हिरासत में मौत के मामले में SC ने CBI को लगाई फटकार, कहा- ऐसे नहीं चलेगा
कोर्ट ने कहा कि ऐसे नहीं चल सकता. आदेश के बावजूद कार्रवाई नहीं की जा रही है. इस मामले में अगली सुनवाई25 सितंबर को होगी.

4पीएम न्यूज नेटवर्कः मध्यप्रदेश में 26 साल के शख्स की हिरासत में मौत मामले में जिम्मेदार दो पुलिस अधिकारियों को गिरफ्तार न करने पर सुप्रीम कोर्ट ने CBI को फटकार लगाई. कोर्ट ने कहा कि ऐसे नहीं चल सकता. आदेश के बावजूद कार्रवाई नहीं की जा रही है. इस मामले में अगली सुनवाई25 सितंबर को होगी.
सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (23 सितंबर) को मध्यप्रदेश में 26 साल के शख्स की हिरासत में मौत के लिए जिम्मेदार दो पुलिस अधिकारियों को गिरफ्तार करने में विफल रहने के लिए केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को फटकार लगाई. शख्स का नाम देवा पारधी था. जिसकी मौत पुलिस हिरासत में हुई थी.
जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस आर.महादेवन की बेंच ने पारधी की मां द्वारा दायर अवमानना याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें घटना के लिए जिम्मेदार पुलिस अधिकारियों को एक महीने के भीतर गिरफ्तार करने के 15 मई, 2025 के आदेश के उल्लंघन का आरोप लगाया गया था.
सुनवाई के दौरान जस्टिस बीवी नागरत्ना ने नाराजगी जाहिर करते हुए कहा ‘ये ऐसे नहीं चल सकता. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद आप कार्रवाई नहीं कर पा रहे हैं, फिर क्या फायदा?. आप लाचारी का बहाना बना रहे हैं, वो फरार हैं. आप उसे ढूंढ नहीं पा रहे हैं, कृपया लाचारी का बहाना न बनाएं’.
उन्होंने कहा कि अगर गंगाराम पारधी के साथ कोई अनहोनी होती है और हिरासत में दूसरी बार कोई घटना होती है, तो हम आपको नहीं छोड़ेंगे. कृपया उनकी न्यायिक हिरासत की निगरानी कर रहे जेल अधिकारियों को सूचित करें. हिरासत में दूसरी मौत नहीं हो सकती, अन्यथा हम इसे गंभीरता से लेंगे. कोर्ट ने आगे कहा कि अगर एकमात्र गवाह के साथ कोई अप्रिय घटना घटती है तो हम आपको नहीं छोड़ेंगे.
सुनवाई के दौरान बेंच सीबीआई से पूछा कि दोनों अधिकारियों को गिरफ्तार क्यों नहीं किया गया. जस्टिस नागरत्ना ने कहा ‘फरार होने का मतलब है बचाना. यही मतलब आप कहना चाहते हैं’. उन्होंने यह भी बताया कि सीबीआई दूसरे मामलों में कुछ ही सेकंड या मिनटों में छापा मारकर गिरफ़्तार कर लेती है लेकिन अपने ही लोगो को गिरफ़्तार नहीं कर पाती.
क्या है मामला
दरअसल यह मामला चोरी के एक मामले में गिरफ्तारी के बाद देवा पारधी की मौत से जुड़ा है, जबकि उसके चाचा गंगाराम पारधी अभी भी हिरासत में हैं. देवा पारधी की मां ने आरोप लगाया है कि पुलिस ने उनके बेटे को प्रताड़ित किया और उसकी हत्या कर दी. हालांकि मध्य प्रदेश पुलिस का दावा है कि देवा की मौत दिल का दौरा पड़ने से हुई.
15 मई, 2025 को सुप्रीम कोर्ट ने यह पाते हुए कि स्थानीय पुलिस पारधी की मौत की जांच को प्रभावित करने और मामले को दबाने का प्रयास कर रही है, जांच मध्य प्रदेश पुलिस से सीबीआई को स्थानांतरित कर दी. कोर्ट ने निर्देश दिया कि पारधी की मौत के लिए जिम्मेदार अधिकारियों को एक महीने के भीतर गिरफ्तार किया जाए और सीबीआई गिरफ्तारी के 90 दिनों के भीतर जांच पूरी करे. कोर्ट ने एकमात्र चश्मदीद गवाह गंगाराम पारधी को खतरे का भी ज़िक्र किया और राज्य सरकार को उसे सुरक्षा प्रदान करने का निर्देश दिया.
