ट्रंप की जीत भारत के लिए खतरे की घंटी!

  • वीजा की समस्याएं, टैक्स को लेकर सवालिया निशान
  • भारतीय शेयर बाजार लाल निशान पर खुले, 347 अंकों की गिरावट
  • शेयर बाजार लाल, महंगाई के आसार

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। दुनिया की सबसे बड़ी लोकतांत्रिक व्यवस्था का दम्भ भरने वाले अमेरिका में चुनावी नतीजे आ चुके हैं। जिसके बाद अब ट्रंप अमेरिका के नए बादशाह बन गए हैं। ट्रंप के फिर से अमेरिका का राष्ट्रपति बनते ही भारतीय समाज में भी खुशी देखी गयी और सोशल मीडिया पर तरह-तरह की बातें की जाने लगीं। लेकिन सबसे बड़ा सवाल यही है कि ट्रंप की जीत भारत के लिए क्या वरदान बनेगी या अभिशाप। विदेश मामलों के जानकारों की मानें तो ट्रंप की जीत भारत के लिए अभिशाप बन कर आ रही है। क्योंकि जीत के पहले ही दिन भारतीय शेयर बाजारों ने इसे नकारात्मक तौर पर लिया और सेंसेक्स ने खुलते ही 300 से ज्यादा अंको की डुबकी लगा ली।
ट्रंप जिन वादों को करके जीते हैं उनमें अर्थव्यवस्था सबसे बड़ा वादा है। ट्रंप की जीत के बाद भारत में महंगाई और बढ़ सकती है। ब्याज दरों में तेजी और अमेरिकी चीजों की बढ़ी हुई लागत से भारतीय कारोबार पर असर पड़ सकता है। अर्थव्यवस्था को लेकर जो वादे प्रेसीडेंट ट्रंप ने अमेरिकियों से किए थे उनमें डालर की मजबूती सबसे उपर थी। यदि डालर मजबूत होगा तो रूपये की वैल्यू कम होगी। जोकि हमारे लिए नकारात्मक होगा। डॉलर के मजबूत होने से भारत जिन चीजों का आयात करता है, उसके लिए ज्यादा कीमत चुकानी होगी, विशेष रूप से तेल के लिए। इससे भी घरेलू महंगाई बढ़ेगी।

भारत-अमेरिका निर्यात पर पड़ेगा असर

ट्रंप की जीत के बाद भारत अमेरिका निर्यात पर असर पडऩा स्वाभाविक है। ट्रंप ने पहले ही साफ कर दिया था कि यदि भारत टैक्स कम नहीं करता है तो अमेरिका भी टैक्स कम नहीं करेगा। ट्रंप के शासनकाल में एक स्पोर्ट्स बाइक कंपनी के लिए ट्रंप चाहते थे कि भारत आयात शुल्क जीरो कर दे। लेकिन भारत अमेरिका के दबाव में नहीं आया था और उसने आयात शुल्क नहीं घटाया था। जिसके चलते भारत-अमेरिका आयात/निर्यात में मुश्किलें आने लगी थीं। दोनों देशों के विदेशी प्रतिनिधियों की लंबी बैठकों के बाद यह मामला सुलझा था।

ट्रेड बैरियर को खत्म करना चाहते हैं ट्रंप

जैसा कि पहले ही बताया जा चुका है कि ट्रंप भारत अमेरिका ट्रेड बैरियर को खत्म करना चाहते हैं या फिर कम करना चाहते हैं। राष्ट्रपति ट्रंप ने हमेशा भारत की व्यापार नीतियों की आलोचना की है। एक बार फिर जब ट्रंप दोबारा से अमेरिका की सत्ता पर काबिज हो रहे हैं, तो उनका प्रशासन भारत पर ट्रेड बैरियर को कम करने के लिए दबाव डाल सकता है। इससे आईटी, फार्मास्यूटिकल्स और टेक्सटाइल जैसे क्षेत्र प्रभावित होंगे।

वीजा का क्या होगा?

किसी भी देश के लोगों के लिए अमेरिकन वीजा के प्रति हमेशा अट्रेक्शन होता है। इस दिशा में ट्रंप की जीत के बाद भारतीयों के लिए परेशानी हो सकती है। ट्रंप ने पिछली बार एच-वनबी वीजा पर बैन लगा दिया था। इससे अमेरिका में मौजूद भारतीय आईटी कंपनियां बहुत ज्यादा प्रभावित हुई थीं।

शेयर बाजारों के लिए झटका!

