2 किलो अनाज के बदले चुप्पी, राष्ट्रपति के सामने बोली महिला, हमारी आवाज दबा दी जाती है
गुजरात में राष्ट्रपति के दौरे के दौरान एक महिला ने सबके सामने अपनी दर्दभरी कहानी सुनाई.. बोली– हमें दो किलो अनाज तो मिल जाता है..

4पीएम न्यूज नेटवर्कः गुजरात के जूनागढ़ जिले में 10 अक्टूबर को एक ऐसी घटना घटी.. जिसने पूरे देश का ध्यान खींच लिया.. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू आदिवासी समाज की महिलाओं से संवाद कर रही थीं.. कार्यक्रम समाप्त हो चुका था… और राष्ट्रपति जाने वाली थीं.. तभी सिदी समुदाय की एक महिला ने उन्हें रोक लिया.. महिला ने अपनी आपबीती सुनाई.. ‘मैडम, हमें सिर्फ दो किलो अनाज मिलता है.. हमारे पास नौकरी तक नहीं है.. जब हम आवाज उठाते हैं.. तो सत्ता वाले हमारी आवाज दबा देते हैं… राष्ट्रपति मुर्मू ने मंच से उतरकर महिला के पास पहुंचकर उनकी बात सुनी.. यह दृश्य सोशल मीडिया पर वायरल हो गया.. और गुजरात सरकार की योजनाओं पर कई सवाल खड़े हो गए..
वहीं यह घटना राष्ट्रपति के तीन दिवसीय गुजरात दौरे का हिस्सा थी.. दौरा 9 से 11 अक्टूबर तक चला.. राष्ट्रपति ने सोमनाथ मंदिर, द्वारकाधीश का दर्शन किया.. लायन सफारी का दौरा किया और गुजरात विद्यापीठ के दीक्षांत समारोह में भाषण दिया.. लेकिन जूनागढ़ की यह घटना सबसे चर्चित रही.. सिदी समुदाय अफ्रीकी मूल का आदिवासी समूह है.. जो लंबे समय से गरीबी, बेरोजगारी.. और सरकारी सुविधाओं की कमी से जूझ रहा है.. महिला की शिकायत ने गुजरात मॉडल की चमक के पीछे छिपी सच्चाई को उजागर कर दिया..
आपको बता दें कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का गुजरात दौरा 9 अक्टूबर की शाम को शुरू हुआ.. वे राजकोट पहुंचीं और अगले तीन दिनों में विभिन्न कार्यक्रमों में शरीक हुईं.. यह दौरा आदिवासी कल्याण, शिक्षा, पर्यावरण संरक्षण.. और सांस्कृतिक धरोहर पर केंद्रित था.. प्रेस इंफॉर्मेशन ब्यूरो के अनुसार राष्ट्रपति ने गुजरात को ‘आत्मनिर्भरता.. और स्वरोजगार की संस्कृति का प्रतीक’ बताया.. दौरा के मुख्य उद्देश्य थे.. आदिवासी समुदायों से सीधा संवाद, धार्मिक स्थलों का दौरा और युवाओं को प्रेरित करना..
9 अक्टूबर को राजकोट पहुंचने के बाद राष्ट्रपति ने आराम किया.. 10 अक्टूबर को दौरा की मुख्य गतिविधियां शुरू हुईं.. सुबह वे गिर सोमनाथ जिले के सासन पहुंचीं.. जहां सिंह सदन में आदिवासी महिलाओं से मिलीं… यहां सिदी समुदाय के सदस्यों ने उनका स्वागत किया.. सिदी समुदाय गुजरात के जूनागढ़ और गिर क्षेत्र में रहता है.. ये लोग 16वीं शताब्दी में अफ्रीकी गुलामों के वंशज हैं.. जो अब अनुसूचित जनजाति का हिस्सा हैं.. राष्ट्रपति ने उनके साथ संवाद किया और शिक्षा पर जोर दिया.. पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक, राष्ट्रपति ने कहा, ‘शिक्षा ही सशक्तिकरण का सबसे बड़ा साधन है.. सिदी समुदाय की साक्षरता दर 72% से अधिक हो गई है, जो सराहनीय है..
उसी दिन दोपहर में राष्ट्रपति ने सासन गिर नेशनल पार्क में लायन सफारी का दौरा किया.. यहां उन्होंने एशियाई शेरों को करीब से देखा.. और वन्यजीव संरक्षण पर चर्चा की.. वन मंत्री मुलु बेरा ने उनका स्वागत किया.. न्यूज ऑन एयर के अनुसार, राष्ट्रपति ने शेरों की तस्वीरें लीं और कहा कि प्रकृति का संरक्षण हमारी जिम्मेदारी है.. शाम को वे सोमनाथ मंदिर गईं, जहां पूजा-अर्चना की.. सोमनाथ मंदिर गुजरात का प्रमुख धार्मिक स्थल है.. जो शिव का प्राचीन मंदिर है.. राष्ट्रपति ने मंदिर प्रबंधन से विकास कार्यों पर बात की..
