महिलाओं को मिले समान अधिकार: राहुल

  • हमारा संविधान बिना भेदभाव के समानता और न्याय की नींव रखता है
  • नेता प्रतिपक्ष ने शक्ति अभियान को लेकर जारी किया वीडियो संदेश

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने सोमवार को वीडियो जारी किया है। जिसमें उन्होंने कहा कि वह ऐसे भारत के सपने में विश्वास करते हैं जहां महिलाओं को समान अधिकार, संसाधनों तक पहुंच और शिक्षा तथा रोजगार के अवसर मिलें। बता दें कि राहुल गांधी ने देश में महिला सशक्तीकरण के लिए इंदिरा फेलोशिप द्वारा शुरू किए गए आंदोलन शक्ति अभियान का हिस्सा बनने वाली महिलाओं के साथ अपनी बातचीत का एक वीडियो साझा किया।
राहुल गांधी ने वीडियो संदेश में कहा कि 18 अक्टूबर, 2024 को मुझे शक्ति अभियान की उल्लेखनीय महिलाओं से मिलने और उनसे बातचीत करने का सौभाग्य मिला। इंदिरा फेलो द्वारा समर्थित ये जमीनी नेता महिला-केंद्रित राजनीतिक आंदोलन बनाने के लिए अथक प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि साथ मिलकर वे मजबूत, सशक्त महिलाओं का एक नेटवर्क तैयार कर रहे हैं जो हमारे देश के भविष्य को आकार देने में नेतृत्व करने और अपना उचित स्थान मांगने के लिए तैयार हैं।
पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष ने इस बात का आह्वान किया कि हम न केवल समानता की बात करें बल्कि इसे भारत की सभी महिलाओं के लिए एक वास्तविकता बनाएं। राहुल गांधी ने वीडियो में पूछा कि क्या प्रतिनिधित्व के बावजूद भारत में महिलाओं और अन्य हाशिए के समुदायों को वास्तव में शक्ति प्रदान की गई है। इसके साथ उन्होंने कहा कि मैं भारत के लिए एक ऐसे दृष्टिकोण में विश्वास करता हूं जहां महिलाओं को समान अधिकार, संसाधनों तक पहुंच और शिक्षा और रोजगार के अवसर मिलें। हमारा संविधान सभी प्रकार के भेदभाव को खारिज करते हुए समानता और न्याय की नींव रखता है।

महिलाओं को अपने अधिकारों के लिए लड़ना चाहिए

राहुल गांधी ने शक्ति अभियान के साथ हाथ मिलाने और यह सुनिश्चित करने का आह्वान किया कि हम न केवल समानता की बात करें बल्कि इसे भारत की सभी महिलाओं के लिए एक वास्तविकता बनाएं। उन्होंने जोर देकर कहा कि वास्तविक सशक्तिकरण का समय अब है। इसके साथ ही वीडियो में कांग्रेस नेता ने शक्ति अभियान की महिलाओं के साथ बातचीत करते और सशक्तिकरण के बारे में उनके विचार पूछते हुए दिखाई दे रहे हैं। बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि महिलाओं को केवल सांकेतिक पद स्वीकार नहीं करना चाहिए बल्कि अपने अधिकारों के लिए लडऩा चाहिए।

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