सऊदी अरब में 42 भारतीयों की दर्दनाक मौत

  • उमराह करने गये भारतीय तीर्थ यात्रियों की बस टैंकर से टकराई
  • आग का गोला बन गयी बस, ज्यादातर यात्री झुलस गये
  • टॉल फ्री नम्बर 8002440003 पर संपर्क कर सकते हैं परिजन
  • घटना भारतीय समयानुसार रात लगभग 1:30 बजे मुफरीहाट नामक स्थान पर हुयी

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
दुबई। मक्का और मदीना के बीच की सड़क जिस पर हर साल लाखों मुसाफिर गुजरते हैं। कोई उमरा के लिए कोई हज के लिए कोई बस अपने दिल की रोशनी लेकर उन पवित्र शहरों की ओर बढ़ता है। लेकिन बीती रात पवित्र यात्रा पर गये भारतीय मुसलमानों के लिए कयामत की रात साबित हुई।
मदीना जा रही तीर्थयात्रियों से भरी यह बस एक टैंकर से भिड़ी और देखते ही देखते आग का गोला बन गई। शुरुआती रिपोर्ट्स के मुताबिक बस में कम से कम 42 भारतीयों की मौत की पुष्टि हुई है। यह एक ऐसा हादसा है जिसने न सिर्फ सऊदी अरब की सुरक्षा प्रणाली पर सवाल उठाए हैं बल्कि भारत में गहरे सदमे को भी जन्म दिया है। यह सिर्फ एक दुर्घटना नहीं है यह उन व्यवस्थाओं का आइना है जो वर्षों से इस रूट को हाई रिस्क घोषित कर चुकी हैं।

पीएम ने जताया दुख

पीएम मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा है कि मदीना में भारतीय नागरिकों से जुड़ी दुर्घटना से मुझे गहरा दुख हुआ है। मेरी संवेदनाएं उन परिवारों के साथ हैं जिन्होंने अपने प्रियजनों को खो दिया है। मैं सभी घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना करता हूं। रियाद स्थित हमारा दूतावास और जेद्दा स्थित वाणिज्य दूतावास हर संभव सहायता प्रदान कर रहे हैं। हमारे अधिकारी सऊदी अरब के अधिकारियों के साथ भी निरंतर संपर्क में हैं।

तेलंगाना के यात्री ज्यादा

तेलंगाना के मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी ने नई दिल्ली में अधिकारियों को सतर्क कर दिया है और उन्हें दूतावास के अधिकारियों के साथ मिलकर काम करने का निर्देश दिया है। हादसे पर दुख जताते हुए भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने एक्स पर लिखा है कि सऊदी अरब के मदीना में भारतीय नागरिकों के साथ हुई दुर्घटना से गहरा सदमा पहुंचा है। रियाद स्थित हमारा दूतावास और जेद्दा स्थित वाणिज्य दूतावास इस दुर्घटना से प्रभावित भारतीय नागरिकों और उनके परिवारों को पूरी सहायता प्रदान कर रहे हैं।

शवों को भारत वापस लाने की मांग

एआईएमआईएम के अध्यक्ष और सांसद असदुद्दीन औवेसी ने एक्सीडेंट में मारे गये उमराह यात्रियों के शवों को भारत वापस लाने की मांग की है। उन्होंने कहा है कि तत्काल शवों को वापस लाने का इंतजाम किया जाए। हालांकि शवों को वापस लाना इतना आसान नहीं होगा। आग इतनी भंयकर थी कि ज्यादार शव बुरी तरह से जले हुए हैं और बिना डीएनए जांच के शवों की पहचान मुश्किल होगी। प्रक्रिया 4-10 दिन तक चल सकती है। भारत सरकार और सऊदी अधिकारी संयुक्त पहचान कर रहे हैं।

