कुछ तो मजबूरियां रहीं होगी, भुजबल बने फडणवीस सरकार में मंत्री

- भ्रष्टाचार के मामलों में जा चुके हैं जेल
- बीजेपी के चाल, चरित्र और चेहरा वाले नैतिकता के दावे पर सवाल?
- ईडी दाखिल कर चुका है आरोप पत्र
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
मुंबई। आखिरकार महायुति सरकार में बीजेपी को छगन भुजबल को जगह देनी ही पड़ी। एनसीपी अजीत पवार के कोटे से उन्हें मंत्री बनाना ही पड़ा। सरकार गठन से लेकर अभी तक महायुति सरकार के मंत्रियों और काम—काज पर गंभीर आरोप लगे हैं और खबरों के मुताबिक तीनों दलों में सिर फुटव्वल की लगातार खबरें सामाने आयी है। एनसीपी ओबीसी चेहरे के तौर पर छगन को पेश कर आगे की सियासत करना चाहती है। वहीं छगन पर लगे भष्टाचार के आरोपों के चलते और उन पर हुई कार्रवाईयां और जांच के कारण देवेन्द्र फडणवीस उन्हें सरकार में मंत्री नहीं बनाना चाहते थे। अजीत पवार से नाराजगी दूर होने के बाद शरद पवार का वीटो छगन के काम आया और बीजेपी को भष्टाचार के आरोपों से घिरे छगन भुजबल को एक सादे समारोह में मंत्री पद की शपथ दिलानी पड़ी।
महाराष्ट्र सदन घोटाले में हुई थी किरकिरी
भुजबल को ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग केस में वर्ष 2016 में गिरफ्तार किया था। तब वो विपक्ष में शरद पवार के साथ हुआ करते थे। उन पर आरोप था कि पीडब्लयूडी मंत्री रहते उन्होंने 100 करोड़ रुपए के ठेके गलत तरीके से दिए। इस केस में बॉम्बे हाईकोर्ट ने भुजबल को जमानत दे दी । ईडी ने हाईकोर्ट में इस जमानत को चुनौती दी थी। इसी बीच भुजबल अजित पवार के साथ आ गए । हाईकोर्ट में जब ये मामला सुनवाई पर आया तो ईडी ने कह दिया कि हमें भुजबल के खिलाफ दायर याचिका की फाइल ही नहीं मिल रही है। कुछ महीनों बाद ईडी ने याचिका ही वापस ले ली। बाद में स्पेशल कोर्ट ने छगन भुजबल को बरी कर दिया। अब छगन भुजबल, अजित पवार की पार्टी में हैं और मंत्री बन चुके हैं।
सादे समारोह में शपथ, शरद पवार का वीटो आया काम
महाराष्ट्र के कद्दावर ओबीसी नेता और पूर्व डिप्टी सीएम छगन भुजबल फिर महाराष्ट्र सरकार में लौट आए हैं। आज सुबह राजभवन में आयोजित एक सादे समारोह में भुजबल ने शपथ ग्रहण की। उनकी वापसी ने महाराष्ट्र में राजनीतिक सरगर्मी बढ़ा दी है। नई सरकार के गठन में उन्हें मंत्री नहीं बनाया गया था। राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने उन्हें शपथ दिलाई। इस मौके पर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और डिप्टी सीएम अजित पवार के साथ एकनाथ शिंदे मौजूद रहे। पिछले साल जब विधानसभा चुनावों में बीजेपी के अगुवाई वाले महायुति को प्रचंड जीत मिली थी तब छगन भुजबल को मंत्री नहीं बनाया गया था।
छगन पर लगे हैं गंभीर आरोप
छगन भुजबल और विवादों का चोली दामन का साथ रहा है। छगन भुजबल का नाम अब्दुल करीम तेलगी द्वारा संचालित 30,000 करोड़ के स्टांप पेपर घोटाले में भी सामने आया था । यह घोटाला 1990 के दशक में शुरू हुआ और 2003 में उजागर हुआ था। छगन भुजबल उस समय महाराष्ट्र के गृह मंत्री थे जब यह घोटाला सामने आया । उन पर आरोप लगे कि उन्होंने तेलगी के खिलाफ कार्रवाई में ढिलाई बरती । हालांकि भुजबल ने इन आरोपों का खंडन किया और कहा कि उन्होंने तेलगी के खिलाफ कार्रवाई शुरू की थी। 2004 में ब्रेन मैपिंग टेस्ट के दौरान, अब्दुल करीम तेलगी ने स्वीकार किया था कि उसने भुजबल को भुगतान किया था । 2004 में ब्रेन मैपिंग टेस्ट के दौरान अब्दुल करीम तेलगी ने स्वीकार किया था कि उसने भुजबल को भुगतान किया था।
तो क्या अब सबकुछ ठीक हो जाएगा
अभी तक महायुति सरकार रफ्तार पकडऩे में नाकामयाब रही है। समय—समय पर लगातार ऐसा कुछ घटित हो रहा है जिससे सरकार के काम—काज के तरीकों पर सवाल उठ रहे हैं। राजनीतिक हलकों से जुड़े लोगों का कहना है कि उम्मीद है कि अब सबकुछ ठीक होगा और सरकार पारदर्शी तरीके से काम करेगी। हालांकि छगन के मंत्री बनने के बाद बीजेपी के चाल—चरित और चेहरे वाले नारे पर सवाल उठना लाजमी हो गये हैं। कांग्रेस से जुड़े नेताओं ने सवाल पूछा है कि प्रचंड बहुमत के बाद ऐसी कौन सी मजबूरी थी जिसमें छगन भुजबल जैसे व्यक्ति को मंत्री बनाना पड़ा।
उद्धव ने बोला हमला
शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) और कांग्रेस जैसे विपक्षी दलों ने छगन भुजबल की नियुक्ति को लेकर तीखा हमला बोला है। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या भाजपा और शिंदे गुट ने अब भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई छोड़ दी है? राजनीतिक नैतिकता पर यह बड़ा प्रश्न है कि जिन नेताओं को कभी भ्रष्टाचार के लिए जेल भेजा गया उन्हें सत्ता में वापस कैसे लाया जा सकता है? उद्धव ठाकरे ने सवाल पूछा है कि भाजपा जिस चाल—चरित्र और चेहरे की बात करती थी आज वह कहां हैं। भाजपा वर्षों से इस नारे के साथ अपनी राजनीति करती रही है। लेकिन जब वही पार्टी भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों से घिरे व्यक्ति को सत्ता में शामिल करती है तो उसकी नैतिकता सवालों के घेरे में आ जाती है। उन्होंने कहा है कि क्या यह नारा अब केवल विरोधियों को घेरने का हथियार भर रह गया है?
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