कोल इंडिया को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया फैसला पीएसयू पर लागू होंगे सीसीआई के कानून

नई दिल्ली। भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने गुरुवार को कहा कि कोल इंडिया लिमिटेड पर कंप्टीशन एक्ट लागू होगा, जिसका वह बार—बार विरोध कर रहा था। मेरिट के आधार पर इस इश्यू को तय करने के लिए मामला कंप्टीशन कमीशन ऑफ इंडिया यानी सीसीआई को वापस भेज दिया गया है। सीसीआई ने नॉन कुकिंग कोयले की सप्लाई के लिए पॉवर प्रोड्यूसर्स के साथ फ्यूल सप्लाई एग्रीमेंट में अनुचित/भेदभावपूर्ण शर्तें लगाने के लिए कोल इंडिया पर 1,773।05 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया था। हालांकि, कंप्टीशन एपीलेट ट्रिब्यूनल के हस्तक्षेप के बाद जुर्माना घटाकर 591 करोड़ रुपये कर दिया गया।
सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को फैसला सुनाया कि प्रतिस्पर्धा अधिनियम, 2002 पब्लिक सेक्टर की कंपनी, कोल इंडिया लिमिटेड पर लागू होगा। जस्टिस केएम जोसेफ, बीवी नागरत्ना और अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की बेंच ने यह फैसला दिया। कोर्ट ने कोल इंडिया की इस दलील को खारिज कर दिया कि कोयला खदान अधिनियम के कारण कंप्टीशन एक्ट उन पर लागू नहीं होता है।
फैसला कई अपीलों के बैच की सुनवाई के बाद आया, जिनमें से प्रमुख याचिका कोल इंडिया की एक याचिका थी जिसमें पूर्व प्रतिस्पर्धा अपीलीय न्यायाधिकरण के दिसंबर 2016 के फैसले को चुनौती दी गई थी। कॉम्पिटिशन एपीलेट ट्रिब्यूनल ने साल 2014 में कोल इंडिया की उस चुनौती को खारिज कर दिया था, जिसके खिलाफ सीसीआई ने अपना फैसला सुनाया था। सीसीआई ने नियमों के तहत कोल इंडिया को अपनी डॉमिनेंस का दुरुपयोग का दोषी पाया था। जिसके बाद सीसीआई ने कोल इंडिया को ‘इस तरह के प्रतिस्पर्धा-विरोधी आचरण को बंद करने’ का निर्देश दिया था।
शुरुआत में सीसीआई ने कोल इंडिया पर 1733।05 करोड़ का जुर्माना लगाया था, जिसके कॉम्पैट घटाकर 591।01 करोड़ रुपये कर दिया गया था। कंप्टशन पर नजर रखने वाली संस्था ने महाराष्ट्र स्थित कोयले से चलने वाली थर्मल पावर जनरेशन कंपनी साई वर्धा द्वारा दायर सूचना पर कार्रवाई की थी।

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