सीबीआई ने कोर्ट में क्या कहा
आज की सुनवाई के दौरान, बेंच ने दो अधिकारियों, संजीव सिंह मालवीय और उत्तम सिंह कुशवाहा को गिरफ्तार करने में सीबीआई की असमर्थता पर बार-बार सवाल उठाया, जो सीबीआई के अनुसार अप्रैल 2025 से फरार हैं. सीबीआई ने कोर्ट को बताया कि 15 सितंबर को आरोपपत्र दाखिल कर दिया गया है और तीन अधिकारियों को गिरफ्तार कर लिया गया है, लेकिन दो अधिकारी अभी भी फरार हैं. सीबीआई की ओर से पेश हुए वकील ने कहा कि फरार अधिकारियों के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किए गए हैं, उन्हें भगोड़ा घोषित किया गया है और उनकी संपत्ति कुर्क करने के लिए आवेदन दायर किए गए हैं. वकील ने आगे कहा कि छापेमारी और डिजिटल निगरानी की गई है, लेकिन अधिकारी अभी भी फरार हैं.
हालांकि, बेंच इस बात से सहमत नहीं थी कि सीबीआई दोनों अधिकारियों का पता नहीं लगा सकी. जस्टिस बीवी नागरत्ना ने टिप्पणी की ‘आप जानते हैं कि वे कहा हैं. आप उन्हें बचा रहे हैं’. जस्टिस महादेवन ने स्थिति को बहुत दुर्भाग्यपूर्ण बताया. सीबीआई के वकील ने इस पर आपत्ति जताते हुए कहा कि दोनों अधिकारी सीबीआई द्वारा मामला अपने हाथ में लेने से बहुत पहले से फरार थे.
याचिकाकर्ता के वकील ने कोर्ट को बताया कि एकमात्र चश्मदीद गवाह गंगाराम पारधी को हिरासत में उत्पीड़न और हमलों का सामना करना पड़ा है. उन्होंने कहा कि देवा पारधी की हिरासत में हुई मौत की एफआईआर दर्ज होने के बाद, पुलिस ने गंगाराम को हिरासत में रखने और उसे डराने-धमकाने के लिए उसके खिलाफ कई मामले दर्ज किए. उन्होंने बताया कि हिरासत में हुई मौत के लिए ज़िम्मेदार एक पुलिस अधिकारी ने ग्वालियर में अग्रिम ज़मानत याचिका दायर की है, लेकिन अभी तक उसे गिरफ़्तार नहीं किया गया है. उन्होंने कोर्ट को बताया कि सीबीआई ने याचिकाकर्ता पर अवमानना याचिका वापस लेने का दबाव बनाया था.
दोनों अधिकारियों को गिरफ्तार न करने के सीबीआई के स्पष्टीकरण से असहमत होते हुए जस्टिस नागरत्ना ने कहा कि अदालत मुख्य सचिव और सीबीआई निदेशक एवं जांच के लिए जिम्मेदार अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक के खिलाफ अवमानना के आरोप तय करेगी, हालांकि कोर्ट ने सीबीआई को दोनों अधिकारियों का पता लगाने और उन्हें गिरफ्तार करने के लिए उठाए गए कदमों का विवरण देते हुए एक स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया. जांच के लिए ज़िम्मेदार अधिकारियों को गुरुवार तक हलफनामा दाखिल करना है, और मामले की अगली सुनवाई 25 सितंबर को निर्धारित की गई है.
जस्टिस नागरत्ना ने कहा कि यदि अगले दो दिनों के भीतर गिरफ्तारियां कर ली गईं तो अवमानना की कार्यवाही समाप्त की जा सकती है. चश्मदीद गवाह की सुरक्षा के बारे में कोर्ट ने याचिकाकर्ता के वकील को सुरक्षा के लिए हाई कोर्ट जाने का सुझाव दिया, लेकिन सीबीआई को चेतावनी दी कि अगर उसे कुछ हुआ तो वह इसे गंभीरता से लेगी. जस्टिस आर महादेवन ने सीबीआई के वकील से कहा, ‘आप जेल अधिकारियों को भी सूचित करें कि चश्मदीद गवाह को कुछ भी नहीं होना चाहिए, यहां तक कि एक खरोंच भी नहीं’



