वक्फ संशोधन बिल पर सरकार को मुंह की खानी पड़ी!

- वक्फ कानून से जुड़ी कुछ धाराओं पर रोक
- वक्फ बोर्ड का सीईओ मुस्लिम समुदाय से हो : सुप्रीम कोर्ट
- सुप्रीम कोर्ट का फैसला : कलेक्टर को वक्फ प्रॉपर्टी विवाद पर फैसला लेने का अधिकार नहीं
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने आज वक्फ संशोधन कानून पर ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए सरकार को करारा झटका दिया है। केंद्र सरकार जो इस कानून को मुसलमानों की धार्मिक संपत्तियों पर नियंत्रण और निगरानी का औजार बताकर संसद से पास करवा लाई थी उस पर अदालत की गाज गिर गई है। सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ कानून से जुड़ी कुछ धाराओं पर रोक लगा दी है।
सरकार व विपक्ष ने फैसले का स्वागत किया है। अदालत ने धारा 3 और धारा 4 पर रोक लगा दी है। सुनवाई के बाद अदालत ने कहा कि हमारे पास पूरे कानून पर रोक लगाने का अधिकार नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये फैसला कानून की संवैधानिकता पर नहीं है। अदालत ने कहा कि वक्फ बोर्ड का सीईओ मुस्लिम समुदाय से हो।
‘गरीब, यतीम के हक का फैसला’
वक्फ कानून पर सुप्रीम कोर्ट के अहम फैसले के बाद देशभर के मुस्लिम नेताओं और धर्मगुरुओं ने प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने इस फैसले को गरीब, यतीम और वंचित मुसलमानों के हित में एक अहम कदम बताया है।
‘जिद से ज्यादा कुछ नहीं’
कांग्रेस सांसद इमरान प्रतापगढ़ी ने कहा है कि मैं इसे एक जीत के तौर पर देखता हूं। हम इस लड़ाई को संसद से सड़क तक लड़ रहे हैं। याचिकाकर्ता खुश हैं और सरकार की साजिश पर बड़े पैमाने पर रोक लगी है। उन्होंने कहा कि सरकार की नीयत पर सवाल उठे थे। उस षड्यंत्र को रोक दिया गया है। मैं उन सभी को बधाई देता हूं जिन्होंने यह लड़ाई लड़ी, लेकिन सरकार कैसे खुश हो सकती है? सरकार की साजिश का एक बड़ा हिस्सा रुक चुका है और अगर उसके बावजूद सरकार खुश होने का दावा करती है तो यह उसकी जिद के अलावा और कुछ नहीं है।
पांच साल तक इस्लाम का अभ्यास करने का नियम स्थगित
धारा 3(1)(आर), जिसके तहत वक्फ बनाने के लिए किसी व्यक्ति का पांच साल तक इस्लाम का अभ्यास करना अनिवार्य है, को स्थगित कर दिया गया है। न्यायालय ने कहा कि यह प्रावधान तब तक स्थगित रहेगा जब तक राज्य सरकारें इस आवश्यकता को सत्यापित करने के लिए नियम नहीं बना लेतीं।
सुप्रीम कोर्ट का धन्यवाद
बरेली के मौलाना शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने कहा है कि मैं सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत और सराहना करता हूं। हमें उम्मीद थी कि कोर्ट गरीब, कमजोर, लाचार, अनाथ, विधवा, मुसलमानों के हितों को ध्यान में रखते हुए फैसला सुनाएगा। वक्फ कानून के लागू होने के बाद जिन अमीर लोगों ने वक्फ की जमीनों पर अवैध कब्जा कर रखा है, उन्हें हटाया जाएगा और इनका इस्तेमाल स्कूल, कॉलेज, अस्पताल, मस्जिद, मदरसे और अनाथालय बनाने में किया जाएगा।
हस्तक्षेप पर न्यायालय की चेतावनी
मुख्य न्यायाधीश गवई ने यह भी दोहराया कि पांच साल की प्रैक्टिस के नियम को स्थगित किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि बिना किसी तंत्र के इससे मनमानी शक्ति का प्रयोग होगा। न्यायालय ने जोर देकर कहा कि वह आमतौर पर कानूनों को संवैधानिक मानता है और केवल दुर्लभतम मामलों में ही हस्तक्षेप करता है।
वक्फ संपत्ति सत्यापन संबंधी प्रावधानों पर रोक
सुप्रीम कोर्ट ने धारा 3सी(2) के प्रावधान पर भी रोक लगा दी है, जिसमें कहा गया था कि किसी संपत्ति को तब तक वक्फ संपत्ति नहीं माना जाएगा जब तक कि कोई सरकारी अधिकारी संभावित अतिक्रमण की सूचना न दे। धारा 3सी(3), जिसके तहत अधिकारी को राजस्व रिकॉर्ड को अद्यतन करना और संपत्ति सरकारी होने पर राज्य सरकार को रिपोर्ट करना आवश्यक था, को भी निलंबित कर दिया गया है।
प्रयास जारी रहेंगे
इस्लामिक सेंटर ऑफ इंडिया के चेयरमैन मौलाना खालिद रशीद फिरंगी महली ने बयान जारी करते हुए कहा है कि वक्फ संशोधन अधिनियम के संबंध में सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम आदेश दिया है। इस अंतरिम आदेश से हमें बड़ी राहत मिली है। हालांकि हमारी मांग पूरे कानून पर रोक लगाने की थी फिर भी दी गई राहत पर्याप्त है। प्रयास जारी रहेंगे क्योंकि अभी तक कोई अंतिम निर्देश जारी नहीं हुआ है।




