सुप्रीम कोर्ट का आदेश: एएमयू को एफएमजी इंटर्न्स का लंबित वजीफा दो सप्ताह में जारी करने का निर्देश

कोर्ट ने पाया कि एफएमजी को भारतीय मेडिकल स्नातकों (आईएमजी) के समान काम करने के बावजूद वजीफा नहीं दिया जाना भेदभावपूर्ण है.

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क: सुप्रीम कोर्ट ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) को बड़ा निर्देश जारी करते हुए कहा है कि विश्वविद्यालय के जे. एन. मेडिकल कॉलेज में इंटर्नशिप कर रहे विदेशी मेडिकल स्नातकों (Foreign Medical Graduates – FMGs) को दो सप्ताह के भीतर उनका लंबित वजीफा जारी किया जाए।कोर्ट ने पाया कि एफएमजी को भारतीय मेडिकल स्नातकों (आईएमजी) के समान काम करने के बावजूद वजीफा नहीं दिया जाना भेदभावपूर्ण है.

सुप्रीम कोर्ट ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) को बड़ा निर्देश दिया है. कोर्ट ने कहा है कि एएमयू के एक कॉलेज जे. एन. मेडिकल कॉलेज में इंटर्नशिप कर रहे विदेशी मेडिकल स्नातकों (एफएमजी) के एक समूह को दो सप्ताह के भीतर लंबित वजीफा जारी किया जाए. अनुच्छेद 32 के तहत दायर याचिका में ये कहा गया है कि एएमयू में भारतीय मेडिकल स्नातकों (आईएमजी) को हर महीने ₹26,300 का वजीफा मिलता है. जबकि एफएमजी को एनएमसी नियमों के तहत अनिवार्य इंटर्नशिप के दौरान समान कर्तव्यों का पालन करने के बावजूद कुछ भी भुगतान नहीं किया जा रहा है.

जस्टिस सुधांशु धूलिया और जस्टिस अरविंद कुमार की पीठ ने कहा, एफएमजी को वजीफा देने से इनकार करना मनमाना और भेदभावपूर्ण है. खासकर ये देखते हुए कि बीएचयू जैसे अन्य केंद्रीय विश्वविद्यालय समान रूप से वजीफा देते हैं. यूजीसी अनुदान से वेतन मद (ओएच-36) के तहत धनराशि उपलब्ध होने के बावजूद एएमयू प्रशासनिक आदेशों के अभाव का हवाला देते हुए भुगतान करने में विफल रहा है.

एक अन्य मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी टिप्पणी की. दरअसल, मामला नोएडा का है, इसमें आवारा कुत्तों को खाना देने पर परेशान किए जाने का आरोप लगाने वाली एक याचिका दायर की गई है. इस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट याचिकाकर्ता से पूछा, आप आवारा कुत्तों को अपने घर में खाना क्यों नहीं देते हैं? जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ ने कहा, क्या हमें इन बड़े दिल वाले लोगों के लिए हर गली खुली छोड़ देनी चाहिए?

आप आवारा कुत्तों को घर में खाना क्यों नहीं देते?
कोर्ट ने कहा कि इन जानवरों के लिए तो पूरी जगह है लेकिन इंसानों के लिए जगह नहीं है. आप आवारा कुत्तों को घर में खाना क्यों नहीं देते? ये याचिका इलाहाबाद हाई कोर्ट के मार्च 2025 के आदेश से जुड़ी है. कोर्ट की टिप्पणी पर याचिकाकर्ता ने कहा कि उसको परेशान किया जा रहा है. वो सड़क पर रहने वाले कुत्तों को खाना देने में असमर्थ है.

याचिकाकर्ता ने पशु जन्म नियंत्रण नियमावली-2023 का हवाला दिया. इसका नियम-20 आवारा पशुओं के भोजन से जुड़ा है. हालांकि, सुनवाई के दौरान कोर्ट ने ये भी कहा कि हम आपको अपने घर में एक आश्रय स्थल खोलने का सजेशन देते हैं. आप गली-मोहल्ले के कुत्तों को अपने घर में खाना दें. याचिकाकर्ता ने नियमों के अनुपालन का दावा किया. उसने कहा कि नगर प्राधिकार ग्रेटर नोएडा में तो ऐसे स्थान बना रहा है लेकिन नोएडा में नहीं.

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