लोकसभा में आज पेश होगा वक्फ बिल, एनडीए एकजुट, विपक्ष ने भी कसी कमर

नई दिल्ली। वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर आज यानी बुधवार को संसद में जोरदार हंगामा होने की उम्मीद है. वक्फ संसोधन विधेयक को पारित कराने के लिए आज इसे लोकसभा में पेश किया जाएगा, जिससे सरकार और प्रस्तावित कानून को असंवैधानिक बताकर इसकी निंदा करने वाले विपक्ष के बीच टकराव होगा. पक्ष और विपक्ष दोनों इस विधेयक को लेकर दो-दो हाथ करने का मन बना चुके हैं. राज्यसभा में इस पर गुरुवार को चर्चा होने की उम्मीद है. दोनों सदनों में प्रस्तावित कानून पर चर्चा के लिए आठ-आठ घंटे आवंटित किए गए हैं.
सत्ता पर काबिज एनडीए गठबंधन में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के बाद चार सबसे बड़े घटकों- तेलुगुदेशम पार्टी (टीडीपी), जनता दल-यूनाइटेड (जेडीयू), शिवसेना और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) ने अपने सांसदों को व्हिप जारी कर सरकार के रुख का समर्थन करने को कहा है.
सूत्रों ने बताया कि बीजेपी के कुछ सहयोगी दल विधेयक में और बदलाव की मांग कर रहे हैं. बीजेपी के एक सहयोगी दल के वरिष्ठ सदस्य ने उम्मीद जताई कि सरकार उनके विचारों को ध्यान में रखेगी. उन्होंने जोर देकर कहा कि उनकी कुछ चिंताओं का निदान संसद की संयुक्त समिति (जेपीसी) ने की है और एनडीए इस मुद्दे पर एकजुट रहेगा. केंद्रीय अल्पसंख्यक और संसदीय कार्य मंत्री किरेन रीजीजू ने कहा कि लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला की अध्यक्षता में सदन की कार्य मंत्रणा समिति (बीएसी) की बैठक में इस विधेयक पर आठ घंटे की चर्चा के लिए सहमति बनी, जिसे सदन की भावना के अनुरूप और बढ़ाया जा सकता है.
बैठक में विधेयक को लेकर सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच तीखी तकरार के संकेत तब दिखाई दिए जब विपक्षी गठबंधन इंडिया के सदस्यों ने बैठक से वॉकआउट किया और सरकार पर उनकी आवाज दबाने का आरोप लगाया. हालांकि इस मुद्दे पर गतिरोध से कोई खास फर्क नहीं पड़ता दिख रहा क्योंकि लोकसभा में सत्तारूढ़ बीजेपी नीत एनडीए के पक्ष में संख्याबल है.
लोकसभा में कांग्रेस के उप नेता गौरव गोगोई ने आरोप लगाया कि उनकी आवाज को सुना नहीं जा रहा. उन्होंने कहा कि विपक्षी दल चर्चा के लिए और अधिक समय आवंटित करने की मांग कर रहे थे और चाहते थे कि सदन में मणिपुर की स्थिति और मतदाता पहचान पत्र से जुड़े विवाद जैसे मुद्दों पर भी चर्चा हो.
सांसद गोगोई ने कहा कि बीएसी बैठक में सरकार और विपक्ष के बीच तीखी नोकझोंक हुई और विपक्षी दलों के नेता बैठक छोडक़र बाहर आ गए. वहीं रीजीजू ने कहा कि कई दल चार से छह घंटे की चर्चा चाहते थे, वहीं विपक्षी दलों के सदस्य 12 घंटे की चर्चा कराने पर अड़े रहे. उन्होंने कहा कि सदन की भावना के अनुरूप इस अवधि को बढ़ाया जा सकता है.
बाद में राज्यसभा की बीएसी की बैठक हुई, जिसमें निर्णय लिया गया कि विधेयक पर गुरुवार को चर्चा कराई जाएगी और उम्मीद की जा रही है कि तब तक निचले सदन से विधेयक को मंजूरी मिल जाएगी. विधेयक के मुखर विरोधी एआईएमआईएम सदस्य असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि वह सदन में इस विधेयक पर चर्चा के दौरान बताएंगे कि यह किस तरह असंवैधानिक है. उन्होंने आरोप लगाया कि यह विधेयक मुसलमानों के धार्मिक अधिकारों पर नियंत्रण के मकसद से लाया गया है और जनता टीडीपी और जेडीयू जैसे बीजेपी के सहयोगी दलों को सबक सिखाएगी.
लोकसभा में 542 सदस्यों में एनडीए के 293 सांसद हैं और बीजेपी कई मौकों पर कुछ निर्दलीय सदस्यों का समर्थन हासिल करने में सफल रही है. आधिकारिक सूत्रों के मुताबिक टीडीपी, जेडीयू और चिराग पासवान नीत एलजेपी (रामविलास) जैसे बीजेपी के बड़े सहयोगी दलों ने शुरू में विधेयक के कुछ पहलुओं पर आपत्ति जताई, लेकिन संसद की संयुक्त समिति द्वारा उनके कुछ सुझावों को अपनाए जाने के बाद वे विधेयक का समर्थन कर सकते हैं.
कैथलिक बिशप्स कॉन्फ्रेंस ऑफ इंडिया, चर्च ऑफ भारत ने मंगलवार को विधेयक के प्रति समर्थन प्रकट किया, जिससे प्रस्तावित कानून को उसके कथित व्यापक अल्पसंख्यक विरोधी एजेंडा का हिस्सा दर्शाने की विपक्ष की कोशिश को धता बताने के सरकार के प्रयासों को बल मिलता हुआ दिखा. पिछले साल विधेयक पेश करते समय सरकार ने इसे दोनों सदनों की एक संयुक्त समिति (जेपीसी) को भेजने का प्रस्ताव किया था.
जेपीसी की रिपोर्ट प्रस्तुत किये जाने के बाद, उसकी सिफारिश के आधार पर केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मूल विधेयक में कुछ बदलावों को मंजूरी दी थी. वहीं कार्य मंत्रणा समिति की बैठक में विपक्ष ने विधेयक पर चर्चा के लिए 12 घंटे का समय आवंटित करने की मांग की जबकि सरकार ने कम समय रखने पर जोर दिया ताकि अन्य विधायी कामकाज निपटाया जा सके.
इंडिया गठबंधन के घटक दलों ने भी अपनी रणनीति पर चर्चा की, जिसमें कांग्रेस के राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खरगे और केसी वेणुगोपाल, समाजवादी पार्टी के राम गोपाल यादव, एनसीपी (शरद पवार) की सुप्रिया सुले, तृणमूल कांग्रेस के कल्याण बनर्जी और आम आदमी पार्टी के संजय सिंह सहित कई वरिष्ठ नेता शामिल हुए. बैठक में डीएमके सदस्य टीआर बालू, तिरुचि शिवा और कनिमोई, आरजेडी के मनोज कुमार झा, माकपा के जॉन ब्रिटास, एसपीआई के संदोष कुमार पी, आरएसपी के एन. के. प्रेमचंद्रन और एमडीएमके नेता वाइको भी मौजूद थे.