BJP को जिताने के लिए इलेक्शन कमीशन ने रातों रात बदल दिया नियम? सिर्फ 14 हजार करोड़ से नहीं, EVM का खेल भी बिहार चुनाव में खूब चला

एक ओर जहां बहुत बड़ी खबर निकल कर सामने आई है कि रातों-रात बीजेपी को चुनाव जिताने के लिए ज्ञानेश कुमार जी ने नियमों को बदल कर बड़ा खेल कर दिया है तो वहीं दूसरी ओर बिहार चुनाव के रिजल्ट को लेकर ईवीएम में बहुत बड़ी छेड़छाड़ से जुड़े कई बडे दावे सामने आए हैं,

4पीएम न्यूज नेटवर्क: दोस्तों, बिहार चुनाव में बीजेपी के 90 प्रतिशत स्ट्राइक रेट ने न सिर्फ पूरे देश को चौंकाया बल्कि चुनाव आयोग और बीजेपी पर सरेआम मिलीभगत का बड़ा आरोप विपक्ष लगा रहा है।

आपको बता दें कि एक ओर जहां बहुत बड़ी खबर निकल कर सामने आई है कि रातों-रात बीजेपी को चुनाव जिताने के लिए ज्ञानेश कुमार जी ने नियमों को बदल कर बड़ा खेल कर दिया है तो वहीं दूसरी ओर बिहार चुनाव के रिजल्ट को लेकर ईवीएम में बहुत बड़ी छेड़छाड़ से जुड़े कई बडे दावे सामने आए हैं, जिसको लेकर हड़कंप मचा हुआ है और न सिर्फ ज्ञानेश कुमार जी का विभाग सवालों के घेरे में बल्कि खुद ज्ञानेश कुमार जी नियमों को बदलने को लेकर बुरा फंसे हुए हैं। ज्ञानेश कुमार पर कैसे रातों-रात नियम बदल कर बीजेपी को जिताने का आरोप लगा है और बिहार चुनाव में ईवीएम को लेकर कौन सा बड़ा दावा सामने आया है, ये हम आपको आगे अपनी इस आठ मिनट की रिपोर्ट में बताने वाले हैं।

दोस्तों, बिहार चुनाव के रिजल्ट के एक ओर जहां एनडीए नई सरकार के गठन की तैयारियों में बिजी है तो विपक्ष हार की वजहों को तलाशने में जुटा हैं और एक के बाद एक भयंकर खुलासों का दौर शुरु हो चुका है। आपको बता दें कि कल आरजेडी के एक सीनियर नेता जगदानंद सिंह ने आरोप बड़ा आरोप लगाया था कि जब तक पोस्टल बैलेट खुले तो आरजेडी जीत रही थी लेकिन जैसे ही ईवीएम की बारी आई तुरंत एनडीए को बढ़त मिल गई। जगदानंद का दावा है कि ईवीएम में पहले से ही 25 हजार वोट मौजूद थे और ऐसे में आरजेडी को जो 25 सीटें मिली वो ही बहुत है।

आपको बता दें कि एक ओर जहां जगदानंद का इतना भयंकर आरोप है तो वहीं दूसरी ओर एक लाख 22 हजार 400 वोट की एक नई कहानी सामने आई है। जब चुनाव का फर्स्ट रांउड हुआ था तो कांग्रेस ने अपनी इंटरनल रिपोट्र जारी कर दावा किया था कि बीजेपी के फर्स्ट रांउड में 15 में से 12 मंत्री हार गए है लेकिन जब रिजल्ट आया तो ये सभी मंत्री भारी बहुमत से जीते और इतना ही नहीं एनडीए के जीते कई ऐसे मंत्री हैं जिसनको वोट एक लाख 22 हजार 400 के आसपास मिले हैं, एक और ये तीन चार मंत्रियों के हैं और ऐसे में इन आंकड़ों को लेकर सवाल उठ रहे है। कांग्रेस नेता पप्पू यादव का दावा है कि ये सबकुछ ईवीएम में छेड़छाड़ से संभव हुआ है।

आपको बात दें कि सिर्फ इतना ही नहीं सोशल मीडिया पर कई ऐसे वीडियो अब सामने आए हैं जिसमें कमरा बंद करके ईवीएम से छेड़छाड़ किए जाने के दावे किए जा रहे है। आपको बता दें कि सुपौल से कांग्रेस प्रत्याशी का एक वीडियो सामने आया है, जिसमें दावा किया ज रहा है कि कमरा बंद करके ईवीएम से छेड़छाड़ की गई है।

देखा आपने कि सरेआम ईवीएम बदलने का आरोप और अधिकारियों द्वारा कोर्ट जाने की धमकी दी जा रही है, ऐसे कई वीडियो सोशल मीडिया पर तैर रहे हैं जो कहीं न कहीं ये सवाल उठा रहे हैं कि क्या सच में ईवीएम से छेड़छाड़ की गई है। हालांकि जो सबसे पहले जनुसुराज पार्टी की ओर से आरोप लगाए थे कि कि बिहार चुनाव को जीतने के लिए मोदी सरकार ने रातों-रात चुनाव से एक दिन पहले बिहार की पढ़ाई, दवाई, पानी और सड़क के लिए प्रस्तावित 20 हजार करोड़ रुपए के लोन में से 14 हजार करोड़ रुपए 1.4 करोड़ महिलाओं को बीच चुनाव के बीच बांटा जाता रहा लेकिन शिकायत के बाद भी चुनाव आयोग ने कोई एक्शन नहीं लिया और विपक्ष का आरोप है कि सरेआम नोट के बदले वोट का खेल चला और इस बात में कहीं कहीं दम है।

