सुप्रीम कोर्ट की ईडी को जमकर फटकार, कहा- लोगों के बारे में सोचना चाहिए

भारत के सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) को जनता के मौलिक अधिकारों के प्रति जागरूक रहने की नसीहत दी। अदालत ने कहा कि केंद्रीय एजेंसियों को अपनी कार्रवाईयों में नागरिकों के अधिकारों का सम्मान करना चाहिए।

4पीएम न्यूज नेटवर्कः भारत के सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) को जनता के मौलिक अधिकारों के प्रति जागरूक रहने की नसीहत दी। अदालत ने कहा कि केंद्रीय एजेंसियों को अपनी कार्रवाईयों में नागरिकों के अधिकारों का सम्मान करना चाहिए। इस मामले में सुनवाई के दौरान, न्यायालय ने यह स्पष्ट किया कि मौलिक अधिकारों का उल्लंघन नहीं होना चाहिए और किसी भी जांच या कार्रवाई में यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि नागरिकों के अधिकारों की रक्षा हो। छत्तीसगढ़ से संबंधित भ्रष्टाचार के एक मामले में देश की सर्वोच्च अदालत ने कहा कि अगर ईडी के पास मौलिक अधिकार हैं तो उसे लोगों के बुनियादी अधिकारों के बारे में भी सोचना चाहिए. आखिरकार, ईडी ने याचिका को वापस ले लिया.

सुप्रीम कोर्ट ने नागरिक आपूर्ति निगम घोटाले से जुड़े मामले के संदर्भ में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की याचिका पर चुटकी ली है। ईडी ने संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत इस मामले को छत्तीसगढ़ से दिल्ली ट्रांसफर करने की मांग की थी। सर्वोच्च न्यायालय में दायर रिट याचिका में ईडी ने कहा था कि उनके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन हुआ है, जबकि आमतौर पर ये याचिकाएँ नागरिकों द्वारा सरकार या सरकार के विभिन्न संस्थानों के खिलाफ दायर की जाती हैं। कोर्ट ने इस बिंदु पर ईडी को तंज करते हुए कहा कि यह अप्रत्याशित है कि एक सरकारी एजेंसी मौलिक अधिकारों के हनन की बात कर रही है।इस मामले में अब सुप्रीम कोर्ट आगे की सुनवाई करेगा, जिसमें ईडी की याचिका के औचित्य पर चर्चा की जाएगी।

पूर्व आईएएस अधिकारी अनिल टूटेजा और अन्य व्यक्तियों पर साल 2015 में नागरिक आपूर्ति निगम के तहत चावल की खरीददारी और वितरण में अनियमितताओं का आरोप लगाया गया है। इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मांग की है कि इसे छत्तीसगढ़ के बजाय दिल्ली में स्थानांतरित किया जाए।ईडी का आरोप है कि छत्तीसगढ़ में गवाहों को डराया-धमकाया गया और राजनीतिक दबाव के माध्यम से आपराधिक न्याय प्रणाली में हेरफेर किया गया। ऐसे में, ईडी ने नई दिल्ली की एक विशेष अदालत (पीएमएलए) में मामले को ट्रांसफर करने और नए सिरे से स्वतंत्र रूप से सुनवाई की अपील की है। ईडी का कहना है कि जब 2018 में छत्तीसगढ़ में सत्ता परिवर्तन हुआ, तो इस मामले की जांच में भी नाटकीय बदलाव आया, जिससे मामला और भी जटिल हो गया।

पहले भी फटकार चुका कोर्ट

ईडी की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में इस याचिका को एडिशनल सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू पैरवी कर रहे थे. अदालत के रुख को देखते हुए झट से उन्होंने याचिका वापस ले ली. सुप्रीम कोर्ट ने मामले का निपटारा करते हुए ईडी से कहा कि अगर वो अपने मौलिक अधिकारों के लिए चिंतित है तो उसे नागरिकों के अधिकारों की भी चिंता होनी चाहिए. सुप्रीम कोर्ट पहले भी इस मामले में ईडी के बर्ताव पर सवाल उठा चुकी है. जिस तरह टूटेजा को समन जारी किया गया और फिर उनकी गिरफ्तारी हुई, सुप्रीम कोर्ट को ये बात भी पसंद नहीं आई थी.

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