आध्यात्मिक शक्ति देश की समग्र क्षमता का है आधार : भागवत
संघ प्रमुख आरएसएस के कार्यक्रम में पहुंचे महाराष्टï्र

नई दिल्ली। राष्टï्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि देश की समग्र क्षमता का आधार आध्यात्मिक शक्ति पर निर्भर है और सांधु-संतों ने भारत की आध्यात्मिक शक्ति को बढ़ाने में अपना महती योगदान दिया है। इससे पहले भागवत हिंगोली जिले के नरसी में 13वीं सदी के संत नामदेव की जन्मस्थली गए। संघ प्रमुख ने इस मौके पर कहा संत नामदेव ने लोगों को सरल भाषा में धार्मिक जीवन जीने की शिक्षा दी। उन्होंने वारकरी (भगवान वि_ल) श्रद्धालुओं के संदेश को पंजाब तक पहुंचाया। यह हिंदू समुदाय की शांतिप्रियता और भाईचारे को दर्शाता है। पंजाब के लोगों ने आसानी से संत नामदेव को अपनाया। नामदेव के 61 पद गुरुग्रंथ साहिब में शामिल हैं।
श्री गुरु नानक देव जी और गुरु गोविंद सिंह जी ने हमेशा संत नामदेव को सम्मान का स्थान दिया। संघ प्रमुख कल औरंगाबाद पहुंचे। वहां 14 नवंबर तक वे विभिन्न कार्यक्रमों में भाग लेंगे। संघ प्रमुख का उसके बाद हैदराबाद होते हुए 15 नवंबर को कोलकाता पहुंचने का कार्यक्रम है। गौरतलब है कि इससे पहले मोहन भागवन ने कहा था कि वर्ष 1951 से 2011 के बीच जनसंख्या वृद्धि दर में भारी अंतर के कारण देश की जनसंख्या में जहां भारत में उत्पन्न मत पंथों के अनुयायियों का अनुपात 88 फीसदी से घटकर 83.8 फीसदी रह गया है। वहीं मुस्लिम जनसंख्या का अनुपात 9.8 फीसदी से बढ़कर 14.24 फीसदी हो गया है।
जनसंख्या के असंतुलन पर चिंता जताते हुए उन्होंने कहा कि जनसंख्या नीति होनी चाहिए। हमें लगता है कि इस बारे में एक बार फिर विचार करना चाहिए। अभी भारत युवाओं का देश है। 30 साल के बाद ये सब बूढ़े बनेंगे, तब इन्हें खिलाने के लिए भी हाथ लगेंगे। और उसके लिए काम करने वाले कितने लगेंगे, इन दोनों बातों पर विचार करना होगा। अगर हम इतना बढ़ेंगे तो पर्यावरण कितना झेल पाएगा। 50 साल आगे तक विचार करके रणनीति बनानी चाहिए। जैसे जनसंख्या एक समस्या बन सकती है, वैसे ही जनसंख्या का असंतुलन भी समस्या बनती है।