हम होंगे कामयाब
सुप्रीम कोर्ट ने सरकार और यूट्यूब से मांगा जवाब, 4PM के वकील कपिल सिब्बल ने कहा चैनल को बैन करना असंवैधानिक

एक हफ्ते में सरकार को देना होगा जवाब, नजीर बनेगा फैसला
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। करोड़ों लोगों की आवाज 4पीएम यूटयूब चैनल को सरकार ने बंद कर दिया। संपादक संजय शर्मा सरकार के इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की। आज उस याचिका की सुनावाई के दौरान उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को यूट्यूब चैनल ‘4पीएम’ पर रोक लगाने के आदेश को रद्द करने के अनुरोध वाली वाली याचिका पर केंद्र और अन्य से जवाब मांगा।
न्यायमूर्ति बी.आर. गवई और न्यायमूर्ति के.वी. विश्वनाथन की पीठ ने याचिका पर सुनवाई करने पर सहमति जतायी और केंद्र तथा अन्य को नोटिस जारी कर याचिका पर जवाब मांगा।

संजय शर्मा ने मांगा ब्लॉक करने से जुड़ा आदेश
एडिटर संजय शर्मा द्वारा दायर याचिका में केंद्र को चैनल को ब्लॉक करने के कारणों और रिकॉर्ड (यदि कोई हो) के साथ ब्लॉक करने से जुड़ा आदेश पेश करने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है। इसमें केंद्र को कारणों और रिकॉर्ड के साथ (चैनल को) ब्लॉक करने का आदेश पेश किये जाने के लिये कहने के बाद उक्त आदेश को रद्द करने का निर्देश देने का भी अनुरोध किया गया है।
कपिल सिब्बल ने रखी दलील
याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि चैनल को ब्लॉक करने से जुड़ा आदेश पारित करने से पहले याचिकाकर्ता को कोई नोटिस जारी नहीं किया गया। सिब्बल ने कहा पूरा चैनल बिना किसी कारण के ब्लॉक कर दिया गया है। उन्होंने कहा मेरे पास केवल मध्यस्थ से मिली जानकारी है। उन्होंने कहा पहली नजर में यह असंवैधानिक है। पीठ ने याचिका पर नोटिस जारी करते हुए कहा कि मामले की सुनवाई अगले सप्ताह की जाएगी।
आदेश मनमाना और असंवैधानिक
याचिका में सूचना प्रौद्योगिकी (जनता द्वारा सूचना तक पहुंच को अवरुद्ध करने की प्रक्रिया और सुरक्षा उपाय) नियम, 2009 के नियम 16 को रद्द करने का अनुरोध किया गया है। नियम 16,में कहा गया है कि प्राप्त सभी अनुरोधों और शिकायतों तथा उन पर की गई कार्रवाई के संबंध में सख्त गोपनीयता बनाए रखी जाएगी। याचिका में दावा किया गया है कि चैनल को ब्लॉक करने का आदेश मनमाना और असंवैधानिक था।
राहुल गांधी को मिली बड़ी राहत
नागरिकता को लेकर दाखिल याचिका हाई कोर्ट ने की खारिज
लखनऊ। हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने राहुल गांधी की नागरिकता को चुनौती देने वाली याचिका को निस्तारित कर दिया है। न्यायालय ने याची एस विग्नेश शिशिर को यह छूट दी है कि वह अन्य विधिक वैकल्पिक उपाय अपना सकते हैं। न्यायमूर्ति एआर मसूदी व न्यायमूर्ति राजीव सिंह की खंडपीठ ने कहा कि केंद्र सरकार याची की शिकायत को निस्तारित करने की कोई समय सीमा नहीं बता पा रही है। ऐसे में इस याचिका को विचाराधीन रखने का कोई औचित्य नहीं रह जाता। न्यायालय ने याची को कहा कि वह दूसरे वैकल्पिक विधिक उपाय अपनाने के लिए स्वतंत्र है।
निशिकांत दुबे को ‘सुप्रीम फटकार’
सुप्रीम कोर्ट पर विवादित टिप्पणी करने वाले भाजपा सांसद निशिकांत दुबे के खिलाफ अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने सख्त टिप्पणी की है। एक वकील द्वारा कोर्ट की गरिमा की रक्षा करने की आवश्यकता पर जोर देने पर सीजेआई संजीव खन्ना ने कहा, हमारे कंधे काफी चौड़े हैं। अवमानना याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस खन्ना ने कहा कि हम आपकी याचिका पर आगे सुनवाई नहीं करेंगे, लेकिन एक संक्षिप्त आदेश जरूर पारित करेंगे। बता दें कि राष्टï्रपति और राज्यपालों को बिल पास करने के लिए समय सीमा तय करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले की दुबे ने आलोचना की थी। याचिकाकर्ता ने दुबे के बयान को न्यायपालिका के लिए अपमानजनक और निंदनीय बताया था और उनके खिलाफ अवमानना कार्यवाही शुरू करने की मांग की थी। सुनवाई के दौरान वकील विशाल तिवारी ने शीर्ष अदालत से आग्रह किया कि कोर्ट की गरिमा की रक्षा की जानी चाहिए। यह ऐसे नहीं चल सकता। मुख्य न्यायाधीश खन्ना ने कहा कि अदालत अवमानना याचिका पर विचार नहीं करेगी। हालांकि, सीजेआई ने कहा कि हम एक संक्षिप्त आदेश पारित करेंगे।
वक्फ संशोधन कानून पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई अब 15 को
केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए वक्फ संशोधन कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई टल गई है। सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ (संशोधन) अधिनियम की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर 15 मई को न्यायमूर्ति बी आर गवई की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष सुनवाई तय की। सीजेआई संजीव खन्ना ने कहा कि आदेश पारित करने से पहले इस मामले पर उचित सुनवाई होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि हर किसी की बात सुननी होगी।
बता दें कि सीजेआई संजीव खन्ना 13 मई को सेवानिवृत्त हो रहे हैं और इसी को देखते हुए उन्होंने कहा कि वे कानून की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर आदेश सुरक्षित नहीं रखना चाहते हैं। इसलिए उन्होंने ये केस दूसरी पीठ के समक्ष रखा है।



