गांधी परिवार को छोड़ देनी चाहिए नेतृत्व की भूमिका : सिब्बल

नई दिल्ली। कांग्रेस कार्यसमिति की रविवार को हुई बैठक के बाद पार्टी के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने मांग की कि गांधी परिवार को नेतृत्व की भूमिका से हट जाना चाहिए और किसी अन्य को पार्टी का नेतृत्व करने का मौका देना चाहिए। सिब्बल ने कहा कि 2014 की चुनावी हार के बाद से कांग्रेस कुछ मौकों को छोड़कर लगातार चुनाव हार गई है। उन्होंने कहा सीडब्ल्यूसी ने पार्टी नेतृत्व में विश्वास व्यक्त किया है, लेकिन सीडब्ल्यूसी के बाहर के लोगों को कुछ और ही लगता है क्योंकि कई लोग पार्टी छोड़ चुके हैं। सिब्बल ने कहा मैं सबकी कांग्रेस चाहता हूं। कुछ लोग घर की कांग्रेस चाहते हैं। मालूम हो कि पार्टी के भीतर सुधार लाने के लिए सोनिया गांधी को लिखे गए पत्र पर हस्ताक्षर करने वालों में सिब्बल भी एक हैं, लेकिन इसी समूह के गुलाम नबी आजाद और आनंद शर्मा ने सीडब्ल्यूसी की बैठक में नेतृत्व परिवर्तन का मुद्दा नहीं उठाया था। बैठक में सोनिया ने राहुल और प्रियंका के साथ नेतृत्व से हटने की पेशकश की थी, लेकिन सीडब्ल्यूसी ने इसे ठुकरा दिया था। गांधी परिवार के खिलाफ टिप्पणी को लेकर कांग्रेस के कई नेताओं ने मंगलवार को सिब्बल पर निशाना साधा। लोकसभा में कांग्रेस के सचेतक मणिकम टैगोर ने ट्वीट किया आरएसएस और भाजपा क्यों चाहते हैं कि नेहरू-गांधी नेतृत्व से अलग हों? क्योंकि गांधी परिवार के नेतृत्व के बिना कांग्रेस, जनता पार्टी बन जाएगी। इस तरह कांग्रेस को खत्म करना आसान होगा और फिर आइडिया आफ इंडिया (भारत के विचार) को खत्म करना आसान होगा।

कर्मचारी नौकरी छोड़कर चुनाव लड़ें और पेंशन के हकदार बन जाएं : जयराम

नई दिल्ली। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर हिमाचल प्रदेश विधानसभा के बजट सत्र के अंतिम दिन सदन में तलख दिखे। उन्होंने कर्मचारियों को लेकर अजीबोगरीब बात कही। उन्होंने कहा कि भत्ते बढ़ाने की गलत सूचना पर कुछ लोग इस प्रकार के कमेंट लिख रहे हैं कि जब कर्मचारियों को पेंशन नहीं तो विधायकों को क्यों। इस पर सीएम ने कहा कि ऐसे कर्मचारी नौकरी छोड़कर चुनाव लड़ें और पेंशन के हकदार बन जाएं। सीएम ने कहा कि वह कई बार बड़ी सीधी बात कह देते हैं। उन्होंने विधायकों के आवास और यात्रा भत्ते बढ़ाने की बात को सदन में खारिज करते हुए कहा कि उन्हें लगता है कि विधायकों के संस्थान के खिलाफ इस प्रकार का व्यवहार करना गलत है। गौर हो कि बजट सत्र के दौरान प्रदेश भर में कर्मचारियों ने पुरानी पेंशन योजना बहाल करने के लिए खूब हल्ला मचाया था।

प्रश्नकाल समाप्त होने के बाद कांग्रेस विधायक सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने प्वाइंट आफ ऑर्डर के तहत विधायकों के भत्ते बढ़ाने संबंधित मामला उठाया। उन्होंने कहा कि विधायकों के भत्ते बढ़ाए जाने की बात से जनता के बीच में फजीहत हो रही है। सैर-सपाटे के लिए राशि बढ़ाने की बात से लोगों के बीच विधायकों की छवि खराब की जा रही है। जानबूझकर सनसनी फैलाई जा रही है। उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष से इस मामले में कड़ा संज्ञान लेकर कार्रवाई करने और मुख्यमंत्री से इस मामले मेें हस्तक्षेप करने की मांग की। कांग्रेस विधायक आशा कुमारी ने भी इस मामले में कार्रवाई की मांग की। विधानसभा अध्यक्ष विपिन सिंह परमार ने व्यवस्था दी कि यह चिंता का विषय है। इस मामले में संज्ञान लिया जाएगा। कार्रवाई की जाएगी। मुख्यमंत्री ने कहा कि विधायकों को इलाज व अन्य संबंधित कार्यों के लिए दिल्ली और चंडीगढ़ जाना होता है। कई बार सरकारी आवासों में कमरे नहीं मिलते हैं। ऐसे में विधायकों को निजी होटल में ठहरने के लिए 7500 रुपये तक के व्यय की व्यवस्था थी। यह अब वास्तविक होगी। यानी अब इसमें यह सीमा नहीं होगी। फाइव स्टार होटल में तो 5000 रुपये तक में भी कमरा मिल जाता है। यात्रा के लिए वार्षिक व्यय की सीमा को पहले से ही चार लाख रुपये किया गया है। इसमें कोई बढ़ोतरी नहीं हुई है।

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