शिंदे सेना क्यों हुई BJP से नाराज़? धुले मनपा चुनाव में दूरी, महायुति में दरार!

महाराष्ट्र की राजनीति में बड़ा संकेत! धुले महानगरपालिका चुनाव में शिंदे गुट ने BJP से दूरी बनाकर सबको चौंका दिया है... महायुति के भीतर...  

4पीएम न्यूज नेटवर्कः महाराष्ट्र की राजनीति में इन दिनों काफी हलचल मची हुई है.. खासकर धुले महानगरपालिका चुनाव को लेकर सत्ताधारी गठबंधन महायुति में तनाव बढ़ गया है.. मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की शिवसेना ने भारतीय जनता पार्टी से सीट बंटवारे पर असंतोष जताया है.. वहीं, भिवंडी निजामपुर महानगरपालिका चुनाव से पहले कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है.. जहां पूर्व महापौर जावेद दलवी ने पार्टी छोड़ दी है.. आपको बता दें कि ये घटनाएं महाराष्ट्र की स्थानीय निकाय चुनावों को और रोचक बना रही हैं..

आपको बता दें धुले महानगरपालिका महाराष्ट्र के उत्तर महाराष्ट्र क्षेत्र में स्थित है.. यहां कुल 74 सीटें हैं.. और चुनाव की तैयारी जोरों पर है.. महाराष्ट्र में स्थानीय निकाय चुनाव 2025 में हो रहे हैं.. और ये चुनाव राज्य की राजनीति के लिए महत्वपूर्ण हैं.. क्योंकि ये विधानसभा चुनावों के बाद की दिशा तय कर सकते हैं.. महायुति गठबंधन, जिसमें बीजेपी, शिंदे की शिवसेना.. और अजित पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी शामिल हैं.. उन्होंने हाल ही में विधानसभा चुनावों में अच्छा प्रदर्शन किया था.. लेकिन अब स्थानीय स्तर पर सीट बंटवारे को लेकर विवाद हो रहा है..

सूत्रों के अनुसार शिंदे की शिवसेना ने धुले चुनाव में 17 सीटों की मांग की थी.. वहीं यह मांग इसलिए रखी गई.. क्योंकि शिंदे गुट का मानना है कि उनके पास स्थानीय स्तर पर मजबूत आधार है.. शिवसेना के कार्यकर्ता और नेता धुले में सक्रिय हैं.. और वे मानते हैं कि पार्टी ने पिछले चुनावों में अच्छा प्रदर्शन किया था.. लेकिन बीजेपी ने सिर्फ 5 सीटें देने का प्रस्ताव रखा.. यह ऑफर शिंदे गुट को मंजूर नहीं हुआ.. क्योंकि उन्हें लगता है कि इससे उनकी पार्टी की स्थिति कमजोर होगी.. एक राजनीतिक विश्लेषक ने बताया कि बीजेपी धुले में अपनी पकड़ मजबूत करना चाहती है.. और वह ज्यादा सीटें अपने पास रखना चाहती है.. लेकिन शिंदे सेना को लगता है कि बिना उनके समर्थन के बीजेपी यहां जीत नहीं सकती है..

वहीं यह विवाद बीते दिनों हुई एक बैठक में और उभर कर सामने आया है.. बैठक में कोई सहमति नहीं बनी.. और शिंदे गुट के नेताओं ने खुलकर नाराजगी जताई.. सूत्र बताते हैं कि शिंदे सेना के नेता कह रहे हैं कि बीजेपी उन्हें कम आंक रही है.. महायुति गठबंधन में शिंदे की भूमिका महत्वपूर्ण है.. क्योंकि उन्होंने उद्धव ठाकरे की शिवसेना से अलग होकर बीजेपी के साथ गठबंधन किया था.. लेकिन अब सीट बंटवारे पर असहमति से गठबंधन में दरार पड़ने की आशंका है..