ट्रंप के पहले शासनकाल में अमेरिकी शेयर बाजारों ने इंडियन शेयर मार्केट से बेहतर प्रदर्शन किया था। उस दौरान नैस्डैक को 77 प्रतिशत की बढ़त मिली थी। वहीं निफ्टी सिर्फ 38 प्रतिशत ही चढ़ पाया था। भगवान न करे कि इस तरह की कोई बात दोबारा हो, लेकिन ऐसा होता दिखायी दे रहा है। ट्रंप के प्रेसीडेंट बनते ही भारतीय शेयर बाजारों में सत्र की शुरूआत में नकारात्मक असर दिखायी दिया और बाजार लाल निशान पर खुले। मेटल, ऑटो, फाइनेंशियल सर्विस, फार्मा, एफएमसीजी, एनर्जी, प्राइवेट बैंक और इंफ्रा सेक्टर में बिकवाली देखी गयी।

सरकारी नौकरियों के लिए भर्ती नियमों को बीच में नहीं बदल सकते

  • भर्ती प्रक्रिया को लेकर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की बेंच ने सरकारी नौकरियों की चयन प्रक्रिया के नियमों को लेकर बड़ा फैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सरकारी नौकरियों में नियुक्ति के लिए भर्ती नियमों को बीच में नहीं बदला जा सकता है। ऐसा तब तक तो बिल्कुल नहीं कर सकते हैं, जब तक ऐसा निर्धारित न हो।
कोर्ट इस सवाल पर फैसला सुना रही थी कि क्या राज्य और उसके संस्थान प्रक्रिया शुरू होने के बाद नौकरियों के लिए चयन प्रक्रिया के नियमों में बदलाव कर सकते हैं। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की पीठ ने कहा कि भर्ती प्रक्रिया शुरू होने से पहले एक बार तय किए गए नियमों को बीच में नहीं बदला जा सकता। पीठ ने कहा कि चयन नियम मनमाने नहीं होने चाहिए। यह संविधान के अनुच्छेद 14 के अनुसार होने चाहिए।

राजस्थान हाईकोर्ट में नियुक्ति से जुड़ा है मामला

यह मामला राजस्थान हाई कोर्ट में नियुक्ति से जुड़ा है। इस मामले में नौकरी से जुड़ी लिखित परीक्षा और इंटरव्यू होने के बाद 75 प्रतिशत क्वालीफाइंग नंबर पर ही नियुक्ति करने का नियम बनाया गया था। इस नए नियम के चलते बहुत से अभ्यर्थी नौकरी पाने से वंचित रह गए थे।

पराली जलाने पर अब सख्त हुई केंद्र सरकार

  • किसानों पर जुर्माने की राशि बढ़ाकर की दोगुनी
  • हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने भी जताई थी नाराजगी

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। वायु प्रदूषण समस्या लगातार भारत के लिए एक बड़ी चुनौती बनती जा रही है। ये समस्या पूरे देश में गंभीर होती जा रही है। इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट भी लगातार अपनी नाराजगी जाहिर करता रहा है। अब केंद्र सरकार ने भी पराली की समस्या के खिलाफ सख्त रुख अपनाने का फैसला किया है। केंद्र ने पराली जलाने वाले किसानों पर जुर्माने की राशि बढ़ाकर दोगुनी कर दी है। पांच एकड़ से ज्यादा जमीन पर पराली जलाने पर जुर्माने की राशि बढ़ाकर 30 हजार रुपये कर दी गई है।
केंद्र सरकार के ‘वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग’ ने राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और इसके आसपास के इलाकों में ‘एनवायरमेंटल कंपेंसेशन फॉर स्टबल बर्निंग संशोधन कानून’ के प्रावधानों को लागू कर दिया है। इस कानून में पराली जलाने पर जुर्माने और फंड के इस्तेमाल के प्रावधान बताए गए हैं। इसके तहत जिन किसानों के पास दो एकड़ से कम जमीन है, उन्हें पराली जलाने पर पर्यावरणीय जुर्माने के रूप में पांच हजार रुपये देने होंगे। वहीं जिन किसानों के पास दो से पांच एकड़ जमीन है और वे पराली जलाते पाए जाते हैं तो उन पर जुर्माना 10 हजार रुपये होगा। पांच एकड़ से ज्यादा जमीन वाले किसानों को पराली जलाने पर 30 हजार रुपये का जुर्माना देना होगा।

सुप्रीम कोर्ट ने लगाई थी पंजाब-हरियाणा सरकारों को फटकार

हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने भी पराली जलाने की घटनाओं पर रोक लगाने में विफल रहने के लिए पंजाब और हरियाणा की सरकारों की आलोचना की। सुप्रीम कोर्ट ने वायु गुणवत्ता आयोग को पराली जलाने की घटनाएं लगातार होने के चलते पंजाब और हरियाणा सरकार के अधिकारियों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई करने का निर्देश दिया था। साथ ही पीठ ने उसके आदेश के उल्लंघनकर्ताओं पर मुकदमा चलाने के लिए एक सप्ताह की समय सीमा तय की है।

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