शिवसेना-यूबीटी का आरोप: जिन सीटों पर चुनाव लड़ रही भाजपा वहां फर्जी वोटरों को चुनाव सूची में शामिल करने की कोशिश
नई दिल्ली। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से पहले, विपक्षी दल शिवसेना (यूबीटी) ने सोमवार को आरोप लगाया कि 150 विधानसभा क्षेत्रों में मतदाता सूचियों में फर्जी नाम शामिल करने का प्रयास किया जा रहा है, जिसके बारे में उसने दावा किया कि भाजपा इन सीटों पर चुनाव लडऩे की योजना बना रही है।
पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना (यूबीटी) के मुखपत्र सामना में एक संपादकीय में यह भी दावा किया गया कि इस तरह की छेड़छाड़ इसलिए की जा रही है क्योंकि भाजपा को राज्य के विधानसभा चुनावों में हार का डर है। सामना के संपादकीय में आरोप लगाया गया है, भाजपा ने राज्य में हार के डर से मतदाता सूची में छेड़छाड़ करने के लिए इस तरह के अनैतिक उपायों का सहारा लिया है। इस चुनाव में भाजपा करीब 150 विधानसभा क्षेत्रों में चुनाव लडऩे की योजना बना रही है। पार्टी ने पिछले दिनों मतदान पैटर्न की जांच की और करीब 10,000 मतदाताओं के नाम हटाने के लिए पहचाने, पार्टी उन नामों को फर्जी नामों से बदल रही है।
वहीं सामना में ये भी दावा किया गया है कि प्रशासन ने चंद्रपुर जिले के राजुरा विधानसभा क्षेत्र में मतदाता सूची में ऐसे 6,853 फर्जी नाम डालने के प्रयास को विफल कर दिया है। इसमें दावा किया गया है कि, इससे मतदाता सूची में छेड़छाड़ करने की भाजपा की योजना का पता चला है। पार्टी कार्यकर्ता मध्य प्रदेश या छत्तीसगढ़ में रहने वाले लोगों के आधार कार्ड नंबर का इस्तेमाल महाराष्ट्र में नाम शामिल करने के लिए कर रहे हैं।
सामना के संपादकीय में आरोप लगाया गया है, चुनिंदा विधानसभा क्षेत्रों में मतदाता सूचियों में इस छेड़छाड़ को अंजाम देने के लिए भाजपा ने कई लोगों को नियुक्त किया है। भाजपा की तरफ से एक विशेष प्रशिक्षण सत्र भी आयोजित किया गया था। संपादकीय में कहा गया है कि भाजपा में शिवसेना (यूबीटी) के साथ निष्पक्ष चुनाव लडऩे का साहस नहीं है, इसलिए उसने इस तरह के तरीकों से चुनाव जीतने की साजिश रची है।
संपादकीय में आरोप लगाया गया है कि चुनाव आयोग बहरे, गूंगे और अंधे की तरह काम कर रहा है और उसके अधिकारियों के पास केवल भाजपा नेताओं के आदेशों का पालन करना ही बचा है। संपादकीय में दावा किया गया है कि चुनाव आयोग के अधिकारियों के पास अलग-अलग राज्यों के लिए अलग-अलग नियम हैं। एमवीए के घटक, मुख्य रूप से कांग्रेस और शिवसेना (यूबीटी) ने चुनाव से पहले महाराष्ट्र की डीजीपी रश्मि शुक्ला को हटाने की मांग की है। कांग्रेस ने दावा किया है कि शीर्ष आईपीएस अधिकारी विपक्षी नेताओं के फोन की अवैध टैपिंग में शामिल रहीं हैं और इस प्रक्रिया में सक्षम अधिकारियों को गुमराह किया है।
शिवसेना (यूबीटी) के मुखपत्र में कहा गया है, हमने चुनाव आयोग के अधिकारियों से महाराष्ट्र की डीजीपी का तबादला करने का अनुरोध किया था, क्योंकि वह ऐसे चुनावों के दौरान निष्पक्ष अधिकारी नहीं होंगी। चुनाव आयोग ने हमारी मांग को यह कहते हुए अस्वीकार कर दिया कि उसके पास ऐसी कार्रवाई करने का अधिकार नहीं है। हालांकि, उसी चुनाव आयोग ने झारखंड राज्य के डीजीपी का तबादला कर दिया, जब विपक्षी पार्टी भाजपा ने इसकी मांग की थी। क्या महाराष्ट्र और झारखंड के लिए अलग-अलग नियम हैं?