बीजेपी के जाल में फंस गए शिंदे, गृह मंत्रालय गया, मुश्किलों में शिवसेना!
महाराष्ट्र की राजनीति में कयासों का दौर खत्म हो गया है... और सभी अटकलों पर विराम लग चुका है... बीजेपी ने एकनाथ शिंदे की राजनीति पर पूरी तरह से ब्रेक लगा दिया है...
4पीएम न्यूज नेटवर्कः महाराष्ट्र की राजनीति में कयासों का दौर खत्म हो गया है… और सभी अटकलों पर विराम लग चुका है… बीजेपी ने एकनाथ शिंदे की राजनीति पर पूरी तरह से ब्रेक लगा दिया है… और उनसे वादा करके डिप्टी सीएम पद की शपथ दिलवा दी…. और अब उनके मनपसंद मंत्रालय को भी नहीं दिया है…. आपको बता दें कि बीजेपी ने चुनाव जीतने के बाद शिंदे से पहले सीएम पद को ले लिया… जिसके बाद गृह मंत्रालय फिर महाराष्ट्र में उनकी राजनीति को खत्म करने का मन बना लिया है.,… बता दें कि बीजेपी ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभऱी है…. और उसके पास एक सौ बत्तीस विधायक हैं…. और बीजेपी को सरकार चलाने के लिए सोलग विधायकों की जरूरत है… और बीजेपी की सेवा में अजित पवार पूरी तरह से समर्पित हैं…. ऐसे में बीजेपी को एकनाथ शिंदे की कोई खास जरूरत नहीं हैं….
बता दें कि बीजेपी महाराष्ट्र की राजनीति में जो करना चाहती थी… उस मनसूबे में कामयाब हो गई…. लेकिन अपनों से बगावत करके बीजेपी के साथ आए एकनाथ शिंदे को अपनों से बगावत करने का इनाम मिल रहा है…. बीजेपी ने पहले अपने फायदे के लिए शिंदे को सीएम बना दिया…. और विधानसभा चुनाव में सबार्धिक सीट पाने के बाद शिंदे से किनारा कर लिया…. बता दें कि सीएम पद जाने से दुखी शिंदे अपने घर चले गए…. उसके बाद बीमार हुए लेकिन एकनाथ शिंदे का कोई भी पैंतरा काम नहीं आया…. और अजित पवार ने बाजी मार ली है.,… और खुशी-खुशी डिप्टी सीएम पद की शपथ लेने के बाद वित्त मंत्रालय पर भी कब्जा कर लिया है…. और एकनाथ शिंदे को बीजेपी ने झुनझुना थमा दिया है…. जिससे शिवसेना में नाराजगी देखने को मिल रही है…. और पार्टी के विधायकों और नेताओं ने पार्टी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है… जिसको देखकर यह कहना जल्दबाजी होगी की…. उनकी पार्टी बहुत जल्द टूट कर बिखर सकती है….
आपको बता दें कि महाराष्ट्र की मौजूदा राजनीति को देखकर ऐसा लग रहा है… कि एकनाथ शिंदे की राजनीति खत्म होने की ओर बढ़ रही है…. शिंदे की खामोसी के चलते उनकी पार्टी को मनचाहा विभाग नहीं मिला…. जिसको देखते हुए पार्टी के विधायकों और नेताओं ने पार्टी छोड़ने का मन बना लिया है…. और शिवसेना के अंदर कलह जारी हो गई…. शिंदे को लेकर बगावत शुरू हो गई है…. एकनाथ शिंदे के सामने अब ऐसी चुनौतियां हैं… जिससे शिंदे कैसे निपटारा करेंगे…. पार्टी नेताओं के बगावत से पार्टी कभी भी खत्म हो सकती है…. आपको बता दे कि बीजेपी के साथ जाने का सिला एकनाथ शिंदे को मिलना शुरू हो गया है…. वहीं अभी अजित पवार का भी नंबर आने वाला हैं… बता दें कि जिस दिन भाजपा अपने सहयोगियों के विधायकों को तोड़ने में सफल हो जाती है… उस दिन अजित पवार को भी किनारे लगा देगी… और एक समय ऐसा आएगा कि… शिवसेना (शिंदे गुट) और एनसीपी (अजित पवार) गुट का नामोंनिशान मिट जाएगा.,… और अपने परिवार का साथ छोड़ने का सिला मिल जाएगा….
