RSS पर तमिलनाडु में कैसा प्रतिबंध, जिसकी समीक्षा अब कर्नाटक में भी होगी?

कर्नाटक में एक और सियासी लड़ाई शुरू हो गई है. कर्नाटक के मंत्री प्रियांक खरगे की ओर से सूबे में आरएसएस की गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाने की मांग ने नया विवाद छेड़ दिया है. उनकी मांग पर मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा, “सरकार के मुख्य सचिवों को तमिलनाडु सरकार की ओर से सरकारी स्थानों पर आरएसएस की गतिविधियों को प्रतिबंधित करने के कदम की समीक्षा करने का निर्देश दिए गए हैं.
सिद्धारमैया ने कहा कि आरएसएस संगठन अपनी गतिविधियों के लिए सरकारी स्थानों का इस्तेमाल कर रहा है. इस पर रोक लगनी चाहिए, जैसा कि तमिलनाडु राज्य में बैन किया गया था.
बता दें मंत्री प्रियांक खरगे ने सरकार को पत्र लिखकर आरोप लगाया कि आरएसएस सरकारी स्कूलों, खेल के मैदानों और मंदिरों में शाखाएं और सभाएं आयोजित करके बच्चों और युवाओं में नफरती विचार फैला रहा है. उन्होंने मुख्यमंत्री से ऐसे कार्यक्रमों पर पूरी तरह पाबंदी लगाने की मांग की और इन्हें असंवैधानिक और राष्ट्रीय एकता की भावना के विरुद्ध बताया.
तमिलनाडु में RSS पर प्रतिबंध लगाया है प्रतिबंध
तमिलनाडु में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) पर केंद्रीय स्तर का कोई प्रतिबंध नहीं है, बल्कि राज्य सरकार ने सरकारी भूमि, भवनों और स्कूलों में संगठन की गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाया है.
यह नीति एमके स्टालिन के नेतृत्व वाली DMK सरकार ने अपनाई गई है, जो RSS को हिंदू राष्ट्रवाद से जुड़ी और संविधान-विरोधी विचारधारा वाली संगठन मानती है.
खरगे पर फडणवीस ने बोला हमला
खरगे के इस बयान के बाद उनके खिलाफ कई नेताओं ने बयान दिया है. महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने सोमवार को तीखा हमला बोलते हुए कहा कि जब इंदिरा गांधी ने इमरजेंसी के दौरान आरएसएस पर प्रतिबंध लगाया, तो उनकी सरकार गिर गई. उन्होंने कहा कि अतीत में संघ पर प्रतिबंध लगाने के कई प्रयास किए गए, ऐसा लगता है कि कांग्रेस ने इतिहास से कोई सबक नहीं सीखा है.



