केशव के समर्थन में आए स्वतंत्र देव
- अब मंत्री भी बोले, संगठन से सरकार बनती है, सरकार से संगठन नहीं
लखनऊ। प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य के ‘संगठन सरकार से बड़ा होता हैÓ बयान से खलबली मचने के बाद अब प्रदेश सरकार के मंत्रियों ने भी कहा है कि संगठन से सरकार बनती है, सरकार से संगठन नहीं। संगठन से सरकार में गए इन मंत्रियों ने मौर्य के बयान का समर्थन किया है। इनमें जलशक्ति मंत्री स्वतंत्रदेव सिंह सहित करीब आधा दर्जन मंत्री ऐसे हैं जो भाजपा में पदाधिकारी भी हैं। स्वतंत्र देव ने कहा कि संगठन सरकार से बड़ा होता है। सरकार और संगठन का काम जनता का कल्याण और प्रदेश का विकास करना है। सरकार तो संगठन का बाय प्रोडक्ट है। सरकार तो कभी रहती है कभी नहीं रहती है, लेकिन संगठन सदैव रहता है। संगठन के कारण ही सरकार बनती है। परिवहन राज्यमंत्री दयाशंकर सिंह कहते हैं कि सरकार का काम अलग है, संगठन का अलग है। पार्टी विचारधारा पर चलती है, इसलिए वह बड़ी है। सरकार व संगठन में कोई टकराव नहीं है। संगठन पूरे देश का होता है, सरकार एक प्रदेश की होती है। सरकार में संगठन का दखल नहीं है, संगठन में सरकार का दखल नहीं है। पिछड़ा वर्ग कल्याण राज्यमंत्री स्वतंत्र प्रभार एवं प्रदेश अध्यक्ष भाजपा ओबीसी मोर्चा नरेंद्र कश्यप ने कहा कि मौर्य के बयान से पूरी पार्टी सहमत है। सत्ता का सृजन संगठन से होता है। सरकार से संगठन का सृजन नहीं होता है। संगठन से ही सरकार बनती है, इसलिए केशव का बयान बिल्कुल ठीक है।
आजम खां की मुश्किलें फिर बढ़ी, 26 को होगी सुनवाई
रामपुर। शहर विधायक आजम खां के खिलाफ एससी-एसटी एक्ट के मुकदमे में सोमवार को सुनवाई हुई। अब अदालत ने इस मामले में 26 अगस्त नियत की है। एससी-एसटी एक्ट का अभियोग वर्ष 2007 में टांडा थाने में पंजीकृत हुआ था। विधानसभा चुनाव प्रचार के लिए आजम खां द्वारा टांडा में जनसभा की गई थी। बसपा के नेता रहे धीरज कुमार शील ने आजम खां के खिलाफ जनसभा को संबोधित करते समय जातिसूचक शब्दों का प्रयोग करते करने का आरोप लगाया था। पुलिस ने विवेचना के बाद कोर्ट में चार्जशीट पेश कर दी थी। अब इसकी सुनवाई एमपी-एमएलए कोर्ट (सेशन ट्रायल) में चल रही है। वादी की मृत्यु हो चुकी है। दूसरी ओर सोमवार को यतीमखाना प्रकरण के दो और डूंगरपुर प्रकरण में तीन मामलों की भी सुनवाई हुई। अदालत ने यतीमखाना प्रकरण के मामलों में 29 और डूंगरपुर प्रकरण के मामलों में 30 अगस्त तय की हैॅ। उधर, विधायक अब्दुल्ला के खिलाफ सोमवार को पासपोर्ट और पैन कार्ड मामले में सुनवाई नहीं हो सकी। हालांकि दोनों मुकदमों में गवाह सहायक निर्वाचन अधिकारी राजेश कुमार कोर्ट आए थे, लेकिन अधिवक्ता न्यायालय में कार्य करने नहीं गए।
अदालत ने अब इस मामले में पहली सितंबर सुनवाई के लिए नियत की है। अब्दुल्ला के खिलाफ भाजपा नेता आकाश सक्सेना ने अलग-अलग जन्मतिथि के दो पैन कार्ड और दो पासपोर्ट बनाने के आरोप में अभियोग पंजीकृत कराया था, जिसकी सुनवाई चल रही है। उधर, पूर्व पालिकाध्यक्ष अजहर खां भी पुलिस अभिरक्षा में मुरादाबाद जेल से यहां आए थे। उन्हें भी पुलिस वापस ले गई। शहर विधायक आजम खां के खिलाफ भी पांच दिन पहले दो मुकदमों के वादियों को धमकाने के मुकदमे दर्ज कराए गए हैं। पुलिस इन मामलों की विवेचना में जुटी है। सपाइयों ने भी एसपी और डीआइजी से मिलकर निष्पक्ष जांच कराने की मांग की थी। पुलिस ने अब सुबूत जुटाने शुरू कर दिए हैं।
बृजभूषण शरण अपराध स्वीकार करें तो कार्यवाही समाप्त की जाए : हाईकोर्ट
लखनऊ। इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने भाजपा सांसद बृजभूषण शरण सिंह को बड़ी राहत दी है। हाईकोर्ट ने निचली अदालत को आदेश दिया है कि अगर वह आत्मसमर्पण कर अपराध स्वीकार करते हैं तो उन्हें कारावास की सजा देने के बजाय जुर्माना लगाया जाए व कार्यवाही को समाप्त कर दिया जाए। साथ ही कोर्ट ने इसी मामले में लोकसेवक के आदेश की अवहेलना के आरोप को निरस्त कर दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह की एकल पीठ ने सांसद की याचिका पर दिया। याची के विरुद्ध गोंडा के कोतवाली नगर थाने में वर्ष 2014 में एफआईआर दर्ज की गई थी। इसमें आरोप लगाया गया था कि उन्होंने धारा 144 का उल्लंघन करते हुए लोकसेवक के आदेश की अवहेलना की और सदोष अवरोध उत्पन्न किया। मामले में विवेचना के बाद पुलिस ने सांसद के खिलाफ निचली अदालत में आरोप पत्र दाखिल कर दिया था। इस पर संज्ञान लेते हुए एसीजेएम प्रथम गोंडा ने 22 जनवरी 2018 को बृजभूषण शरण सिंह को हाजिर होने के लिए समन आदेश जारी किया था। बृजभूषण ने आरोप पत्र व समन आदेश को चुनौती दी गई है। धारा 141 के तहत एक माह के कारावास अथवा पांच सौ रुपये जुर्माना अथवा दोनों की सजा को देखते हुए याची की ओर से प्रार्थना की गई कि वह 10 दिनों के भीतर संबधित अदालत के समक्ष हाजिर होकर अपराध स्वीकार कर लेगा।