टीएमसी सांसद डेरेक ने जेपी नड्डा को लिखा पत्र, संसदीय समितियों के गठन में देरी पर जताई चिंता

नई दिल्ली। तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के नेता डेरेक ओब्रायन ने राज्यसभा में सदन के नेता जेपी नड्डा को एक पत्र लिखा। उन्होंने विभाग संबंधित संसदीय स्थायी समितियों (डीपीएससी) के पुनर्गठन में देरी को लेकर चिंता व्यक्त की। टीएमसी नेता का कहना है कि इसका लोकतांत्रिक प्रक्रिया पर गहरा प्रभाव पड़ेगा।
नड्डा को लिखे पत्र में ओब्रायन ने कहा कि राज्यसभा सचिवालय के नौ जुलाई के अनुरोध के अनुसार विभिन्न दलों को मानसून सत्र शुरू होने से पहले 17 जुलाई से पहले अपने नामांकन दाखिल करने थे। तृणमूल कांग्रेस ने 12 जुलाई को अपना नामांकन दाखिल कर दिया था।
उन्होंने पत्र में आगे कहा, जब मैं आपसे राज्यसभा में मिला था, उस समय मैंने इस मुद्दे को उठाया था। तब आपने मुझे मौखिक रूप से मुझे आश्वासन दिया था कि मानसून सत्र के भीतर समितियों का गठन किया जाएगा। दुर्भाग्य से, अगस्त बीत जाने के बावजूद संसदीय समितियों का गठन अभी तक नहीं किया गया है।
ओब्रायन ने अपने पत्र में कहा, समितियों के गठन में देरी होने का हमारी लोकतांत्रिक प्रक्रिया और लागू किए गए कानून की गुणवत्ता पर गहरा प्रभाव पड़ेगा। मैं यह बताना चाहूंगा कि हाल के वर्षों में गहन जांच के लिए संसदीय स्थायी समितियों या प्रवर समितियों को भेजे जाने वाले विधेयकों की संख्या में उल्लेखनीय कमी आई है।
गौरतलब है, 2014-24 के बीच राज्यसभा में पारित विधेयकों में से केवल 13 प्रतिशत को संसदीय समितियों को भेजा गया था, जबकि 17वीं लोकसभा में 16 प्रतिशत स्थायी समितियों को भेजे गए थे। उन्होंने मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त विधेयक, 2023, कृषि विधेयक और जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन (दूसरा संशोधन) विधेयक, 2023 जैसे कानूनों को उचित जांच के बिना पारित महत्वपूर्ण कानून के उदाहरणों के रूप में सूचीबद्ध किया।
राज्यसभा में तृणमूल कांग्रेस के संसदीय दल के नेता ने कहा कि संसद के कामकाजी दिनों की संख्या में कमी आई है। उन्होंने कहा, सदीय सत्रों की अवधि हितधारकों से परामर्श करने और सदन में चर्चा किए गए जाने वाले मामलों की बारीकियों को समझने के लिए बहुत सीमित समय है। चूंकि डीपीएससी सदस्यों को महत्वपूर्ण मामलों पर चर्चा करने के लिए अधिक समय देता है, इसलिए सदस्य भी इसे शुरु करने के लिए उत्सुक हैं।
उन्होंने कहा, मैं आपसे अनुरोध करता हूं कि इस मुद्दे पर विचार करें और यह सुनिश्चित करें कि संसदीय प्रक्रिया का पालन हो। मैं आपसे तत्काल डीपीएससी गठित करने की अपेक्षा करता हूं। काफी कीमती समय बर्बाद हो चुका है।
लोकसभा के तहत 16 और राज्यसभा के तहत आठ डीपीएससी हैं। थिंक टैंक पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च द्वारा संकलित आंकड़ों के अनुसार, 2019-2024 तक अपने पांच साल के कार्यकाल के दौरान 272 बैठकों वाली 17वीं लोकसभा में पूर्णकालिक लोकसभा में सबसे कम बैठकें हुईं।

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