कंट्रोल रूम से मदद

घटना के बाद जेद्दा और रियाद के महावाणिज्य दूतावास और एंबेसी ने हेल्पलाइन नंबर जारी किया है। जेद्दा में भारत के महावाणिज्य दूतावास ने घटना की जानकारी दी और मदद के लिए हेल्पलाइन नंबर भी जारी किया है। एंबेसी के मुताबिक किसी भी प्रकार की मदद अथवा जानकारी के लिए टॉल फ्री नंबर 8002440003 पर बात की जा सकती है। इसके साथ ही तेलंगाना के मुख्यमंत्री ए रेवंत रेड्डी ने भी सऊदी अरब में भारतीय उमराह यात्रियों को ले जा रही एक बस के साथ हुए भीषण हादसे में हुई जानमाल की हानि पर शोक व्यक्त किया। राज्य सरकार ने दुर्घटना के पीडि़तों के परिवारों को सूचना और सहायता प्रदान करने के लिए हैदराबाद में एक नियंत्रण कक्ष भी स्थापित किया है।

शेख हसीना को मौत की सजा

  • 2024 के छात्र आंदोलन में 1,400 छात्रों की मौत का जिम्मेदार ठहराया गया
  • सुपीरियर कमांड रिस्पॉन्सिबिलिटी के तहत चला मुकदमा
  • तत्कालीन गृहमंत्री चौधरी अब्दुल्लाह को भी हैंग टिल डेथ की सजा
  • तत्कालीन पुलिस चीफ को पांच वर्ष जेल की सजा

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
ढाका। बांग्लादेश की सत्ता से बेदखल होकर भारत में पनाह लेने वाली बांग्लादेश की पूर्व पीएम शेख हसीना और उनके साथ गृहमंत्री रहे चौधरी अब्दुल्लाह को मौत की सजा सुनाई गयी है। उन्हें यह सजा मानवता के खिलाफ अपराध का दोषी ठहराए जाने के बाद सुनाई गयी। शेख हसीना को न्याय को रोकने, हत्या का आदेश देने और हत्याओं को रोकने में असमर्थ होने का दोषी ठहराया गया है। कोर्ट ने कहा कि इस बात के साक्ष्य हैं कि हसीना ने हेलिकॉप्टर और घातक हथियारों के इस्तेमाल का आदेश दिया था। ढाका के अंतरराष्ट्रीय अपराध ट्रिब्यूनल ने 2024 के छात्र आंदोलन में हुई 1,400 से अधिक मौतों का उन्हें जिम्मेदार ठहराया। हसीना को सुपीरियर कमांड रिस्पॉन्सिबिलिटी के तहत कठघरे में खड़ा किया गया था।

भारत-बांग्लादेश संबधों की अंतिम परीक्षा

यही नहीं अवामी लीग सड़कों पर है, बांग्लादेश की अंतरिम सरकार कठोर रुख में है और ट्रिब्यूनल का निर्णय दक्षिण एशिया की चौखट पर इतिहास की नई इबारत लिखने वाला है। हसीना के खिलाफ यह मुकदमा केवल न्याय का सवाल नहीं। यह बांग्लादेश की भविष्य की राजनीति भारत की रणनीतिक प्राथमिकताओं और पूरे क्षेत्र की स्थिरता की अंतिम परीक्षा है। ढाका में इसे न्याय की दस्तक बताया जा रहा है। जबकि दिल्ली में कूटनीति की धड़कनें तेज। सवाल यह यह है कि क्या भारत एक पूर्व प्रधानमंत्री को उनके देश की अदालत के हवाले करेगा?

ढाका में शटडाउन

हसीना की पार्टी आवामी लीग और उनके समर्थकों ने बांग्लादेश बंद की घोषणा की हैं। बांग्लादेश के अलग—अलग हिस्सों से हिंसा की खबरें आना शुरू हो चुकी है। भारत की भूमिका भी अब और महत्वपूर्ण हो जाएगी। यदि हसीना को प्रत्यर्पित न किया गया और भारत में उनकी सुरक्षा बनी रही तो यह दोनों देशों के बीच राजनीतिक गेम चेंजर साबित हो सकता है।

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