बाघों के लिए भारी पड़ा साल का आखिरी महीना

लखनऊ। इस माह दिसंबर में 13 बाघों की मौत हुई है जो बीते माह की तुलना में दोगुना से अधिक है। इन बाघों में पांच बाघ अभयारण्य के अंदर ही मारे गए गए। सितंबर में कुल पांच बाघों की मौत हुई थी। इस तरह देश में इस साल मरने वाले बाघों की संख्या बढ़ कर 112 हो गई है।
यह जानकारी केंद्र सरकार की एंजसी राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) के ताजा आंकड़ों से सामने आई है। इससे संबंधित रिपोर्ट बताती है कि दिसंबर में बाघों की मौत होने के मामले केरल, कर्नाटक, तमिलनाडु, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और असम से आए हैं। इनमें सबसे अधिक मामले महाराष्ट्र से संबंधित हैं। इनमें सात नर बाघ, दो मादा बाघ और चार ऐसे बाघ हैं जिनकी पहचान नहीं पाई है। इन बाघों में छह बाघ अभयारण्य क्षेत्र से बाहर और सात अभयारण्य क्षेत्र के अंदर ही मरे पाए गए।
देश में वर्ष 2021 में कुल 127 बाघों की मौत हुई थी। अक्तूबर तक की रिपोर्ट में यह सामने आया था कि 85 में से 50 बाघों की मौत अभयारण्य के अंदर हुई थी। भारत में बाघ की आबादी दुनिया के लगभग 80 फीसद है। इन बाघों के संरक्षण के लिए ही केंद्र सरकार ने अभयारण्य बनाए हैं। रिपोर्ट के मुताबिक 2012 से जुलाई 2022 तक देश के अंदर कुल 1062 बाघ मारे गए हैं। इन बाघों में 565 मतलब 53.2फीसद की मौत अभयारण्य के अंदर हुई है जबकि 374 यानी 35.22 फीसद की मौत अभयारण्य के अंदर ही हुई है। इन मौतों में से 123 यानी 11.58 फीसद मृत बाघ जब्त किए गए हैं।

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