आपको बता दें कि शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे पहले मुख्यमंत्री पद पर अड़े हुए थे…. जब उसमें सफलता नहीं मिली तब डिप्टी सीएम स्वीकार कर लिया… वहीं डिप्टी सीएम का पद स्वीकार करने के बाद शिंदे गृह मंत्रालय पर अड़े लेकिन गृहमंत्रालय को तो छोड़ो अब पार्टी पर ग्रहण लगता हुआ नजर आ रहा है… वहीं उधर मंत्री पद न मिलने से नाराज विधायक ने पार्टी के उपनेता के पद से इस्तीफा दे दिया है…. बता दें कि महायुति के शपथ ग्रहण समारोह के दौरान एक बड़ी खबर सामने आई जिससे राजनीतिक हलचल तेज हो गई है…. बता दें कि तीनों पार्टियों के प्रमुख नेताओं और मंत्री पद की दावेदारी रखने वाले विधायकों को फोन कर बुलाया गया…. और नागपुर के राजभवन में महागठबंधन मंत्रिमंडल के कुल 39 सदस्यों नें शपथ ग्रहण किया…. बता दें कि फडणवीस सरकार में कई नए चेहरे सामने आने की बात चल रही है…. इस बीच मंत्री पद नहीं मिलने पर एक विधायक ने पार्टी की ओर से दिए गए पद से इस्तीफा दे दिया है….
दरअसल भंडारा विधानसभा क्षेत्र के विधायक नरेंद्र भोंडेकर ने मंत्री पद मिलने पर नाराजगी जाहिर की….. नरेंद्र भोंडेकर ने शिवसेना के उपनेता और विदर्भ संयोजक पद से इस्तीफा दे दिया है….. शपथ ग्रहण समारोह से पहले ही शिंदे गुट मंत्री पद को लेकर नाराजगी दिख रहा था….. पता चला कि शिंदे गुट में कई लोग मंत्री पद के इच्छुक थे… मालूम हो कि महायुति में ढाई साल का फॉर्मूला तय किया गया है….. माना जा रहा है कि शिंदे गुट के विधायक हलफनामा लिखकर देंगे कि वे ढाई साल बाद मंत्री पद छोड़ देंगे…. बता दें कि बीजेपी अपने सहयोगियों को खुश रखने के लिए ढाई साल का फार्मूला तय कर दिया है…. और सबसे लिखवा लिया है कि ढाई साल का कार्यकाल पूरा करते ही आप सभी को मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ेगा…. जिसको देखते हुए सहयोगी पार्टिय़ों के नेताओं की परेशानी बढ़ गई है…. और सभी के भविष्य पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं….
बता दें कि महाराष्ट्र में काफी दिनों के सस्पेंस के बाद रविवार को अंततः सीएम देवेंद्र फडणवीस मंत्रिमंडल का विस्तार हो गया…. नागपुर में 39 मंत्रियों को शपथ दिलाई गई…. इस अवसर पर सीएम देवेंद्र फडणवीस, उप मुख्यमंत्री अजित पवार और एकनाथ शिंदे के साथ-साथ केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी सहित भाजपा के कई आला नेता उपस्थित थे…. राज्यपाल ने नागपुर में नवनिर्वाचित मंत्रियों को मंत्री पद की शपथ दिलाई…. लेकिन प्राप्त जानकारी के अनुसार शपथ लिए मंत्रियों का कार्यकाल पांच साल का नहीं…. बल्कि ढाई साल का होगा और मंत्री पद का शपथ लेने के बाद उन्हें शपथ पत्र भी लिखना होगा…. इसे लेकर अजित पवार और एकनाथ शिंदे का बयान सामने आया है…. लेकिन यह फॉर्मूला बीजेपी के मंत्रियों पर लागू होगा या नहीं…. यह अभी साफ नहीं है….
