खतरे का अंत, विपुल परमार एनकाउंटर में ढेर, तीन पुलिसकर्मी घायल

अहमदाबाद में पुलिस और कुख्यात 'साइको किलर' विपुल परमार के बीच हुई खौफनाक मुठभेड़... एनकाउंटर में विपुल परमार की मौत..

4पीएम न्यूज नेटवर्कः दोस्तों गुजरात के गांधीनगर जिले के अडालज क्षेत्र में 19 सितंबर 2025 की रात को एक सनसनीखेज घटना ने पूरे इलाके में हड़कंप मचा दिया था.. अंबापुर गांव के पास नर्मदा कैनाल रोड पर एक युवक की क्रूर हत्या.. और उसकी महिला मित्र के घायल होने की घटना ने पुलिस.. और स्थानीय प्रशासन को तुरंत कार्रवाई के लिए मजबूर कर दिया.. इस मामले में मुख्य आरोपी.. जिसे ‘साइको किलर’ के रूप में जाना गया.. विपुल उर्फ निल विष्णुभाई भवानभाई परमार था.. पुलिस ने इस मामले में तेजी से कार्रवाई करते हुए विपुल को राजकोट से गिरफ्तार किया.. हालांकि सीन रिक्रिएशन के दौरान एक अप्रत्याशित मोड़ आया.. जब विपुल ने पुलिस पर हमला किया.. और आत्मरक्षा में पुलिस की जवाबी कार्रवाई में उसकी मौत हो गई..

आपको बता दें कि 19 सितंबर 2025 की रात, गांधीनगर के अंबापुर गांव के पास नर्मदा कैनाल रोड पर एक भयावह घटना घटी.. मॉडलिंग के पेशे में कार्यरत 25 वर्षीय वैभव मनवानी अपने जन्मदिन के अवसर पर.. अपनी महिला मित्र के साथ कार में इस सुनसान इलाके में केक काटने और उत्सव मनाने गए थे.. रात के समय जब वे कार में थे.. तभी विपुल परमार ने उन पर हमला कर दिया.. इस हमले में वैभव की क्रूर हत्या कर दी गई.. और उनकी महिला मित्र गंभीर रूप से घायल हो गईं.. हमलावर ने लूट के इरादे से यह वारदात की.. जिसमें वैभव की जान चली गई..

वहीं घायल महिला मित्र ने किसी तरह अपनी जान बचाई.. और घटना की जानकारी पुलिस को दी.. और उन्हें तुरंत नजदीकी अस्पताल में भर्ती कराया गया.. जहां उनकी स्थिति गंभीर लेकिन स्थिर बताई गई.. वहीं इस घटना ने स्थानीय समुदाय में दहशत फैला दी.. क्योंकि नर्मदा कैनाल रोड जैसे सुनसान इलाकों में इस तरह की वारदातें असामान्य थीं.. पुलिस ने तुरंत इस मामले को गंभीरता से लिया और जांच शुरू कर दी..

इस सनसनीखेज हत्याकांड की जांच का जिम्मा गांधीनगर पुलिस को सौंपा गया.. पुलिस इंस्पेक्टर माधुरी गोहेल के नेतृत्व में एक विशेष जांच दल का गठन किया गया.. इस दल में अहमदाबाद क्राइम ब्रांच और गुजरात एटीएस की टीमें भी शामिल थीं.. पुलिस ने तुरंत नहर क्षेत्र और आसपास के इलाकों में संदिग्धों की तलाश शुरू की..

वहीं जांच के दौरान पुलिस ने कई संदिग्धों से पूछताछ की और सीसीटीवी फुटेज, प्रत्यक्षदर्शियों के बयान.. और अन्य तकनीकी साक्ष्यों का सहारा लिया.. कुछ ही दिनों में पुलिस को महत्वपूर्ण सुराग मिले.. जिसके आधार पर मुख्य आरोपी विपुल परमार की पहचान की गई.. विपुल परमार एक कुख्यात अपराधी था.. जिसके खिलाफ लूट, डकैती और अन्य आपराधिक गतिविधियों के कुल 9 मामले दर्ज थे.. उसकी आपराधिक गतिविधियों का रिकॉर्ड गुजरात के विभिन्न थानों में मौजूद था.. जिसने उसे ‘साइको किलर’ की उपाधि दी थी..

