बेनामी कानून पर खुली अदालत में हो बहस, केंद्र की याचिका पर सुनवाई के लिए तैयार सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट बेनामी कानून पर फैसले की समीक्षा के लिए केंद्र की याचिका पर विचार करने के लिए सहमत है। केंद्र सरकार ने बेनामी संपत्ति पर कानून के कई प्रावधानों को रद करने के फैसले की खुली अदालत में समीक्षा की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।
अपनी संपत्ति को छिपाने के लिए जब कोई शख्स दूसरे के नाम से संपत्ति खरीदता है तो इसे बेनामी संपत्ति कहते हैं। कहने को तो नाम दूसरे का होता है लेकिन असल में संपत्ति पर उसी का अधिकार होता जिसने खरीदी होती है। आमतौर पर ऐसी संपत्ति काले धन या आमदनी के ज्ञात स्रोतों के बाहर से खरीदी जाती है। अगर खरीदने वाले ने अपने धन से पत्नी, बेटे, अन्य परिवार के लोगों या करीबी के नाम से संपत्ति खरीदी हो तो भी ये बेनामी संपत्ति कही जाएगी। बेनामी संपत्ति खरीदने वाला व्यक्ति कानूनी मिल्कियत अपने नाम नहीं रखता, लेकिन सम्पत्ति पर किसी ना किसी तरह कब्जा जरूर रखता है।
भारत में बढ़ते काले धन की समस्या से निजात पाने के लिए मोदी सरकार ने नवंबर 2016 में नोटबंदी लागू की। इसी दिशा में सरकार ने एक कदम और आगे बढ़ाकर बेनामी सपत्ति कानून, 1988 में परिवर्तन किया। वर्ष 2016 में इसमें संशोधन हुआ। संशोधित कानून एक नवंबर, 2016 से लागू हो गया। संशोधित बिल में ही बेनामी संपत्तियों को जब्त करने और उन्हें सील करने का अधिकार है। ये कानून केंद्र सरकार को बेनामी संपत्ति जब्त करने का अधिकार देता है।

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