ये है एक करोड़ का सांड

नई दिल्ली। क्या आप कभी सोच सकते हैं कि सडक़ों पर छुट्टïा घूमने वाले साड़ों की क्या कीमत हो सकती है. अधिकांश लोगों का यही मानना होगा कि भला सांड़ की क्या कीमत हो सकती ेहै. यूं भी अपने यूपी में इन दिनों छुट्टïा जानवर खासकर गाय और सांड़ों की पहुंच तो राजनीति तक हो चुकी है. खैर हम बात यूपी की नहीं बल्कि कर्नाटक की कर रहा है. वहां कुछ ऐसा वाक्या सामने आया है कि जिसे सुनकर हर कोई हैरान है. अब हम आपको बताते हैं वो वजह जिसके लिए हमे इस खबर को लिखने से पहले सांड़ों की ओर अपना रुख करना पड़ा. दरअसल कर्नाटक राज्य की राजधानी बेंगलुरु में बीते दिनों एक कृषि मेले का आयोजन किया था. लेकिन इस कृषि मेले को खास बनाने वाला और कोई नहीं एक कृष्णा नाम का सांड़ है. इस ‘कृष्णा’ नाम के एक सांड ने खूब सुर्खियां बटोरीं. सुर्खियां बटोरने का कारण यह रहा कि इस सांड के लिए लोगों ने 1 करोड़ तक की बोली लगा दी. वहीं कृष्णा सांड़ के मालिक का कहना है कि मार्केट में इसके सीमेन की काफी डिमांड है. दरअसल इसके सीमेन का एक डोज हजार रुपए में मिलती है. कृषि मेले में यह सांड कृष्णा लोगों के बीच चर्चा का केंद्र बना रहा. यहां तक की लोगों ने इसके साथ खूब सेल्फी खिंचवाई.
आपको बताते चलें कि चार दिवसीय कृषि मेला हर हर वर्ष किसी न किसी वजह से सुर्खियों में रहता है. इस बार यह कृष्णा सांड की वजह से सुर्खियों में है. बकौल कृष्णा के मालिक बोरेगौड़ा हल्लीकर ब्रीड के इस सांड के सीमेन यानी वीर्य की डिमांड काफी ज्यादा बाजार में रहती है. दरअसल इस नस्ल के जितने भी मवेशी होते हैं, वे ए2 प्रोटीन वाले दूध के लिए पहचाने जाने जाते हैं. वहीं दूसरी ओर इस बात का एक और पहलू यह है अब यह प्रजाति धीरे-धीरे विलुप्त हो रही है. इस बात के चलते इस सांड को खरीदने के लिए व्यापारियों ने 1 करोड़ रुपए तक की बोली लगा दी.
अगर बात करें सांड की उम्र की तो अभी इस सांड की उम्र महज साढ़े 3 साल है. किंतु इस सांड ने अपने से बड़े उम्र के सांडों को पछाड़ दिया है. साड के मालिक बोरेगौड़ा का कहना है कि आम तौर पर सांड की कीमत एक से दो लाख होती हैं. लेकिन इतनी बड़ी बोली पहले कभी नहीं लगी. बकौल कृष्णा के मालिक ने कहा कि इस ब्रीड की एक खासियत होती है. इसका वजन 800 से हजार किलो तक होता है. वहीं, इसकी लंबाई साढ़े छह से 8 फीट तक होती है. कृष्णा के मालिक ने बतया कि अगर इस सांड की देखभाल सही से की जाए, तो अभी यह अगले 20 साल तक जीवित रहेगा.
चार दिन तक चलने वाले इस मेले के आयोजन के पहले दिन गुरुवार को 60,000 से अधिक लोग यहां पहुंचे थे. वहीं दूसरे दिने यह संख्या 1 लाख 10 हजार के आसपास पहुंच गई थी. आपको बताते चले कि मेले का आयोजन बेंगलुरु के जीकेवीके कैंपस में किया गया था.

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