जम्मू-कश्मीर में दूसरे चरण का मतदान जारी, पोलिंग बूथों पर लगीं मतदाताओं की लंबी कतारें

नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण की 26 सीट के लिए बुधवार सुबह सात बजे से मतदान शुरू हो गया। खास बात यह है कि मतदान की निगरानी के लिए संयुक्त राष्ट्र समेत 16 देशों के दूत भी जम्मू-कश्मीर आये हुए हैं। हम आपको बता दें कि दूसरे चरण के 26 निर्वाचन क्षेत्रों पर हो रहे चुनाव में पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला सहित कुल 239 उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं। वहीं, 25 लाख से अधिक मतदाता अपने मताधिकार का इस्तेमाल करेंगे। हम आपको बता दें कि दूसरे चरण के चुनाव में जम्मू के तीन और कश्मीर के भी तीन जिलों के निर्वाचन क्षेत्रों में मतदान कराया जा रहा है। निर्वाचन आयोग ने इन क्षेत्रों में 3,502 मतदान केंद्र स्थापित किए हैं। इनमें शहरी क्षेत्रों में 1,056 मतदान केंद्र जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में 2,446 मतदान केंद्र स्थापित किए गए हैं। मतदान केंद्रों के आसपास पुलिस, सशस्त्र पुलिस और केंद्रीय सशस्त्र अद्र्धसैनिक बलों सहित सुरक्षाकर्मियों को तैनात किया गया है। भयमुक्त माहौल में चुनाव कराने के लिए मतदान केंद्र के आसपास बहुस्तरीय सुरक्षा व्यवस्था की गई है। हम आपको बता दें कि जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण में श्रीनगर के 93, बडगाम से 46, राजौरी से 34, पुंछ से 25, गांदरबल से 21 और रियासी से 20 उम्मीदवार चुनाव लड़ रहे हैं।
आज मतदाता जिन दिग्गजों का राजनीतिक भाग्य ईवीएम में कैद करेंगे उनमें पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला, जम्मू-कश्मीर कांग्रेस कमेटी (जेकेपीसीसी) के अध्यक्ष तारिक हामिद कर्रा और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता रवींद्र रैना प्रमुख हैं। उमर अब्दुल्ला गांदेरबल और बडगाम दो सीट से चुनाव लड़ रहे हैं जबकि कर्रा सेंट्रल शाल्टेंग से अपनी किस्मत आजमा रहे हैं। रवींद्र रैना राजौरी जिले के नौशेरा का प्रतिनिधित्व फिर से हासिल करने की कोशिश कर रहे हैं जहां से वह 2014 में विजयी हुए थे। दूसरे चरण में जेल में बंद अलगाववादी नेता सर्जन अहमद वागे उर्फ बरकती पर भी नजर रहेगी जो इंजीनियर रशीद द्वारा लोकसभा में दर्ज की गई जीत की परिपाटी को दोहराने की उम्मीद कर रहे हैं। रशीद ने नेशनल कांफ्रेस उम्मीदवार को हराया था। बरकती दो सीट बीरवाह और गांदेरबल से चुनाव लड़ रहे हैं।
हम आपको याद दिला दें कि रशीद इंजीनियर के नाम से चर्चित शेख अब्दुल रशीद ने इस साल की शुरुआत में तिहाड़ जेल से रहते हुए बारमूला सीट से संसदीय चुनाव लड़ा था और अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी नेशनल कांफ्रेंस नेता उमर अब्दुल्ला को दो लाख से अधिक मतों से हराया था। इस चरण में और जिन अन्य प्रमुख उम्मीदवारों की किस्मत दांव पर है, उनमें अपनी पार्टी के अध्यक्ष अल्ताफ बुखारी (चन्नापोरा), पूर्व मंत्री अली मोहम्मद सागर (खानयार), अब्दुल रहीम राथर (चरार-ए-शरीफ), चौधरी जुल्फिकार अली (बुधल) और सैयद मुश्ताक बुखारी (सूरनकोट) शामिल हैं। चौधरी जुल्फिकार अली और सैयद मुश्ताक बुखारी इस बार भाजपा के टिकट पर किस्मत आजमा रहे हैं।
हम आपको याद दिला दें कि जम्मू-कश्मीर विधानसभा के लिए 18 सितंबर को हुए पहले चरण के मतदान के दौरान अनुमानत: 61.38 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था। केंद्र शासित प्रदेश में तीसरे और अंतिम चरण का मतदान एक अक्टूबर को होगा। मतों की गिनती आठ अक्टूबर को होगी। आंकड़ों के मुताबिक श्रीनगर जिले में 93 उम्मीदवार, बडगाम जिले में 46, राजौरी जिले में 34, पुंछ जिले में 25, गांदेरबल में 21 और रियासी जिले में 20 उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमा रहे हैं।
कश्मीर संभाग के तहत श्रीनगर जिले में हजरतबल, खानयार, हब्बकदाल, लाल चौक, चन्नापोरा, जादीबल, सेंट्रल शाल्टेंग और ईदगाह सीट आती हैं। बडगाम जिले के अंतर्गत बडगाम, बीरवाह, खानसाहिब, चरार ए शरीफ और चडूरा सीट आती हैं। गांदेरबल जिले में दो सीट कंगन (सुरक्षित) और गांदेरबल हैं। इसके अलावा, जम्मू संभाग में जिन सीटों पर मतदान होगा उनमें रियासी जिले की गुलाबगढ़ (सुरक्षित), रियासी, श्री माता वैष्णो देवी; राजौरी जिले की कालाकोटे-सुंदरबनी, नौशेरा, राजौरी (सुरक्षित), पुंछ जिले की बुद्धल (सुरक्षित), थन्नामंडी (सुरक्षित), सुरनकोट (सुरक्षित), पुंछ हवेली और मेंढर (सुरक्षित) सीट शामिल हैं।
हम आपको यह भी बता दें कि पिछले तीन वर्षों में कई घातक आतंकवादी हमलों से प्रभावित सीमावर्ती जिलों राजौरी और पुंछ के साथ-साथ जम्मू के रियासी में दूसरे चरण के तहत मतदान के दौरान विशेष तौर पर कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की गयी है। हम आपको याद दिला दें कि रियासी जिले में नौ जून को तेरयाथ गांव में शिव खोड़ी मंदिर से तीर्थयात्रियों को ले जा रही एक बस पर हुए आतंकवादी हमले में सात तीर्थयात्रियों सहित नौ लोगों की मौत हो गई थी। राजौरी और पुंछ जिलों में अक्टूबर 2021 से आतंकवादियों द्वारा एक दर्जन से अधिक बड़े हमले किए गए, जिनमें 35 से अधिक सुरक्षाकर्मियों और आठ आम नागरिकों की जान चली गई थी।

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