश साल्वे ने एसबीआई की ओर से दलील दी कि हमें और वक्त चाहिए, साल्वे ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक एसबीआई को अप्रैल 2019 से अब तक का ब्योरा चुनाव आयोग को देना है। हमारी एकमात्र समस्या यह है कि हम पूरी प्रक्रिया को उलटने की कोशिश कर रहे हैं। हमारी एसओपी ने सुनिश्चित किया कि हमारे कोर बैंकिंग सिस्टम और बांड नंबर में खरीदार का कोई नाम नहीं था। हमें बताया गया कि इसे गुप्त रखा जाना चाहिए. हम जानकारी एकत्र करने की कोशिश कर रहे हैं।
जांचने की जरूरत है, क्या एसबीआई की मांग उचित : कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट में एसबीआई ने समय सीमा समाप्त होने से 2 दिन पहले इस अदालत के समक्ष एक आवेदन दायर किया, जिसमें 30 जून तक विस्तार की मांग की गई। इस बात का विश्लेषण किया जाना चाहिए कि क्या एसबीआई का समय विस्तार की मांग करना उचित है। एसबीआई इस आधार पर समय विस्तार चाहता है कि चुनावी बॉन्ड को डिकोड करने और दानकर्ताओं को दान से मिलाने की प्रक्रिया एक जटिल और समय लेने वाली प्रक्रिया है, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमें यह जांचने की जरूरत है कि क्या एसबीआई द्वारा की गई मांग उचित है? इसमें कहा गया है कि जहां तक बॉन्ड की बिक्री और भुनाने का सवाल है, जानकारी डिजिटल प्रारूप में उपलब्ध नहीं है, इसके अलावा कोई केंद्रीय डेटाबेस भी नहीं है, दाता विवरण, प्राप्तकर्ता विवरण दो अलग साइलो में उपलब्ध हैं, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 12 अप्रैल 2019 से 15 फरवरी 2024 तक 22217 बॉन्ड खरीदे गए. एसबीआई की दलील का सार यह है कि किस राजनीतिक दल को किसने योगदान दिया, यह पता लगाने के लिए जानकारी का मिलान एक समय लेने वाली प्रक्रिया है।
बकाया आयकर मामले में हाईकोर्ट पहुंची कांग्रेस
नई दिल्ली। कांग्रेस ने 105 करोड़ रुपये से अधिक के बकाया कर की वसूली के लिए आयकर विभाक की ओर से जारी नोटिस पर रोक लगाने के लिए दिल्ली उच्च न्यायालय का रुख किया है। इससे पहले शुक्रवार को आयकर अपीलीय न्यायाधिकरण (आईटीएटी) ने उनके बैंक खातों की वसूली और फ्रीज करने की आयकर विभाग की कार्यवाही के खिलाफ स्थगन याचिका खारिज कर दी थी। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक तन्खा ने मामले का उल्लेख किया। अदालत ने आज ही मामले की सुनवाई की अनुमति दे दी है। वरिष्ठ अधिवक्ता विवेक तन्खा ने कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की पीठ के समक्ष यह याचिका पेश की। पिछले सप्ताह, आयकर अपीलीय अधिकरण ने विगत वर्षों के टैक्स रिटर्न में विसंगतियों के लिए जुर्माना लगाने के खिलाफ कांग्रेस पार्टी की अपील को खारिज कर दिया था। पार्टी ने पहले कहा था कि कांग्रेस के कोष पर रोक लगाने का अधिकरण का आदेश ‘लोकतंत्र पर हमला’ है क्योंकि यह लोकसभा चुनाव से ठीक पहले आया है। इससे पहले अधिकरण (आईटीएटी) ने यहां आयकर विभाग द्वारा 210 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाए जाने के खिलाफ कांग्रेस की अपील खारिज कर दी थी।