रामचरितमानस पर टिप्पणी मामले में स्वामी प्रसाद मौर्य को SC से मिली राहत

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने आज समाजवादी पार्टी नेता स्वामी प्रसाद मौर्य को बड़ी राहत दी है। कोर्ट ने तुलसीदास की रामचरितमानस पर स्वामी प्रसाद मौर्य की कथित विवादास्पद टिप्पणी से संबंधित एक मामले में उनके खिलाफ आपराधिक कार्यवाही पर रोक लगा दी है। न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने उत्तर प्रदेश सरकार को भी नोटिस जारी किया और मामले में उससे जवाब मांगा। कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि आप इन चीजों को लेकर इतने संवेदनशील क्यों हैं? यह व्याख्या का मामला है।

सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था, जिसने तुलसीदास की ‘रामचरितमानस’ के खिलाफ टिप्पणियों के मामले में प्रतापगढ़ जिला अदालत में कानूनी कार्यवाही को रद्द करने का निर्देश देने की उनकी याचिका खारिज कर दी थी। आज सुनवाई के दौरान न्यायमूर्ति मेहता ने उत्तर प्रदेश की ओर से पेश वकील से पूछा कि यह उनकी (मौर्य) राय है। यह कैसे अपराध है?

दिया था ये बयान

यूपी के पूर्व मंत्री मौर्य पर यह बयान देने का आरोप लगाया गया है कि रामचरितमानस की कुछ चौपाई समाज के एक बड़े वर्ग का अपमान करती हैं और इसलिए उन पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए। मौर्य ने कथित तौर पर कहा कि हिंदुओं का पवित्र ग्रंथ (रामचरितमानस) तुलसीदास द्वारा आत्म-प्रशंसा के लिए लिखा गया था, जिसमें उन्होंने दलितों, आदिवासियों और पिछड़ों को उनकी जातियों को लेकर कई बातें कही हैं। उन्होंने कथित तौर पर रामचरितमानस की दो चौपाइयों को महिलाओं, दलितों, आदिवासियों और पिछड़े वर्ग के लोगों के खिलाफ होने पर आपत्ति जताई थी।

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