पुलिस को सूचना मिली कि विपुल राजकोट में छिपा हुआ है.. अहमदाबाद क्राइम ब्रांच ने एक विशेष अभियान चलाकर उसे 23 सितंबर 2025 को राजकोट से गिरफ्तार कर लिया.. गिरफ्तारी के बाद उसे गांधीनगर की अडालज पुलिस को सौंप दिया गया.. ताकि आगे की जांच और सीन रिक्रिएशन की प्रक्रिया पूरी की जा सके..

24 सितंबर 2025 को पुलिस विपुल परमार को घटनास्थल, यानी नर्मदा कैनाल रोड, पर सीन रिक्रिएशन के लिए ले गई.. सीन रिक्रिएशन का उद्देश्य यह समझना था कि हत्या और लूट की वारदात को कैसे अंजाम दिया गया.. यह प्रक्रिया पुलिस जांच का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होती है.. जिसमें आरोपी को घटनास्थल पर ले जाकर वारदात के हर पहलू को दोहराया जाता है..

हालांकि, इस प्रक्रिया के दौरान एक अप्रत्याशित और नाटकीय घटना घटी.. विपुल परमार ने अचानक पुलिस की पिस्तौल छीनने की कोशिश की.. और एक पुलिसकर्मी पर गोली चला दी.. इस हमले में एक पुलिसकर्मी घायल हो गया.. वहीं स्थिति को नियंत्रित करने के लिए पुलिस ने जवाबी कार्रवाई की.. आत्मरक्षा में पुलिस ने विपुल पर गोलियां चलाईं.. जिसमें वह गंभीर रूप से घायल हो गया.. और घटनास्थल पर ही उसकी मौत हो गई.. इस मुठभेड़ में तीन पुलिसकर्मी भी घायल हुए.. जिन्हें तुरंत अस्पताल में भर्ती कराया गया..

पुलिस के अनुसार विपुल ने भागने की कोशिश की.. और उसका इरादा पुलिस पर हमला कर अपनी हिरासत से भागने का था.. इस घटना ने पूरे मामले को और जटिल बना दिया.. क्योंकि एक ओर पुलिस ने एक खूंखार अपराधी को खत्म कर दिया.. वहीं दूसरी ओर एनकाउंटर की परिस्थितियों पर सवाल भी उठने लगे..

विपुल उर्फ निल विष्णुभाई भवानभाई परमार गुजरात में एक कुख्यात अपराधी था.. उसका आपराधिक इतिहास लंबा और डरावना था.. पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार उसके खिलाफ लूट, डकैती.. और हिंसक अपराधों के 9 मामले दर्ज थे.. वह अपनी क्रूरता और बेरहमी के लिए जाना जाता था.. जिसके कारण उसे ‘साइको किलर’ की संज्ञा दी गई थी..

आपको बता दें कि विपुल की कार्यशैली में एक खास पैटर्न देखा गया था.. वह सुनसान इलाकों में अपने शिकार की तलाश करता था.. और लूट के इरादे से हमला करता था.. वैभव मनवानी की हत्या भी इसी पैटर्न का हिस्सा थी.. उसने नर्मदा कैनाल जैसे सुनसान क्षेत्र को चुना.. जहां रात के समय लोगों की आवाजाही कम होती थी.. इस तरह की वारदातों में उसकी बेरहमी और हिंसक प्रवृत्ति साफ झलकती थी..

