कुआं ठाकुर का, फिर अपना क्या…इस एक कविता से आरजेडी में ही घिर गए सांसद मनोज झा

पटना। राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के सांसद मनोज झा के संसद में महिला आरक्षण विधेयक पर दिये गये भाषण के दौरान ‘ठाकुर’ को लेकर कही गई कविता से बवाल मच गया है। खुद ही उनके ही पार्टी के नेताओं के साथ उनकी रार मची हुई है, हालांकि पार्टी ने संसद में दिए गये भाषण का जानदार, शानदार और दमदार करार दिया है, लेकिन पार्टी के दूसरे ठाकुर नेता उनकी कविता को लेकर लगातार उनपर निशाना साध रहे हैं और इसे लेकर पार्टी के बीच खींचतान साफ दिखाई दे रही है। बता दें कि आजेडी सांसद मनोज झा ने महिला आरक्षण बिल पर संसद में भाषण दे रहे थे। इसी दौरान मनोज झा ने ओम प्रकाश वाल्मीकि की ठाकुरों पर लिखी एक कविता संसद में सुनाई थी।
हालांकि उन्होंने अपनी कविता में बार-बार ठाकुर शब्द का प्रयोग किया है, लेकिन मनोझ झा ने साफ कहा था कि वह किसी जाति विशेष के लिए यह बात नहीं कर रहे हैं, बल्कि यह एक प्रतीक है और सभी के अंदर यह ठाकुर है। वह भी एक ठाकुर हैं और अपने अंदर के ठाकुर को उन्हें भी मारना होगा। आरजेडी सांसद मनोज झा की ठाकुर पर सुनाई गई कविता की आनंद मोहन के विधायक बेटे चेतन आनंद ने उनकी तीखी आलोचना की और उनकी जीभ खींच लेने की बात कहीं। चेतन आनंद ने मनोज झा की तीखी आलोचना करते हुए कहा कि वे लोग ठाकुर हैं और ठाकुर सभी को साथ लेकर चलता रहा है। सबसे अधिक बलिदान भी ठाकुरों ने ही किया है। एक विशेष जाति को टारगेट किया जा रहा है। यह समाजवाद के नाम पर दोगलापन के अतिरिक्त और कुछ भी नहीं है। उन्होंने कहा कि जब वे लोग दूसरों के बारे में नहीं सुन सकते हैं, तो फिर अपने बारे में कैसे बर्दास्त कर लेंगे। उन्होंने सवाल किया कि क्या मनोज झा ने कभी ब्राह्माणों को लेकर ऐसी कविताएं सुनाई हैं? उन्होंने कहा कि उन्होंने ब्राह्माणों के खिलाफ कविता नहीं पढ़ी, क्योंकि वे उन्हें जीने नहीं देंगे। उन्होंने कहा कि वे जनता से माफी मांगे। वे लोग इसका विरोध करेंगे। वे लोग चूड़ी पहनकर नहीं बैठे हैं। जदयू के प्रवक्ता डॉ। सुनील कुमार सिंह ने भी मनोज झा के बयान की आलोचना करते हुए कहा कि उनका बयान समाजवाद नहीं हो सकता है। वे लोग उसे पार्टी में उठाएंगे।
उन्होंने कहा कि मनोज झा को सभी के सामने माफी मांगनी होगी। एक दो जाति को लेकर ही केवल नहीं होती है। उन्होंने कहा कि उनका सामाजिक बहिष्कार होना चाहिए। यदि अपने अदंर के मारने की बात है कि ब्राह्माण को मारो।

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