‘SIR कोई सुधार नहीं, थोपा गया जुल्म’, चुनाव आयोग पर फिर भड़के राहुल गांधी!
बिहार विधानसभा चुनाव के बाद से चुनाव आयोग द्वारा कराई जा रही एक प्रक्रिया लगातार चर्चा में बनी हुई है और वो है SIR .जी हाँ ये वही SIR है जो अब लोगों के लिए जानलेवा साबित होता हुआ दिखाई दे रहा है।

4पीएम न्यूज नेटवर्क: बिहार विधानसभा चुनाव के बाद से चुनाव आयोग द्वारा कराई जा रही एक प्रक्रिया लगातार चर्चा में बनी हुई है और वो है SIR .जी हाँ ये वही SIR है जो अब लोगों के लिए जानलेवा साबित होता हुआ दिखाई दे रहा है।
ऐसा हम इस लिए कह रहे हैं क्योंकि इसके चक्कर न सिर्फ आम जनता दर बा दर की ठोकरें खा रही है इधर उधर लाइनों में लग रही है बल्कि आलम तो ये है की इसके चक्कर में कई BLO अपनी जान भी गंवा बैठे हैं। जिसे लेकर देश भर में रोष है चुनाव आयोग और सत्ताधारी दल भाजपा पर लगातार सवाल उठ रहे हैं। जानकारी के लिए बता दें कि पिछले महीने पूरे भारत में सुसाइड और हैरेसमेंट की कई घटनाएं सामने आई हैं, जिसमें चुनावों की एडमिनिस्ट्रेटिव मशीनरी को सुसाइड और गंभीर मानसिक परेशानी से जोड़ा गया है।
इस संकट का बड़ा कारण वोटर रोल का SIR है, जो अभी 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में किया जा रहा है। एक तरफ जहां ECI का दावा है कि उसका काम वोटर लिस्ट को अपडेट और सुधार करना है, लेकिन सरकारी कर्मचारियों और लोगों की मौत के बाद ग्राउंड पर इस्तेमाल किए जा रहे तरीके की कड़ी जांच हो रही है। इस काम में घर-घर जाकर सख्ती से वेरिफ़िकेशन, डेटा इकट्ठा करना और वोटर रिकॉर्ड का डिजिटाइज़ेशन शामिल है, लेकिन इसे एक टाइट शेड्यूल में कर दिया गया है। नेताओं और कर्मचारी यूनियनों का आरोप है कि जो प्रोसेस आम तौर पर सालों तक चलता है, उसे दो महीने के टाइम में कर दिया गया है, जिससे अनरियलिस्टिक टारगेट बन गए हैं।
वहीं इसे लेकर विपक्ष भी लगातार सत्ताधारी दल भाजपा और चुनाव आयोग पर हमलावर है. इसी कड़ी में कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए केंद्र में बैठी मोदी सरकार और चुनाव आयोग पर जोरदार हमला बोला है। दरअसल राहुल गांधी ने SIR को लेकर हमला बोलते हुए सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर पोस्ट कर सरकार और चुनाव आयोग को घेरा है। राहुल गांधी ने कहा कि सरकार ने एसआईआर के नाम पर देश भर में अफरा-तफरी मचा रखी. अब इसके नतीजे भी सामने आने लगे. एसआईआर की वजह से पिछले करीब 3 हफ्तों में 16 बूथ स्तर अधिकारियों यानी BLO की जान चली गई.