बता दें कि मंत्रिमंडल के विस्तार में कुछ नए चेहरों को मौका दिया गया तो कुछ पुराने चेहरे को दोबारा मंत्री बनाया गया है….. इस बीच मंत्री पद नहीं मिलने से कुछ नेताओं में नाराजगी देखी गई है….. गौरतलब है कि कुल 39 मंत्रियों को शपथ दिलाई गई है…. इनमें बीजेपी के 19, एनसीपी के 9 और शिवसेना शिंदे समूह के 11 विधायकों को मंत्री पद की शपथ दिलाई गई है…. भंडारा विधानसभा क्षेत्र के शिवसेना विधायक भोंडेकर ने मंत्री पद नहीं मिलने पर शिवसेना उपनेता पद से इस्तीफा दे दिया है…. इसके साथ ही महागठबंधन के घटक दल आरपीआई (रिमेम्बर ग्रुप) के प्रमुख रामदास अठावले ने भी अपनी नाराजगी जाहिर की है…. हमसे एक कैबिनेट मंत्रालय और एक विधान परिषद का वादा किया गया था…. हालांकि, वास्तव में कुछ भी प्राप्त नहीं हुआ है…. अठावले ने कहा है कि मैं अपने पदाधिकारियों का सामना कैसे करूंगा….
दूसरी ओर, उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने भी संकेत दिया है कि जिन नेताओं को मंत्री पद मिला है…. वे केवल ढाई साल तक ही इस पद पर रह सकते हैं…. और उन्होंने एक पार्टी कार्यक्रम में भाषण के दौरान यह टिप्पणी की है….. लेकिन बीजेपी में इस बात को लेकर संशय है कि इस फॉर्मूले का पालन किया जाएगा या नहीं…. दूसरी ओर, शिवसेना के मंत्रियों से शपथ पत्र लिखवाया जाएगा…. जिन नेताओं को मंत्री पद का मौका दिया गया है…. उन्हें सिर्फ ढाई साल के लिए ही मंत्री पद दिया जाएगा…. उसके बाद ये मंत्रालय छोड़ना पड़ेगा…. इसका उल्लेख शपथ पत्र में किया जाएगा…. मंत्री पद की शपथ से पहले शिवसेना पार्टी की बैठक हुई…. इस बैठक में उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने अपनी पार्टी के नेताओं को यह जानकारी दी है….
जानकारी के मुताबिक चुनाव के दौरान एकनाथ शिंदे ने नरेंद्र भोंडेकर को मंत्री पद देने का वादा किया था…. लेकिन समय के साथ शिंदे अपना किया वादा भूल गए…. जिससे पार्टी में विद्रोह का बिगुल बज गया है… आपको बता दें कि शिवसेना ने उदय सामंत (कोकण), शंभुराजे देसाई ( पश्चिम महाराष्ट्र), गुलाबराव पाटील ( उत्तर महाराष्ट्र), दादा भुसे (उत्तर महाराष्ट्र ), संजय राठोड ( विदर्भ ) और योगेश कदम को मौका दिया है…. इन सभी को पार्टी नेतृत्व की ओर से फोन कर जानकारी दी गई थी… कि उन्हें मंत्रिमंडल में जगह दी जा रही है…. हालांकि ऐसी जानकारी है शिवसेना गुट के नेता केवल ढाई साल के लिए मंत्री पद पर रहेंगे….
आपको बता दें कि नरेंद्र भोंडेकर अविभाजित शिवसेना से 2009 में विधायक निर्वाचित हुए थे….. 2014 में इस सीट से बीजेपी के रामचंद्र अवसारे निर्वाचित हुए…. 2019 में नरेंद्र भोंडेकर ने निर्दलीय ही चुनाव जीता… और बीजेपी के अरविंद मनोहर को हराया…. हालांकि जब 2022 में शिवसेना का विभाजन हुआ तो नरेंद्र भोंडेकर ने एकनाथ शिंदे गुट को ज्वाइन कर लिया था…. 2024 में नरेंद्र भोंडेकर ने एकबार फिर भंडारा से चुनाव लड़ा… और 127,884 वोट हासिल कर कांग्रेस की पूजा गणेश ठावकर को हराया…. उनके ट्विटर बायो के अनुसार वह हिंदू बहुजन महासंग के राष्ट्रीय अध्यक्ष भी हैं….