हाईकोर्ट पहुंचे सेंगर ने बेटी की शादी के लिए मांगी जमानत

नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश के उन्नाव वाले दुष्कर्मी नेता कुलदीप सेंगर ने दिल्ली हाईकोर्ट से अंतरिम जमानत की गुहार लगाई है. सेंगर ने उच्च न्यायालय में दाखिल अपनी जमानत अर्जी में बताया है कि उसकी बेटी की शादी होनी है. इसके लिए उसकी सजा पर अस्थाई तौर पर रोक लगाई जाए और उसे अंतरिम जमानत पर रिहा किया जाए. हालांकि उसकी अर्जी पर कोई फैसला लेने से पहले हाईकोर्ट ने सीबीआई से अपना रुख बताने को कहा है. फिलहाल आरोपी कुलदीप सेंगर आजीवन कारावास की सजा भुगत रहा है.
मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति मुक्ता गुप्ता और न्यायमूर्ति पूनम ए बांबा की पीठ में हुई. अदालत ने इस अर्जी पर सीबीआई को नोटिस जारी करते हुए स्टेटस रिपोर्ट तलब किया है. इस मामले में अगली सुनवाई 16 जनवरी को होगी. सेंगर के वकील ने न्याय पीठ के सामने दाखिल अर्जी में कहा कि सेंगर की बेटी की शादी आठ फरवरी को होनी है. इससे संबंधित कई कार्यक्रम होने हैं. इनमें एक कार्यक्रम जनवरी में भी होना तय है. अदालत ने इस अर्जी पर सुनवाई करते हुए सीबीआई को 16 जनवरी से पहले अपनी रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है. पहले मामले की सुनवाई हाईकोर्ट की एकल पीठ में हो रही थी और न्यायमूर्ति तलवंत सिंह ने मामले को सुन रहे थे. हालांकि अब न्यायाधीश ने ही खुद को इस मामले की सुनवाई से अलग कर लिया है.
बीजेपी से निष्काषित नेता कुलदीप सेंगर ने अदालत में दाखिल अपनी अर्जी में दो महीने के लिए अंतरिम जमानत की मांग की है. इसमें बताया है कि बेटी की शादी के कार्यक्रम 18 जनवरी से शुरू हो जाएंगे. इसलिए इस समारोह में शामिल होने के लिए उसे इस तरीख से पहले जमानत पर बाहर जाना होगा. हालांकि अदालत ने साफ कर दिया कि सीबीआई के स्टेटस रिपोर्ट को देखने के बाद ही कोई फैसला लिया जा सकेगा.
उन्नाव बलात्कार कांड में निचली अदालत के फैसले को सेंगर ने हाईकोर्ट में चुनौती दी है. इस संबंध में सेंगर की अपील याचिका हाईकोर्ट में पहले से लंबित है. उसने निचली अदालत के 16 दिसंबर, 2019 के फैसले को खारिज करने की गुहार की है. इस फैसले में उसे अदालत ने दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. इसमें अदालत ने उसे शेष जीवन सलाखों के पीछे गुजारने की सजा सुनाई थी.
अगस्त 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने उन्नाव बलात्कार कांड से संबंधित 4 मामलों को सुनवाई के लिए दिल्ली ट्रांसफर कर दिया था. इसी के साथ सुप्रीम कोर्ट ने मामले की सुनवाई नियमित तौर पर करते हुए 45 दिनों के भीतर पूरा करने के आदेश दिए थे. जिसके बाद दिसंबर 2021 में, दिल्ली की अदालत ने इस मामले से सेंगर को प्रथम दृष्टया कोई सबूत नहीं मिलने के बाद आरोप मुक्त कर दिया था.

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