राहुल गांधी ने इसे महज प्रशासनिक नाकामी नहीं, बल्कि सत्ता की रक्षा के लिए लोकतंत्र की बलि करार दिया है। राहुल गांधी ने कहा कि भारत दुनिया के लिए अत्याधुनिक सॉफ्टवेयर बनाता है, लेकिन चुनाव आयोग आज भी कागजों का जंगल खड़ा करने पर अड़ा है। आयोग ने जानबूझकर ऐसा सिस्टम बनाया है जिसमें नागरिकों को अपना नाम खोजने के लिए 22 साल पुरानी मतदाता सूची के हजारों स्कैन पन्ने पलटने पड़ रहे हैं।
इसका मकसद साफ है कि सही मतदाता थककर हार मान ले और वोट चोरी बिना रोक-टोक जारी रहे। उन्होंने कहा कि अगर नीयत साफ होती तो लिस्ट डिजिटल और सर्चेबल होती, लेकिन यहां बीएलओ की मौतों को सिर्फ ‘कॉलैटरल डैमेज’ मानकर अनदेखा किया जा रहा है। यह नाकामी नहीं, षड़यंत्र है. सत्ता की रक्षा में लोकतंत्र की बलि है.
दोस्तों ये बात कोई पक्ष विपक्ष या राजनीति की नहीं हो रही है बात है लोगों की जान के साथ खिलवाड़ करने की जो की भाजपा के सहयोग से चुनाव आयोग कर रहा है। या यूँ कह लें कि केंद्र में बैठी मोदी सरकार के प्यार में चुनाव आयोग इस कदर अँधा हो चुका है कि उसे कुछ दिखाई ही नहीं दे रहा है। मानों चुनाव आयोग के लिए इन दिनों ऐसा हो गया है कि जानें जाती हैं तो जाने हो मगर साहब की शान में कोई गुस्ताखी नहीं होनी चाहिए। हालांकि लोगों की मौत के जो आकड़े आये हैं वो बेहद हैरान कर देने वाले हैं।
आपको बता दें कि SIR प्रक्रिया 4 नवंबर को शुरू हुई थी और तब से अब तक महज 20 दिनों में 6 राज्यों में 16 बीएलओ की मौत हो चुकी है। मध्य प्रदेश और गुजरात में 4-4, पश्चिम बंगाल में 3, राजस्थान में 2, और तमिलनाडु-केरल में 1-1 बीएलओ ने जान गंवाई है। मध्य प्रदेश के रायसेन में बीएलओ रमाकांत पांडे की मौत हो गई, परिजनों का कहना है कि वे चार रातों से सोए नहीं थे। वहीं रायसेन के ही नारायण सोनी निलंबन की चेतावनी और टारगेट के डर से छह दिनों से लापता हैं। भोपाल में काम के दौरान कीर्ति कौशल और मोहम्मद लईक को हार्ट अटैक आ गया। यह दबाव जानलेवा साबित हो रहा है।
हालात इतने बदतर हैं कि पश्चिम बंगाल के नदिया में बीएलओ रिंकू ने सुसाइड कर लिया, तो गुजरात के सौराष्ट्र में अरविंद वाढेर ने चिट्ठी लिखकर जान दे दी कि उनसे यह काम नहीं हो सकता। राजस्थान में जयपुर के मुकेश जांगिड़ ने ट्रेन के आगे कूदकर आत्महत्या कर ली। आंकड़ों की बात करें तो राजस्थान में सबसे ज्यादा 60.54 फीसदी फॉर्म डिजिटल हुए हैं, जबकि केरल में यह आंकड़ा महज 10.58 फीसदी है। इसी पर राहुल गांधी का कहना है कि 30 दिन की हड़बड़ी में किया जा रहा यह काम पारदर्शिता नहीं, बल्कि एक सोची-समझी चाल है जिससे लोकतंत्र का गला घोंटा जा रहा है।
आपको बता दें कि बिहार के बाद पक्षिम बंगाल में चुनाव है ऐसे में SIR को लेकर चुनाव आयोग ने अफरातफरी मचा रखी है साल दो साल तक होने वाला काम वोट चोरी और सत्ता पर कब्ज़ा करने जैसे मकसद को अंजाम देने के लिए भाजपा और चुनाव आयोग इसे महज महीनों में निपटाना चाहती है। लेकिन प्रेशर झेल न पाने के कारण बेचारे BLO को अपनी जान से हाथ धोना पड़ रहा है।