11 अक्टूबर को दौरा का अंतिम दिन था.. राष्ट्रपति अहमदाबाद पहुंचीं और गुजरात विद्यापीठ के 59वें दीक्षांत समारोह में मुख्य अतिथि बनीं.. यहां उन्होंने डिग्री वितरित की और भाषण दिया.. और उन्होंने कहा कि गुजरात में स्वरोजगार और आत्मनिर्भरता की जो संस्कृति है.. उसे पूरे देश में फैलाना चाहिए.. विद्यार्थी इस संस्कृति के संवाहक बनें.. कार्यक्रम में गुजरात के राज्यपाल और मुख्यमंत्री भी मौजूद थे.. दौरा के दौरान राष्ट्रपति ने कुल 10 से अधिक कार्यक्रम किए.. जो पीआईबी की प्रेस रिलीज में दर्ज हैं..
बता दें कि यह दौरा गुजरात सरकार के लिए महत्वपूर्ण था.. क्योंकि यह ‘विकसित गुजरात’ के विजन को राष्ट्रीय स्तर पर पेश करने का मौका था.. लेकिन जूनागढ़ की घटना ने इस चमक पर सवालिया निशान लगा दिया.. सिदी समुदाय की महिलाओं का संवाद कार्यक्रम विशेष रूप से आदिवासी सशक्तिकरण पर फोकस था.. राष्ट्रपति खुद आदिवासी पृष्ठभूमि से हैं.. उन्होंने हमेशा आदिवासी मुद्दों पर संवेदनशीलता दिखाई है.. ओडिशा से आने वाली मुर्मू जी को आदिवासी कल्याण से गहरा लगाव है.. इस दौरे से पहले भी उन्होंने कई राज्यों में आदिवासियों से मुलाकात की है.. गुजरात सरकार ने दौरे की तैयारियां महीनों पहले शुरू कर दी थीं.. लेकिन जमीनी स्तर पर चुनौतियां सामने आ गईं..
10 अक्टूबर को दोपहर सिंह सदन में कार्यक्रम शुरू हुआ.. सिंह सदन गिर नेशनल पार्क के पास एक सांस्कृतिक केंद्र है.. जहां आदिवासी कला और परंपराओं को प्रदर्शित किया जाता है.. राष्ट्रपति मुर्मू यहां सिदी समुदाय की 50 से अधिक महिलाओं से मिलीं.. कार्यक्रम औपचारिक था.. राष्ट्रपति ने भाषण दिया.. महिलाओं ने सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दीं और उपहार सौंपे.. एएनआई की रिपोर्ट के अनुसार राष्ट्रपति ने महिलाओं को शॉल और किताबें भेंट की..
कार्यक्रम दोपहर 2 बजे समाप्त घोषित हो गया.. राष्ट्रपति मंच से उतरने वाली थीं.. तभी सिदी समुदाय की एक बुजुर्ग महिला, जिनका नाम हसीनाबेन मकवाना बताया जा रहा है.. आगे बढ़ीं.. उन्होंने राष्ट्रपति का हाथ पकड़कर रोका.. यह क्षण कैमरों में कैद हो गया.. नवभारत टाइम्स के अनुसार, महिला ने कहा कि महोदया, दो मिनट रुकिए.. राष्ट्रपति रुक गईं और पूछा, ‘क्या बात है.. महिला ने अपनी पीड़ा बयान की.. मौके पर पर्यटन मंत्री मुलु बेरा, जिला कलेक्टर, वन अधिकारी और अन्य अफसर मौजूद थे.. लेकिन कोई भी बीच में नहीं आया..
वीडियो फुटेज से पता चलता है कि बातचीत अनौपचारिक थी.. महिला ने गुजराती में बात की, जिसका हिंदी अनुवाद कुछ इस तरह है.. ‘सुविधाएं तो हैं, लेकिन अच्छी नहीं.. राशन कम मिलता है, सिर्फ दो किलो.. राष्ट्रपति ने उत्सुकता से पूछा.. कितना कम?’ महिला ने जवाब दिया, ‘दो किलो अनाज.. फिर उन्होंने बेरोजगारी का मुद्दा उठाया.. यह घटना कार्यक्रम के बाद घटी, इसलिए इसे ‘अनियोजित’ कहा जा रहा है.. जामावाट न्यूज की रिपोर्ट में वन मंत्री मुलु बेरा ने स्वीकार किया कि महिलाओं ने ‘रजूआत’ (शिकायत) की.. लेकिन मंत्री ने कहा कि यह सामान्य बातचीत थी.. घटना के बाद राष्ट्रपति शांत भाव से चली गईं.. लेकिन अफसरों के चेहरे पर घबराहट साफ दिखी.. सोशल मीडिया पर यह वीडियो तेजी से फैला..
