अपने ही बयान में घिर गए योगी, पल्लवी पटेल ने जमकर धोया!

मज़हब नहीं सिखाता आपस में बैर रखना, हिन्दी हैं हम वतन है हिन्दोस्ताँ हमाराअल्लामा इक़बाल साहब का ये शेर तो आपने सुना ही होगा। ये आज की राजनीति में बिलकुल फिट बैठता है। एक तरफ हमे ये सिखाया जाता है कि भाषा का कोई मजहब नहीं होता। भाषाओं से हमारी सभ्यता की पहचान ज़रूर होती है। लेकिन अब जमाना बदल चुका है राजनेता अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकने के लिए भाषा को भी मजहब का चोला पहना रहे हैं और लोगों में भेदभाव की भावना बढ़ा कर अपनी सियासी दुकान चला रहे हैं। जी हाँ सही सुना अपने यूपी में आज कल यही नफरत का बीज बोया जा रहा है। पहले हिन्दू को मुसलमान से लड़ाया अब भाषा को भाषा से अलग कर रहे हैं। दरअसल प्रदेश में भेद भाव का वो आलम है कि खुद सीएम योगी का उर्दू बोलने वालों को कठमुल्ला बता रहे हैं।

सीएम योगी के इस बयान से सियासी पारा सातवें आसमान पर है न सिर्फ यूपी में बल्कि पूरे देश में इसे लेकर योगी सरकार की बदनामी हो रही है। विपक्षी नेता इस मामले को लेकर योगी को घेर रहे हैं और उनकी आलोचना कर रहे हैं। इसी क्रम में अखिलेश यादव, शिवपाल यादव समेत अन्य विपक्षी नेताओं ने योगी को जमकर घेरा। इतना ही नहीं योगी के इस बयान पर मामला गंभीर होता जा रहा है। आलम ये है कि अटकलें लगाईं जा रही हैं कि कहीं ये मामला भी गृहमंत्री अमित शाह द्वारा बाबा साहब पर दिए गए आपत्तिजनक बयान को लेकर ट्रोल हुए थे कहीं ऐसे ही ये बयान योगी के गले की फांस न बन जाए। इसी बयान को लेकर अब यूपी की सिराथू विधानसभा सीट से सपा विधायक पल्लवी पटेल ने उर्दू विवाद को लेकर योगी सरकार पर जमकर निशाना साधा है।

दरअसल उन्होंने यूपी विधानसभा में भाषाई विवाद को लेकर सीएम योगी पर हमला किया. उन्होंने साफ़ लफ्जों में कहा कि इस बार जो पीछे छूट गया है वो है शब्दों की मर्यादा और हमारा अदब. इसलिए जब विपक्ष द्वारा सदन की कार्रवाई में उर्दू को शामिल करने की बात की गई तो इस सदन में असंसदीय और अशोभनीय भाषा का प्रयोग किया गया. मैं नेता सदन से पूछती हूं कि क्या उर्दू निर्यात की हुई भाषा है या क्या जब मुगल घोड़े भारत आए तो उर्दू को पीछे बिठाकर लाए थे. कुंभ न सरकार का आयोजन है न भारतीय जनता पार्टी का आयोजन है. बल्कि ये कुंभ भारत की सांस्कृतिक विरासत है. भारतीय समाज के विभिन्न अध्यात्मिक विचारों का आयोजन है. यूपी सदैव इस आयोजन में आने वाले श्रद्धालुओं की मेजबानी करता रहा है.

बता दें कि पल्ल्वी पटेल भाजपा सरकार पर लगातार हमलावर रहती हैं। ऐसे में इस बबार भी उन्होंने भाषा विवाद के साथ-साथ महाकुंभ में श्रद्धालुओं को हो रही असुविधा को लेकर भी सवाल उठाते हुए योगी सरकार को जमकर घेरा। उन्होंने कहा कि सरकार को स्वीकार करना होगा कि वो श्रद्धालुओं को सुविधाएं नहीं दे सके. वहां आने वाली संख्या को अपनी उपलब्धि न बताएं बल्कि वहां आई संख्या वो समाज की धार्मिक चेतना है, उसका श्रेय लेने के बजाय जो अव्यवस्था हुई उसे स्वीकार करिए. महाकुंभ में आमजन की भावनाओं के साथ जो खिलवाड़ हुआ वो निंदनीय नहीं बल्कि एक पाप हैं वो ऐसा पाप है जिसे मां गंगा भी नहीं धो पाएंगी.

वहीं भाषा विवाद की बात की जाए तो न केवल पल्ल्वी पटेल ने बल्कि सपा मुखिया अखिलेश यादव ने भी सीएम योगी और भाजपा सरकार को जमकर घेरा। उन्हने मौलवी और कठमुल्ला वाले बयान पर पलटवार भी किया। सपा मुखिया ने सीएम योगी की भाषा पर सवाल उठाते हुए कहा कि जो जुबान पर लगाम नहीं लगा सकते. उन्हें तो खुद ही स्कूल जाने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि यूपी विधानसभा में भी असंसदीय भाषा का इस्तेमाल न हो इसकी क्लास होनी चाहिए. साथ ही उन्होंने नसीहत देते हुए यह भी कहा था कि जो जुबान पर लगाम नहीं लगा सकते, उन्हें तो अभी खुद ही स्कूल जाने की जरूरत है. उप्र विधानसभा में असंसदीय शब्दों को इस्तेमाल न करने के लिए भी एक क्लास होनी चाहिए. उस स्पेशल क्लास के लिए एक विद्यार्थी तो मिल ही गया है बाक़ी भाजपाइयों से ये क्लास अपने आप भर जाएगी.

अखिलेश यादव ने तो सीएम योगी के इस बयान को न सिर्फ गलत बताया बल्कि इसे उनका दोहरा चरित्र भी बता दिया और कहा कि ये लोग अपने बच्चों को तो अंग्रेजी मीडियम स्कूल में पढ़ाते हैं और दूसरों के बच्चों को उर्दू पढ़ाने को कहते हैं और उन्हें मौलवी या कठमुल्ला बनाने के लिए मजबूर करते हैं. गौरतलब है कि आज प्रदेश में भाजपा और सीएम योगी जिस तरह का माहौल बना रहे हैं इससे एक बात तो तय है कि भाजपा को आगामी चुनाव में भारी नुक्सान हो सकता है। क्योंकि एक तरफ विपक्ष मौके की तलाश में थी कि भाजपा कोई गलती करे और विपक्ष को मौका मिले अब आखिरकार खुद सीएम योगी ने ही ऐसा बयान दे दिया है जिससे भाजपा के लिए आगामी चुनाव की राहें आसान नहीं होने वाली हैं। खैर 2027 के चुनाव के लिए जिस तरह से राजनीतिक दलों ने अभी से ही तैयारियां शुरू कर दी हैं ऐसे में यह अनुमान लगाया जा रहा है कि इंडिया और NDA के बीच कांटे की टक्कर देखने को मिलेगी। और जिस तरह से भाषा को लेकर सीएम योगी ने बयान दिया है ऐसे में विपक्ष को सत्ताधारी दल को घेरने का घर बैठे मौका मिल गया है।

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