महीनों से यूपी में नहीं है विदेशी शराब क्या खेतान हैं इस गेम प्लान के पीछे!

सरकार को करोड़ों का नुकसान और जिसकी बिक रही है उसे करोड़ों का फायदा

  • विदेशी शराब कंपनियों का पंजीयन न कराकर अफसरों ने लाखों-करोड़ों के किए वारे-न्यारेरेडिको खेतान कंपनी के मालिक ललित
  • खेतान पर मेहरबान रहता है आबकारी महकमा
  • जहरीली शराब पीकर मर गए सैकड़ों लोग मगर प्रमुख सचिव और कमिश्नर का नहीं बिगड़ा कुछ

 संजय शर्मा
लखनऊ। अगर आपको विदेशी शराब पीने का शौक है तो आप यूपी से बाहर चले जाइए। आबकारी महकमा अफसरों पर पैसों की बरसात करता है और इस बार अफसरों ने पैसा कमाने के नए-नए तरीके तलाश कर लिए हैं। प्रमुख विदेशी शराब कंपनियों का पंजीयन दो महीने से नहीं किया जा रहा है। लिहाजा लाखों-करोड़ों रुपये की शराब की तस्करी बढ़ गयी है और सरकार को करोड़ों के राजस्व का नुकसान हो रहा है। बताया जाता है कि इस गेम प्लान के पीछे रेडिको खेतान शराब कंपनी है, जिसके मालिक ललित खेतान हैं जो सरकार से कई तरह के धंधे कर रहे हैं। लखनऊ के फाइव स्टार होटलों से लेकर बार तक हर जगह लोग विदेशी शराब को तलाश रहे हैं लेकिन वह कहीं नहीं मिल पा रही है।
दरअसल, एक अप्रैल को सभी कंपनियों को अपने सभी ब्रांडों के रेट का रजिस्ट्रेशन कराना होता है। सबसे अधिक शराब डियाजियो कंपनी बेचती हैं जिसके बड़े ब्रांड में ब्लू लेबल, रेड लेबल, सिंगलटन, टस्कर और ओबान शामिल हैं। आमतौर पर विदेशी शराब के शौकीन इसी ब्रांड का इस्तेमाल करते हैं। इसी तरह पेर्नो-रिकार्ड कंपनी जो शिवास, ग्लैनविट जैसी ब्रांड बनाती है, उसका भी रजिस्ट्रेशन रोक दिया गया है। इन कंपनियों से कहा गया है कि वे अपने रेट कम करें और दिल्ली के रेट पर दें जबकि कंपनियों ने कहा कि चूंकि भाड़ा बहुत बढ़ गया है लिहाजा वे रेट कम नहीं कर पाएंगी। होना यह चाहिए था कि आबकारी महकमे के बड़े अफसरों को इन कंपनियों के लोगों से बात करनी चाहिए थी जिससे सरकार को राजस्व का लाखों-करोड़ों का नुकसान नहीं होता और प्रदेश में शराब की तस्करी नहीं होती मगर बड़े अफसर कुछ और करना चाहते थे। बताया जाता है कि ये अफसर रेडिको खेतान के मालिक ललित खेतान पर कुछ ज्यादा ही मेहरबान हैं। उनकी कंपनी की शराब रामपुर और अन्य ब्रांड तभी ज्यादा बिकती जब इन विदेशी ब्रांडों पर रोक लगी रहती। लिहाजा एक तरफ इन कंपनियों पर रोक लगी रही वहीं ललित खेतान पर अफसरों की मेहरबानी बरकरार रही और उनकी शराब का बढ़ा हुआ रेट भी मंजूर कर लिया गया। लिहाजा खेतान की पांचों उंगलियां घी में हैं। यूपी का आबकारी महकमा लगातार बदनाम हो रहा है। जिलों में बीयर उपलब्ध नहीं है और कई जगहों पर एमआरपी से बढ़े हुए रेट पर बिक रही है। जिन विदेशी शराब कंपनियों पर रोक लगायी गयी है उसकी तस्करी के बाद कुछ लोग उसे भी ब्लैक में बेच रहे हैं।

