हिंदी थोपने के विरोध में महाराष्ट्र में बड़ा आंदोलन, उद्धव और राज ठाकरे आएंगे एक साथ
ठाकरे ने कहा, “हमने हमेशा भाषा की विविधता का सम्मान किया है, लेकिन अपनी मातृभाषा मराठी की उपेक्षा हम सहन नहीं करेंगे.”

4पीएम न्यूज नेटवर्कः महाराष्ट्र में हिंदी भाषा थोपे जाने के विरोध में राज्यव्यापी असंतोष अब आंदोलन का रूप ले चुका है। इसी कड़ी में 5 जुलाई को मुंबई में एक विशाल मार्च का आयोजन किया जाएगा। इस मार्च की खास बात यह है कि शिवसेना के प्रमुख उद्धव ठाकरे और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के प्रमुख राज ठाकरे पहली बार एक साथ एक मंच पर नजर आएंगे।
इस मुद्दे पर राज्य की राजनीति में एक नया मोड़ देखने को मिल रहा है, जहां लंबे समय से अलग-अलग राह पर चल रहे ठाकरे बंधु अब मराठी अस्मिता की रक्षा के लिए एकजुट हो रहे है। इस विरोध की शुरूआत रविवार को शिवसेना द्वारा किए गए हिंदी पुस्तकों के प्रतीकात्मक दहन से हुई। यह प्रदर्शन हिंदी को जबरन थोपे जाने के खिलाफ प्रतीकात्मक विरोध के रूप में किया गया। यह आंदोलन अब केवल भाषाई नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और राजनीतिक पहचान से जुड़ा मामला बनता जा रहा है। 5 जुलाई का मार्च महाराष्ट्र की राजनीति में एक नया संदेश लेकर आ सकता है।
ठाकरे गुट ने हिंदी के खिलाफ किया होलिका दहन
इस आंदोलन से पहले माहौल बनाने की शुरुआत रविवार को हुई, जब मुंबई के आज़ाद मैदान में शिवसेना ठाकरे गुट ने हिंदी किताबों की प्रतीकात्मक होलिका जलाई. इस विरोध प्रदर्शन में खुद उद्धव ठाकरे, उनके पुत्र और विधायक आदित्य ठाकरे सहित पार्टी के कई शीर्ष नेता मौजूद रहे. आयोजन में बड़ी संख्या में शिवसैनिकों ने भाग लिया और केंद्र सरकार पर हिंदी थोपने का आरोप लगाया.
विरोध प्रदर्शन से पहले एक विशेष बैठक भी आयोजित की गई, जिसमें मराठी अध्ययन केंद्र के प्रमुख, अन्य समान विचारधारा वाले संगठनों के प्रतिनिधि और उद्धव ठाकरे स्वयं मौजूद रहे. इस बैठक में मराठी भाषा की पहचान और अस्मिता की रक्षा के लिए रणनीति तैयार की गई.
उद्धव ठाकरे का तीखा हमला
प्रदर्शन के बाद मीडिया से बातचीत में उद्धव ठाकरे ने राज्य सरकार पर जमकर निशाना साधा. उन्होंने कहा, “हम दबाव नहीं बना रहे, बल्कि इस फैसले को स्वीकार नहीं करते. अगर सरकार कुछ थोपने जा रही है, तो हमने पहले ही इसका विरोध शुरू कर दिया है. हमने उस सरकारी प्रस्ताव (जीआर) की प्रतीकात्मक होलिका जलाई है. अब यह मानने का कोई कारण नहीं बचता कि यह प्रस्ताव प्रभावी है.”
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि शिवसेना हिंदी के खिलाफ नहीं है, लेकिन जबरन थोपने के खिलाफ जरूर है. ठाकरे ने कहा, “हमने हमेशा भाषा की विविधता का सम्मान किया है, लेकिन अपनी मातृभाषा मराठी की उपेक्षा हम सहन नहीं करेंगे.”
5 जुलाई को प्रस्तावित इस मार्च को लेकर यह भी चर्चा तेज हो गई है कि उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे की पार्टियों के बीच गठबंधन की संभावनाएं प्रबल हो रही हैं. सूत्रों के मुताबिक, हाल ही में शिवसेना ठाकरे गुट के नेता वरुण सरदेसाई और मनसे के वरिष्ठ नेता बाला नंदगांवकर के बीच मुलाकात हुई है.
मनसे और शिवसेना के बीच बढ़ती नजदीकियां
बाला नंदगांवकर ने इस मुलाकात की पुष्टि करते हुए कहा, हम दोस्त हैं, मुलाकातें होती रहती हैं. अलग-अलग मुद्दों पर चर्चा होती है. हालांकि यह राजनीतिक गठबंधन की बातचीत नहीं थी, लेकिन कई विषयों पर सहमति जरूर बन रही है.
इस मार्च के आयोजन को व्यापक जनसमर्थन दिलाने के लिए मनसे और ठाकरे गुट ने सभी समाजों और वर्गों से समर्थन की अपील की है. नंदगांवकर ने बताया कि इस विरोध मार्च में हिंदी भाषी लोगों को भी आमंत्रित किया गया है. उन्होंने कहा, महाराष्ट्र और मराठी ने उन्हें बहुत कुछ दिया है. अब समय आ गया है कि वे इस भाषा का सम्मान करें.
नंदगांवकर ने इस विरोध को राजनीतिक नहीं, बल्कि सांस्कृतिक पहचान का मुद्दा बताया. उन्होंने कहा, यह विरोध किसी पार्टी या भाषा के खिलाफ नहीं है, यह मराठी अस्मिता की लड़ाई है. जो लोग इसे राजनीतिक रंग देने की कोशिश कर रहे हैं, वे मराठी भावना को नहीं समझते.