वहीं इस मामले में पुलिस इंस्पेक्टर माधुरी गोहेल की भूमिका बेहद सराहनीय रही.. उनके नेतृत्व में जांच दल ने न केवल तेजी से काम किया.. बल्कि सटीक सुरागों के आधार पर आरोपी को गिरफ्तार करने में सफलता हासिल की.. माधुरी गोहेल ने विभिन्न पुलिस टीमों को समन्वय के साथ काम करने के लिए प्रेरित किया.. और अहमदाबाद क्राइम ब्रांच और गुजरात एटीएस के सहयोग से इस मामले को जल्द से जल्द सुलझाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया..

उनके नेतृत्व में पुलिस ने नहर क्षेत्र, आसपास के गांवों, और संदिग्ध स्थानों पर गहन तलाशी अभियान चलाया.. सीसीटीवी फुटेज और तकनीकी साक्ष्यों का उपयोग करते हुए पुलिस ने विपुल परमार तक पहुंचने में सफलता हासिल की.. उनकी इस उपलब्धि की स्थानीय समुदाय और पुलिस विभाग में खूब प्रशंसा हुई..

विपुल परमार के एनकाउंटर के बाद इस मामले ने एक नया मोड़ ले लिया.. हालांकि पुलिस ने इसे आत्मरक्षा में की गई कार्रवाई बताया.. लेकिन कुछ लोग इस एनकाउंटर की परिस्थितियों पर सवाल उठा रहे हैं.. कुछ सामाजिक संगठनों और स्थानीय लोगों ने मांग की है.. कि इस मुठभेड़ की निष्पक्ष जांच होनी चाहिए.. उनका कहना है कि पुलिस को आरोपी को जिंदा पकड़ने की कोशिश करनी चाहिए थी.. ताकि मामले की पूरी सच्चाई सामने आ सके..

पुलिस ने इन सवालों का जवाब देते हुए कहा कि विपुल ने पहले गोली चलाई थी.. जिसके कारण पुलिस को जवाबी कार्रवाई करनी पड़ी.. घायल पुलिसकर्मियों की स्थिति और घटनास्थल पर मौजूद साक्ष्य भी पुलिस के दावे की पुष्टि करते हैं.. फिर भी इस मामले की जांच के लिए एक उच्च स्तरीय समिति गठित करने की मांग की जा रही है..

वहीं इस घटना ने गुजरात में अपराध और पुलिस कार्रवाई के मुद्दों पर एक नई बहस छेड़ दी है.. एक ओर, स्थानीय लोग वैभव मनवानी की हत्या से दुखी और आक्रोशित हैं.. वहीं दूसरी ओर विपुल परमार के एनकाउंटर ने पुलिस की कार्यशैली पर सवाल खड़े किए हैं.. नर्मदा कैनाल जैसे सुनसान इलाकों में सुरक्षा बढ़ाने की मांग भी तेज हो गई है..

कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह के मामलों में पुलिस को और अधिक पारदर्शिता बरतनी चाहिए.. एनकाउंटर की घटनाओं की निष्पक्ष जांच जरूरी है.. ताकि जनता का पुलिस पर भरोसा बना रहे.. साथ ही, इस घटना ने यह भी सवाल उठाया है कि अपराधियों को पकड़ने.. और सजा देने की प्रक्रिया में कानून का पालन कितना हो रहा है..

आपको बता दें कि गुजरात के अडालज में हुई इस लूट और हत्या की घटना ने न केवल स्थानीय समुदाय को झकझोर दिया.. बल्कि पूरे राज्य में अपराध और सुरक्षा के मुद्दों पर चर्चा को जन्म दिया.. पुलिस इंस्पेक्टर माधुरी गोहेल और उनकी टीम ने इस मामले में तेजी से कार्रवाई कर एक खूंखार अपराधी को पकड़ने में सफलता हासिल की.. हालांकि, सीन रिक्रिएशन के दौरान हुई मुठभेड़ और विपुल परमार की मौत ने इस मामले को और गंभीर बना दिया..

 

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