तमिलनाडु सरकार और राज्यपाल के बीच नहीं थम रहा है विवाद, राष्ट्रपति से की हस्तक्षेप की मांग

चेन्नई। तमिलनाडु सरकार बनाम राज्यपाल विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने इस मामले में अब राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु से हस्तक्षेप की मांग की है।
दिल्ली में सांसद टीआर बालू, राज्य के कानून मंत्री एस रघुपति, सांसद विल्सन, सांसद एनआर एलंगो सहित डीएमके के प्रतिनिधियों ने राष्ट्रपति मुर्मू से मुलाकात की और उन्हें एक सीलबंद लिफाफे में एक पत्र दिया।
तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि का राज्य सरकार के साथ राजनीतिक वैचारिक संघर्ष चल रहा है। इसी बीच राष्ट्रपति से मिलकर राज्यपाल को विभिन्न मामलों पर कैबिनेट के निर्देशों का पालन करने के लिए कहने का आग्रह किया गया है।
राज्य सरकार की एक विज्ञप्ति में मुख्यमंत्री द्वारा राष्ट्रपति को लिखे गए पत्र में प्रमुख बिंदुओं का उल्लेख किया गया है, जो कानून मंत्री एस रघुपति के नेतृत्व वाले प्रतिनिधिमंडल ने उन्हें दिन में नई दिल्ली में सौंपा था। 9 जनवरी के घटनाक्रम का विवरण देते हुए, जहां राज्यपाल राज्य विधानसभा में सरकार द्वारा तैयार किए गए अपने अभिभाषण से भटक गए, स्टालिन ने उन्हें बताया कि यह सदन की परंपराओं के खिलाफ था।
विज्ञप्ति में आगे कहा गया है कि स्टालिन ने मुर्मु को सूचित किया कि राज्यपाल को राजनीति से ऊपर होना चाहिए, लेकिन राज्यपाल रवि राज्य सरकार सरकार के साथ राजनीतिक रूप से वैचारिक संघर्ष कर रहे हैं, जो हमारे संविधान के पूरी तरह से विरोधाभासी है।
स्टालिन ने कहा कि राज्यपाल तमिल लोगों की संस्कृति, साहित्य और न्यायसंगत राजनीति के विरोधी हैं। वे तमिलनाडु में द्रविड़ नीतियों, समानता, सामाजिक न्याय और तर्कसंगत सोच जैसी अवधारणाओं को स्वीकार नहीं कर सकते हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि रवि सार्वजनिक मंचों पर तमिल संस्कृति, साहित्य और सामाजिक व्यवस्था के खिलाफ बोल रहे हैं और नौ जनवरी की घटना इसी का विस्तार है। संविधान का अनुच्छेद 163 (1) कहता है कि राज्यपाल को मंत्रिपरिषद की सिफारिशों का पालन करना चाहिए।

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