जानकारी के अनुसार शिंदे सेना की नाराजगी के कई कारण हैं.. सबसे बड़ा कारण तो सीटों की संख्या है.. 74 सीटों में से अगर बीजेपी ज्यादा सीटें लेती है.. तो शिंदे गुट के कार्यकर्ताओं का मनोबल गिर सकता है.. दूसरा, धुले में शिवसेना का इतिहास मजबूत रहा है.. बालासाहेब ठाकरे के समय से ही पार्टी यहां सक्रिय है.. और शिंदे गुट खुद को असली शिवसेना मानता है.. तीसरा कारण है राजनीतिक रणनीति.. आपको बता दें कि शिंदे गुट को लगता है कि बीजेपी उन्हें इस्तेमाल कर रही है.. लेकिन सम्मान नहीं दे रही है.. वहीं शिंदे गुट के एक नेता ने कहा कि हमने गठबंधन के लिए बहुत त्याग किया है.. लेकिन अब सीट बंटवारे में हमें कम सीटें देकर अपमानित किया जा रहा है..

वहीं यह नाराजगी सिर्फ धुले तक सीमित नहीं है.. महाराष्ट्र के अन्य स्थानीय चुनावों में भी इसी तरह के विवाद हो रहे हैं.. बृहनमुंबई महानगरपालिका चुनाव में भी शिंदे गुट 80 सीटें मांग रहा है.. जबकि बीजेपी 50 देने पर अड़ी है.. इससे पता चलता है कि गठबंधन में तालमेल की कमी है.. राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि अगर यह विवाद नहीं सुलझा, तो महायुति कमजोर हो सकती है..

बीजेपी से नाराज होकर शिंदे सेना ने अब अजित पवार की एनसीपी से बातचीत शुरू कर दी है.. सूत्रों के मुताबिक सोमवार को शिंदे गुट के नेताओं ने अजित पवार से मुलाकात की.. वहीं चर्चा में धुले चुनाव के लिए गठबंधन की संभावना पर बात हुई.. शिंदे गुट ने 25-30 सीटों का प्रस्ताव रखा है.. हालांकि, अभी कोई अंतिम फैसला नहीं हुआ है.. सूत्र कहते हैं कि देर रात तक या मंगलवार को स्थिति साफ हो सकती है..

वहीं यह कदम शिंदे गुट की रणनीति का हिस्सा लगता है.. अजित पवार की एनसीपी भी महायुति में है.. लेकिन उनके और बीजेपी के बीच भी तनाव है.. हाल ही में बीएमसी चुनाव के लिए बीजेपी ने अजित पवार से बात की थी.. ताकि शिंदे पर दबाव बनाया जा सके.. लेकिन अब शिंदे खुद अजित पवार से नजदीकी बढ़ा रहे हैं.. जानकारी के मुताबिक अगर यह गठबंधन होता है.. तो बीजेपी अलग-थलग पड़ सकती है.. विश्लेषकों का कहना है कि यह महाराष्ट्र की राजनीति में नया मोड़ ला सकता है.. शिंदे और अजित पवार दोनों ही बीजेपी से असंतुष्ट हैं.. और वे साथ आकर मजबूत हो सकते हैं..

विपक्षी महाविकास आघाड़ी पहले ही गठबंधन कर चुकी है.. इसमें कांग्रेस को 30 सीटें, उद्धव ठाकरे की शिवसेना को 30 सीटें.. और बाकी मनसे और शरद पवार की एनसीपी को मिली हैं.. अगर महायुति में फूट पड़ती है.. तो एमवीए को फायदा हो सकता है.. धुले के अलावा भिवंडी में भी राजनीतिक सरगर्मियां तेज हैं.. यहां कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है.. पूर्व महापौर जावेद गुलाम मोहम्मद दलवी ने पार्टी छोड़ दी है.. और उन्होंने भिवंडी विकास आघाड़ी-एकता मंच नाम से नई राजनीतिक पहल शुरू की है.. और अपने पैनल के साथ नामांकन फॉर्म भर दिया है..

बता दें कि जावेद दलवी कांग्रेस के वरिष्ठ नेता थे.. वे ढाई साल तक भिवंडी के महापौर रहे थे.. उनके कार्यकाल में पार्टी मजबूत हुई थी.. लेकिन अब उन्होंने पार्टी छोड़कर नई राह चुनी.. साथ ही, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रदीप पप्पू राका ने भी दलवी का साथ दिया.. प्रदीप राका की बेटी, जो पहले कांग्रेस से नगरसेवक रह चुकी हैं.. वह भी दलवी के पैनल से चुनाव लड़ेंगी.. यह कांग्रेस के लिए बड़ा नुकसान है.. क्योंकि भिवंडी में पार्टी का संगठन कमजोर हो रहा है..

 

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