वहीं लाइवमिंट की एक रिपोर्ट के मुताबिक, इस मामले की वजह से इस प्रोसेस के फुट सोल्जर्स – बूथ लेवल ऑफ़िसर्स पर “अमानवीय” काम का दबाव पड़ा है और गरीबों में मताधिकार छिनने का डर पैदा हुआ है, जो नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिज़न्स यानी NRC को लेकर फैली चिंताओं की याद दिलाता है। यह रिपोर्ट तीन राज्यों- पश्चिम बंगाल, राजस्थान और केरल- में हुई दुखद घटना की डिटेल देती है। इसमें सुसाइड की खास घटनाओं, सुपरवाइजर द्वारा परेशान करने के आरोपों और सिस्टम की नाकामियों का जिक्र किया गया है, जिनकी वजह से परिवार परेशानियों में हैं।
इसे लेकर न सिर्फ राहुल गांधी बल्कि अन्य दलों के विपक्षी नेता भी हमलावर हैं। जब से गिनती का काम शुरू हुआ है, पश्चिम बंगाल में इस परेशानी से जुड़ी घटनाओं की सबसे ज्यादा संख्या रिपोर्ट की गई है। राज्य में इस काम में लगे अधिकारियों की मौतें हुई हैं, साथ ही दस्तावेज की अचानक मांग से घबराए लोगों ने सुसाइड की कोशिशें भी की हैं। बढ़ती मौतों की संख्या की वजह से पश्चिम बंगाल सरकार और इलेक्शन कमीशन के बीच तीखी बहस छिड़ गई है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर अपना हैरानी जाहिर करते हुए कहा कि “SIR शुरू होने के बाद से अब तक 28 लोगों की जान जा चुकी है।”
उन्होंने इन मौतों को डर, अनिश्चितता, तनाव और ओवरलोड की वजह से हुई मौतों की कैटेगरी में रखा।
बनर्जी ने इस पब्लिक बयान के बाद चीफ इलेक्शन कमिश्नर ज्ञानेश कुमार को एक फॉर्मल लेटर लिखा। लेटर में, उन्होंने SIR ड्राइव को तुरंत रोकने की मांग की और इसे “बिना प्लान किया हुआ, अस्त-व्यस्त और खतरनाक” बताया। बनर्जी ने लिखा, “मैं आपको यह लिखने के लिए मजबूर हूं क्योंकि चल रहे स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन के हालात बहुत ही खतरनाक स्टेज पर पहुंच गए हैं।” CM बनर्जी ने कहा कि “जिस तरह से यह काम अधिकारियों और नागरिकों पर थोपा जा रहा है, वह न सिर्फ बिना प्लान के और अस्त-व्यस्त है, बल्कि खतरनाक भी है… एक प्रोसेस जिसमें पहले 3 साल लगते थे, अब चुनाव से ठीक पहले 2 महीने में पूरा किया जा रहा है ताकि राजनीतिक आकाओं को खुश किया जा सके, जिससे BLO पर अमानवीय दबाव पड़ रहा है।” उन्होंने ECI से “अक्ल से काम लेने” और और जानें जाने से पहले इस ड्राइव को रोकने की अपील की।
आपको बता दें कि जिन 12 राज्यों में SIR प्रक्रिया चल रहा है वहां विपक्ष इसे लेकर लगातार सवाल उठा रहा है। फिर चाहे वो यूपी के पूर्व सीएम और सपा प्रमुख अखिलेश यादव हों या अन्य दलों के नेता। मगर अफ़सोस की बात तो ये है कि हो रही BLO की मौतों से चुनाव आयोग के कान में जूं तक हैं रेंग रही है। ज्ञानेश कुमार जी भाजपा की चाटुकारिता में इस कदर मसरूफ हैं कि उन्हें मानों उनकी आँखों से शर्म का पानी मर चुका है।