जहरीली शराब से हर साल होने वाली मौतों का आंकड़ा

साल                    मौत की संख्या
2017                        18
2018                        17
2019                        74
2020                        24
2021                       186

पहली बार सरकारी ठेकों से जहरीली शराब पीकर मरे हैं लोग

आम तौर पर कुछ लोग तस्करी करके शराब लाते हैं या फिर खुद शराब बनाते हैं जिसे पीकर बहुत लोग मर चुके हैं मगर यह पहली बार हुआ है कि सरकारी शराब की दुकानों से लोग शराब पीकर मरे हैं। अलीगढ़ में तो सौ से अधिक लोग शराब पीकर मर गए मगर सरकार के लाडले अफसरों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। आबकारी महकमे के प्रमुख सचिव संजय भूस रेड्डी की कार्यशैली भी विवादों में रही मगर उनका भी कुछ नहीं बिगड़ा।

2021-22 में जहरीली शराब से हुई मौतों की प्रमुख घटनाएं

  • नौ जनवरी 2021 को बुलंदशहर के जीतगढ़ी गांव में जहरीली शराब से छह लोगों की मौत।
  • प्रयागराज में 17 मार्च 2021 को जहरीली शराब पीकर 14 लोगों की मौत।
  • मार्च 2021 में यूपी के चित्रकूट में जहरीली शराब ने 7 लोगों की जान ली।
  • एक अप्रैल 2021 को यूपी के बदायूं में शराब ने तीन लोगों की मौत।
  • अप्रैल 2021 में हाथरस में जहरीली शराब ने 5 लोगों की जान ली।
  • प्रतापगढ़ में अप्रैल 2021 में जहरीली शराब कांड में 7 लोगों की मौत हुई।
  • 10 मई 2021 को यूपी के अंबेडकरनगर में जहरीली शराब से 5 लोगों की मौत हुई।
  • 12 मई 2021 को आजमगढ़ में जहरीली शराब पीकर 33 लोग मौत।
  • अलीगढ़ के टप्पल और अकबराबाद इलाके में मई में एक सप्ताह तक मौत का सिलसिला चला। 106 मौतें रिकॉर्ड में दर्ज।
  • जनवरी 2022 में रायबरेली में जहरील शराब से नौ लोगों की मौत हुई।
  • फरवरी 2022 में आजमगढ़ में जहरीली शराब से 13 लोगों की मौत हुई

सहारनपुर में धड़ल्ले से बनायी जा रही थी जहरीली शराब

विधान सभा चुनाव 2022 का रिजल्ट 10 मार्च को आने वाला था। वहीं यहां शराब माफिया जश्न को मातम में बदलने की तैयारी कर रहे थे। सहारनपुर में यूरिया मिलाकर जहरीली शराब बनाई जा रही थी। यही जहरीली शराब सस्ते दामों में चुनावी रंग में भंग डालने को सस्ते दामों पर बेची जाती। हालांकि इससे पहले सहारनपुर पुलिस ने अवैध शराब का भड़ाफोड़ कर लिया और 2600 लीटर ईएनए, 490 बोतल रसीला संतरा मसालेदार देशी शराब, 31 पव्वे देशी शराब तोहफा मार्का, 8 फ्रूटी, 4 बोतल एसेंस, 4.5 लीटर कलर आदि बरामद किया और पांच लोगों को गिरफ्तार किया।

2019 में सहारनपुर में उत्तराखंड से लायी गई थी शराब

फरवरी 2019 में सहारनपुर में कहर बरपाने वाली शराब उत्तराखंड से लाई गई थी। पुलिस प्रशासन ने दावा किया कि उत्तराखंड के बालुपुर में जो शराब रात्रि भोज के दौरान परोसी गई थी, उसी को पीने से लोगों की मौत हुई। शराब में मिथाइल एल्कोहल की मात्रा ज्यादा थी, जो मौत की वजह बनी। जहरीली शराब पीने से जिले के गागलहेड़ी, नागल और देवबंद क्षेत्र में 47 लोगों की मौत हो गयी थी।

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