बाल यौन शोषण पर सुप्रीम कोर्ट सख्त, कहा- स्किन-टू-स्किन टच के बिना भी लागू होगा पॉक्सो एक्ट

हाईकोर्ट के फैसले को पलटा, कहा ऐसे तो खत्म हो जाएगा पॉक्सो का मकसद

4पीएम न्यूज नेटवर्क. नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने आज बांबे हाईकोर्ट के उस फैसले को पलटते हुए बड़ा फैसला सुनाया है जिसमें कहा गया था कि यौन उत्पीड़न के लिए स्किन-टू- स्किन टच होना जरूरी है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि पॉक्सो एक्ट में स्किन-टू स्किन टच जरूरी नहीं है। यह नहीं कहा जा सकता है कि यौन उत्पीड़न की मंशा से कपड़े के ऊपर से बच्चे के संवेदनशील अंगों को छूना यौन शोषण नहीं है अगर ऐसा कहा जाएगा तो बच्चों को यौन शोषण से बचाने के लिए बनाए गए पॉक्सो एक्ट खत्म हो जाएगा। यही नहीं सुप्रीम कोर्ट ने आरोपी को तीन साल की सजा भी सुनाई।

बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच ने यौन उत्पीड़न के एक आरोपी को यह टिप्पणी करते हुए बरी कर दिया था कि अगर आरोपी और पीड़िता के बीच कोई सीधा स्किन-टू-स्किन टच नहीं है तो पॉक्सो एक्ट के तहत यौन उत्पीड़न का कोई अपराध नहीं बनता है। इससे पहले, शीर्ष अदालत ने फैसलों पर रोक लगाते हुए महाराष्ट्र सरकार को नोटिस जारी किया था और अटॉर्नी जनरल को फैसले के खिलाफ अपील दायर करने की अनुमति दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने 30 सितंबर को मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।

तीन सदस्यीय पीठ ने सुनाया फैसला
जस्टिस यूयू ललित, जस्टिस रवींद्र भट्ट और जस्टिस बेला त्रिवेदी की तीन-सदस्यीय पीठ ने यह फैसला सुनाया और कहा कि यह नहीं कहा जा सकता कि कपड़े के ऊपर से बच्चे के संवेदनशील अंगों का स्पर्श यौन शोषण नहीं है। ऐसी परिभाषा बच्चों को शोषण से बचाने के लिए बने पॉक्सो एक्ट के मकसद को खत्म कर देगी।

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