जूनागढ़ जिला प्रशासन ने कार्यक्रम को सफल बताया.. लेकिन शिकायत पर चुप्पी साधी.. यह घटना गुजरात के आदिवासी क्षेत्रों की वास्तविकता को दर्शाती है.. जहां सरकारी योजनाएं कागजों पर तो हैं.. लेकिन जमीन पर नहीं पहुंच पा रही.. सिदी समुदाय के लोग गिर जंगल के आसपास रहते हैं.. और वन उत्पादों पर निर्भर हैं.. लेकिन शहरीकरण और पर्यटन ने उनकी आजीविका को प्रभावित किया है.. राष्ट्रपति का दौरा ऐसे ही मुद्दों को हाइलाइट करने का मौका था, और यह घटना ने ठीक यही किया..
सिदी समुदाय की महिला की शिकायतें गहरी और जमीनी हैं.. वीडियो में दर्ज संवाद से साफ है कि समस्या लंबे समय से चली आ रही है.. नवभारत टाइम्स के विस्तृत कवरेज के अनुसार, महिला ने तीन मुख्य मुद्दे उठाए.. महिला ने कहा, ‘हमें सिर्फ दो किलो अनाज मिलता है.. यह राशन पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम के तहत मिलता है.. सामान्य परिवार को 5 किलो प्रति व्यक्ति मिलना चाहिए.. लेकिन सिदी समुदाय को आधा भी नहीं.. अन्य महिलाओं ने पुष्टि की.. सभी को इतना ही मिलता है.. यह समस्या आदिवासी क्षेत्रों में आम है.. जहां दस्तावेजीकरण की कमी से लाभ नहीं मिल पाता..
हमारे लोगों के पास नौकरी नहीं है.. सिर्फ दो-तीन लोगों के पास है.. बाकी बेरोजगार हैं.. हम गरीबी में जी रहे हैं..’ सिदी समुदाय मुख्य रूप से मजदूरी और वन उत्पाद बेचने पर निर्भर है.. गुजरात सरकार की ‘महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना’ (मनरेगा) यहां लागू है.. लेकिन काम के दिन कम हैं.. महिला ने कहा कि हमें आगे बढ़ने का मौका नहीं मिलता..’ सिदी महिलाओं की साक्षरता बढ़ी है, लेकिन नौकरियां नहीं है..
सबसे मार्मिक शिकायत जब हम मुद्दा उठाते हैं, तो सत्ता वाले हमारी आवाज दबा देते हैं.. यह राजनीतिक दबाव का संकेत है.. आदिवासी क्षेत्रों में स्थानीय पंचायतों या अधिकारियों द्वारा शिकायतों को दबाया जाता है.. गुजरात मॉडल की सच्चाई सामने आ गई.. वहीं ये शिकायतें सिदी समुदाय की व्यापक समस्याओं को दर्शाती हैं.. सिदी लोग गुजरात में 50 हजार से अधिक हैं.. वे ‘विशेष रूप से कमजोर जनजातीय समूह’ (PVTG) में आते हैं.. सरकार ने उनके लिए विशेष योजनाएं चलाई हैं
राष्ट्रपति मुर्मू ने घटना में संवेदनशीलता का परिचय दिया.. नवभारत टाइम्स के अनुसार, वे मंच से उतरकर महिला के पास गईं और सवाल पूछे- ‘कितना कम मिलता है? क्या यह सच है?’ यह उनका आदिवासी पृष्ठभूमि से जुड़ाव दिखाता है.. राष्ट्रपति ने कहा, ‘मैं आपकी बात समझ रही हूं.. उन्होंने महिलाओं को आश्वासन दिया कि उनकी आवाज सुनी जाएगी.. कार्यक्रम के बाद राष्ट्रपति ने निजी बातचीत में अधिकारियों से मुद्दों पर चर्चा की.. राष्ट्रपति की यह प्रतिक्रिया उनकी शैली को दर्शाती है… वे हमेशा आम लोगों से जुड़ती हैं.. ओडिशा में राष्ट्रपति बनने से पहले वे आदिवासी मामलों की विशेषज्ञ थीं.. इस घटना ने उनकी छवि को मजबूत किया..



