जातीय जनगणना पर तेजस्वी यादव का पीएम मोदी को लेटर, जाति जनगणना एक परिवर्तनकारी क्षण हो सकता है..,

तेजस्वी ने लिखा कि मैं आपको वास्तविक सामाजिक परिवर्तन के लिए जनगणना के निष्कर्षों का उपयोग करने में रचनात्मक सहयोग का आश्वासन देता हूं.

4पीएम न्यूज नेटवर्कः केंद्र सरकार द्वारा हाल ही में जातीय जनगणना कराने के फैसले के बाद देश की सियासत में हलचल मच गई है। तमाम विपक्षी दल इस फैसले को अपनी जीत बता रहे हैं और इसका ऋेय लेने की होड़ में जुटा हुए है। इसी पड़ी में बिहार के उपमुख्यमंत्री और राजद नेता तेजस्वी यादव ने प्रधानमंत्री वरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखा है, जो उन्होंने सोशल मीडिया पर साझा भी किया है।

तेजस्वी यादव ने अपने पत्र में केंद्र सरकार के जातीय जनगणना के फैसले का स्वागत किया है, लेकिन साथ ही उन्होंने मंडल आयोग की सिफारिश को पूरी तरह लागू करने की मांग भी उठाई हैं। उन्होंने पत्र में खासतौर पर निजी क्षेत्र, अनुबंधों और न्यायपालिका में आरक्षण लागू करने की आवश्यकता पर बल दिया है। तेजस्वी ने कहा कि जातीय जनगणना सिर्फ आंकड़ों का संग्रह नहीं, बल्कि सामाजिक न्याय की दिशा में एक बड़ा कदम है। उन्होंने सरकार से आग्रह किया कि केवल जनगणना कराने तक सीमित न रहकर, उसके आधार पर ठोस नीतिगत फैसले लिए जाएं, जिससे वंचित तबकों को वास्तविक प्रतिनिधित्व और अधिकार मिल सके। बिहार में आगामी विधानसभा चुनावों से पहले तेजस्वी यादव का यह पत्र राजनीतिक गलियारों में चर्चा का विषय बना हुआ है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह मुद्दा चुनावों में एक बड़ा राजनीतिक हथियार बन सकता है।

तेजस्वी यादव ने सोशल मीडिया पर पत्र शेयर करते हुए लिखा कि जाति जनगणना कराने का निर्णय हमारे देश की समानता की यात्रा में एक परिवर्तनकारी क्षण हो सकता है. इस जनगणना के लिए संघर्ष करने वाले लाखों लोग सिर्फ डेटा नहीं बल्कि सम्मान, सिर्फ गणना नहीं बल्कि सशक्तिकरण का इंतजार कर रहे हैं. तेजस्वी यादव ने इस पत्र में प्राइवेट सेक्टर में आरक्षण, कॉन्ट्रेक्ट में आरक्षण, न्यायपालिका में आरक्षण और मंडल आयोग की पूरी सिफारिशों की इंप्लीमेंटेशन की मांग की है.

तेजस्वी यादव ने पीएम मोदी को लिखे पत्र में कहा कि हाल ही में आपकी सरकार की तरफ से राष्ट्रव्यापी जाति जनगणना कराने की घोषणा के बाद, मैं आज आपको आशावाद की भावना के साथ लिख रहा हूं. वर्षों से, आपकी सरकार और एनडीए गठबंधन ने जाति जनगणना के आह्वान को विभाजनकारी और अनावश्यक बताकर खारिज कर दिया है. जब बिहार ने अपना जाति सर्वेक्षण कराने की पहल की तो सरकार और आपकी पार्टी के शीर्ष कानून अधिकारी सहित केंद्रीय अधिकारियों ने हर कदम पर बाधाएं खड़ी कीं थी. आपकी पार्टी के सहयोगियों ने इस तरह के डेटा संग्रह की आवश्यकता पर ही सवाल उठाया था.

आगे लिखा कि आपका से फैसला उन नागरिकों की मांगों की स्वीकार्यता का प्रतिनिधित्व करता है, जिन्हें लंबे समय से हमारे समाज के हाशिये पर धकेल दिया गया है. बिहार जाति सर्वेक्षण, जिसमें पता चला कि ओबीसी और ईबीसी हमारे राज्य की आबादी का लगभग 63% हिस्सा हैं, ने यथास्थिति बनाए रखने के लिए बनाए गए कई मिथकों को तोड़ दिया. इसी तरह के पैटर्न पूरे देश में सामने आने की संभावना है. तेजस्वी ने लिखा कि मैं आपको वास्तविक सामाजिक परिवर्तन के लिए जनगणना के निष्कर्षों का उपयोग करने में रचनात्मक सहयोग का आश्वासन देता हूं. इस जनगणना के लिए संघर्ष करने वाले लाखों लोग न केवल आंकड़ों की बल्कि सम्मान की, न केवल गणना की बल्कि सशक्तिकरण की प्रतीक्षा कर रहे हैं.

बिहार चुनाव से पहले सरकार का बड़ा ऐलान
आपको बता दें,कि साल के अंत में बिहार में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, ऐसे में बीजेपी ने अभी से अपनी पिच तैयार करना शुरू कर दी है. इसकी शुरुआत कैबिनेट की तरफ से लिए जातीय जनगणना के फैसले ने कर दी है. तमाम विपक्षी दल ये मांग लंबे समय से कर रहे हैं. यही कारण है कि इसका श्रेय हर कोई लेने के लिए आतुर नजर आ रहा है. हालांकि देखना होगा कि इस फैसले का असर साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव पर क्या पड़ता है.

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