सुप्रीम कोर्ट ने पर्यावरण मंत्री की खोली पोल: जयराम रमेश

  • अरावली पर अदालती फैसले का कांग्रेस ने किया स्वागत

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। कांग्रेस सांसद जयराम रमेश ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने अरावली पहाडिय़ों की पुनर्परिभाषा को लेकर चल रहे विवाद को स्पष्ट कर दिया है और केंद्रीय पर्यावरण मंत्री के कार्यों का पर्दाफाश कर दिया है। रमेश ने कहा कि पिछले कुछ दिनों से पर्यावरण मंत्री अरावली की पुनर्परिभाषा के मुद्दे पर मुझ पर और राजस्थान के तीन बार मुख्यमंत्री रह चुके अशोक गहलोत पर राजनीति करने का आरोप लगा रहे थे। आज सुप्रीम कोर्ट में यह मामला साफ हो गया है। सुप्रीम कोर्ट ने भारत सरकार द्वारा आगे बढ़ाई जा रही अरावली की पुनर्परिभाषा पर रोक लगा दी है।
रमेश ने आरोप लगाया कि सरकार अरावली के संवेदनशील पारिस्थितिकी तंत्र को नष्ट करने पर तुली हुई है, जो दिल्ली, हरियाणा, गुजरात और विशेष रूप से राजस्थान के लिए बेहद महत्वपूर्ण है- राजस्थान के उन 19 जिलों के लिए जहां से पर्यावरण मंत्री आते हैं। रमेश ने कहा कि वह सरिस्का अभ्यारण्य में बाघों के महत्वपूर्ण आवास की सीमाओं को फिर से निर्धारित करने में व्यस्त हैं और अरावली पर वह गहलोत और मुझ पर राजनीति करने का आरोप लगा रहे थे, और आज सुप्रीम कोर्ट में उनका पर्दाफाश हो गया है। इस बीच अशोक गहलोत ने सोमवार को सर्वोच्च न्यायालय के उस फैसले का स्वागत किया जिसमें उसने 20 नवंबर के उस फैसले को स्थगित कर दिया था जिसमें उसने केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय द्वारा अरावली पहाडिय़ों और अरावली पर्वतमाला की परिभाषा को स्वीकार किया था। उन्होंने कहा, हमें बहुत खुशी है कि सर्वोच्च न्यायालय ने आज स्थगन आदेश जारी किया है। हम इसका स्वागत करते हैं और आशा करते हैं कि सरकार भी जनता की इच्छा को समझेगी। चारों राज्यों की जनता, और वास्तव में पूरे देश की जनता, इस आंदोलन में शामिल हुई है, सडक़ों पर उतरी है, मीडिया को बयान दिए हैं और विभिन्न रूपों में विरोध प्रदर्शन किया है। यह समझ से परे है कि मंत्री इसे क्यों नहीं समझ पा रहे हैं।

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