महाराष्ट्र विधानसभा अध्यक्ष को ‘सुप्रीम’ नोटिस

  • अयोग्यता मामले में बढ़ सकती हैं शिंदे गुट की मुश्किलें
  • कोर्ट ने दो हफ्तों में स्पीकर से मांगा जवाब
  • उद्धव गुट के विधायक सुनील प्रभु ने मामले में देरी होने पर दायर की थी याचिका

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। महाराष्ट्र की सियासत में मची हलचल अभी थमने का नाम नहीं ले रही है। महाराष्ट्र की सियासत में आए दिन कुछ ऐसा घट जाता है जिससे एक बार फिर राज्य की सियासत में ऊफान आ जाता है। एनसीपी में टूट और शिंदे गुट के भविष्य की चर्चाओं के बीच आज सुप्रीम कोर्ट ने शिंदे गुट के 16 विधायकों को अयोग्य घोषित करने के मामले पर सुनवाई की। जिसके बाद कोर्ट ने महाराष्ट्र विधानसभा स्पीकर को नोटिस भेज दिया है और दो हफ्ते में जवाब भी मांगा है।
दरअसल, मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) गुट के विधायक सुनील प्रभु की याचिका पर सुनवाई करते हुए आज महाराष्ट्र विधानसभा स्पीकर राहुल नार्वेकर को नोटिस जारी कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने ये नोटिस सीएम एकनाथ शिंदे समेत बागी नेताओं की अयोग्यता के मामले पर ये नोटिस जारी किया है। मामले की अगली सुनवाई 2 हफ्ते बाद होगी।

पिछली सुनवाई में कोर्ट ने विधानसभा अध्यक्ष पर छोड़ा था फैसला

बता दें कि इससे पहले 11 मई को मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया था कि अगर उद्धव ठाकरे फ्लोर टेस्ट से पहले इस्तीफा न देते तो उनकी सरकार को बहाल किया जा सकता था। लेकिन अब ऐसा नहीं हो सकता। इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने गवर्नर और स्पीकर की भूमिका पर सख्त टिप्पणी की थी। सुप्रीम कोर्ट ने राज्यपाल के फ्लोर टेस्ट को गलत भी ठहराया था। इसी दौरान सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा था कि अब विधायकों के भविष्य पर फैसला स्पीकर करेंगे। कोर्ट ने कहा था कि अब स्पीकर को शिवसेना के 16 बागी विधायकों पर जल्द फैसला करना चाहिए। लेकिन इस फैसले को दो महीने बीत जाने के बाद भी स्पीकर ने कोई फैसला नहीं लिया। इसलिए अब उद्धव गुट ने सुप्रीम कोर्ट में फिर याचिका दी थी। जिस पर आज कोर्ट ने सुनवाई कर विधानसभा स्पीकर को नोटिस जारी कर दिया है।

उद्धव गुट का आरोप-विधानसभा अध्यक्ष जानबूझकर कर रहे देरी

उद्धव ठाकरे गुट के नेता सुनील प्रभु ने अपनी याचिका में कहा कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के सहयोगी विधायकों की अयोग्यता का मामला स्पीकर के पास काफी समय से लंबित है। विधानसभा अध्यक्ष जानबूझकर इस मामले में देरी कर रहे हैं। याचिका में आरोप लगाया गया है कि स्पीकर राहुल नार्वेकर कोर्ट के 11 मई के फैसले के बावजूद जानबूझकर फैसले में देरी कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हम सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध करते हैं, स्पीकर से जल्द फैसला लेने के लिए कहें। अयोग्यता संबंधी याचिकाएं एक साल से अधिक समय से लंबित हैं। बता दें कि सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ के नेतृत्व वाली जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस मनोज मिश्रा की तीन जजों की बेंच इस मामले में सुनवाई कर रही है।

सिसोदिया की जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने ईडी-सीबीआई को किया तलब

  • 28 जुलाई को होगी मामले की अगली सुनवाई
  • हाईकोर्ट से दो बार याचिका खारिज होने के बाद सर्वोच्च न्यायालय पहुंचे मनीष
  • दोनों सरकारी एजेंसियों को कोर्ट ने भेजा नोटिस

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। शराब घोटाले में घिरे दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान उच्चतम न्यायालय ने सीबीआई और ईडी को नोटिस जारी कर दिया है। अब मामले की अगली सुनवाई 28 जुलाई को होनी तय हुई है। गौरतलब है कि सिसोदिया शराब घोटाला मामले में लगभग 5 महीना पहले गिरफ्तार हुए थे। इस दौरान हाईकोर्ट उनकी जमानत याचिका खारिज कर चुका है।हाईकोर्ट से जमानत खारिज होने के बाद ही दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। 10 जुलाई को वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के सामने यह मामला रखा था और तत्काल सुनवाई की मांग की थी, जिसे सीजेआई ने स्वीकार कर लिया था।

आबकारी नीति मामले में आरोपी हैं सिसोदिया

केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) दिल्ली में आबकारी नीति में कथित अनियमितता को लेकर जांच कर रहा है। ये मामला मनीष सिसोदिया के उपमुख्यमंत्री कार्यकाल का है। उस दौरान सिसोदिया के पास आबकारी विभाग का भी जिम्मा था। सीबीआई ने आबकारी घोटाले में कथित भूमिका के लिए उन्हें आरोपी बनाया था। इसी साल 26 फरवरी को मनीष सिसोदिया को गिरफ्तार किया गया था, तब से वे जेल में हैं।

हाईकोर्ट से दो बार लग चुका है झटका

जमानत को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट से मनीष सिसोदिया को दो बार झटका लग चुका है। 30 मई को हाई कोर्ट ने जमानत देने से इनकार कर दिया था। अदालत ने कहा था कि सिसोदिया उच्च पद पर थे। ऐसे में वे यह नहीं कह सकते कि आबकारी नीति मामले में उनकी कोई भूमिका नहीं है। इसके पहले तीन जुलाई को आबकारी नीति से ही जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में हाई कोर्ट ने सिसोदिया की जमानत अर्जी खारिज कर दी थी।

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