क्योंकि अगर विधान सभा वाइज जोड़े तो कम से कम एक विधान सभा में 57 हजार महिलओं को 10 हजार रुपए की राशि बीच चुनाव में मिली है। अगर इनमें से 30 हजार महिलाओं ने 10 हजार के बदले वोट दे दिया तो पूरा चुनाव ही पलट गया, ऐसे में ईवीएम को मामला चाहे जो हो, लेकिन एक बात तो साफ है कि 10 हजार के फैक्टर ने बड़ा काम किया है। ऐसे में कहीं न कहीं चुनाव आायोग और ज्ञानेश कुमार जी की भूमिका पर सवाल है और ये सवाल और भी गहरा गया है जब रातोंरात एसआईआर में नियम बदल कर बड़ा खेल करने की तैयारी शुरु हो चुकी है।

दोस्तों, जब बिहार एसआईआर के बाद देश के 12 राज्यों में एसआईआर का ऐलान हुआ था तो ये सवाल हर किसी ने उठाया था कि आखिर असम में भी तो साल 2026 में चुनाव हैं वहां एसआईआर का ऐलान नहीं किया जबकि पश्चिम बंगाल और यूपी में कराया जा रहा है लेकिन आपको बता दें कि अब बिहार चनुाव की अपार सफलता के बाद ज्ञानेश कुमार के विभाग ने असम में भी एसआईआर कराने का फैसला ले लिया है और अब असम में स्पेशल रिवीजन होगा।

पोस्ट में साफ साफ लिखा है कि चुनाव अयोग ने असम में भी स्पेशल रिवीजन कराने का फैसला लिया है लेकिन आप को बात दें कि ये स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन नहीं है बल्कि ये स्पेशल रिवीजन है। यानि कि ज्ञानेश जी का विभाग असम में एसआईआर नहीं बल्कि एसआर करा रहा है। वैसे तो दावा किया जा रहा है कि ये एसआईआर और पुराने रिवीजन के बीच का हिस्सा है और इसके पीछे सुप्रीम कोर्ट में असम को लेकर कुछ पेंडिंग मामले और बॉर्डर की कुछ समस्याओं की वजह से है। चुनाव आयोग के वरिष्ठ अधिकारियों के मुताबिक असम में इसको देखते हुए एसआर कराने का फैसला लिया गया है, जो एसआइआर और एसएसआर (स्पेशल समरी रिवीजन) के बीच की पहल है।

जिसमें सभी मतदाताओं को एसआइआर की तरह गणना फार्म नहीं भरना होगा। लेकिन इनमें घर-घर जाकर मतदाताओं का सत्यापन होगा। वहीं एसएसआर की तरह इनमें मतदाताओं को अपने नाम, उम्र व फोटो आदि ठीक कराने का मौका मिलेगा। चुनाव आयोग की ओर से असम में एसआर कराने को लेकर जारी किए गए आदेश के मुताबिक राज्य में एसआर के तहत घर-घर जाकर सत्यापन का काम 22 नवंबर से 20 दिसंबर तक चलेगा। जबकि इसे लेकर प्रशिक्षण और दस्वावेजों के प्रिटिंग आदि का काम 18 नवंबर से ही शुरू हो जाएगा, जो 21 नवंबर तक चलेगा। वहीं इस दौरान ड्राफ्ट सूची का प्रकाशन 21 दिसंबर तक हो जाएगा, जबकि इसे लेकर दावे-आपत्तियां 27 दिसंबर से 22 जनवरी तक दाखिल की जा सकेगी।

आपको बता दें कि ऐसे में साफ है कि ज्ञानेश जी के विभाग ने जुगाडू टेक्निक निकाली है और इस जुगाडू टेक्निक को कांग्रसे और विपक्ष सीधे तौर पर यह कह रहा है कि ये बीजेपी और हेमंत बिस्वा सरमा को जिताने का एक तरीका है, जिसके लिए ज्ञानेश कुमार के विभाग ने खास टेक्टिक विकसित ही है। ऐसे में असम में नियमों को बदल कर एसआईआर के बदले एसआर कराने का खेल न सिर्फ सवालों के घेरे में है बल्कि इस पर सवाल भी उठ रहे हैं। ऐसे में ज्ञानेश कुमार जी एक ओर जहां असम में एसआर के ऐलान के बाद बुरा फंसे है तो वहीं बिहार में ईवीएम से छेड़छाड़ का मामला गरमता जा रहा हैं और जिस तरह से अब सबूतों का आना शुरु हुआ है, और आरजेडी जिस तरह से सबूतों को लेकर सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी में जुटा है, ऐसे में न सिर्फ बिहार चुनाव का रिजल्ट फंस सकता है

बल्कि जिस तरह से असम में नियम बदलकर एसआर कराया जा रहा है, वो भी सवालों के घेरे में है। पूरे मामले पर आपका क्या मानना है। क्या बिहार में जिस तरह से ईवीएम छेड़छाड़ के बड़े आरोप लग रहे हैं क्या वो सही हैं, क्या असम में नियमों को बदल कर एसआर कराने के पीछे कोई बड़ा खेल हो सकता है। क्या जिस तरह से वर्ल्ड बैंक 14 हजार करोड़ लोन रातों रात पीएम साहब और उनके चाणक्य जी ने पैसा चुनाव में उड़ा दिया, वो बिहार के लिए बड़ा घाटा नहीं था।

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