अब सोशल मीडिया को चुप कराने में जुटी सरकार; ट्विटर की कानूनी सुरक्षा खत्म

  • गाजियाबाद में ट्विटर के खिलाफ धार्मिक भावनाएं आहत करने के मामले में एफआईआर दर्ज
  • विपक्ष ने कहा, आलोचना से घबराकर अभिव्यक्ति की आजादी का गला घोंट रही सरकार
  • उत्तर प्रदेश में सरकार को आईना दिखाने वाले कई पत्रकारों पर भी दर्ज की जा चुकी है एफआईआर
  • आईटी मंत्री रविशंकर ने कहा नियमों के पालन में फेल रहा ट्विटर, कानूनी सुरक्षा पाने का नहीं है हकदार

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क. नई दिल्ली। अपनी आलोचनाओं से बौखलायी सरकार ने पत्रकारों के बाद अब सोशल मीडिया को निशाने पर ले लिया है। यूपी के गाजियाबाद में ट्विटर के खिलाफ एक वीडियो को लेकर पहली एफआईआर दर्ज की गई है। विपक्ष ने इस मामले में सरकार पर निशाना साधते हुए कहा है कि आलोचना से घबराकर सरकार अब विचार अभिव्यक्ति का गला घोंटने में जुट गयी है। वहीं सरकार का कहना है कि यह कार्रवाई नये नियमों के तहत की गई है। इसके पहले उत्तर प्रदेश में सही खबरें दिखाने पर कई पत्रकारों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जा चुकी है। केंद्र सरकार ने अब नए नियमों के तहत सोशल मीडिया पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। केंद्रीय सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने इस मामले पर सरकार का रुख साफ करते हुए कहा कि इस बात को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं कि क्या ट्विटर भारत में कानूनी सुरक्षा पाने का हकदार है? इस मामले का साधारण तथ्य यह है कि ट्विटर 26 मई से लागू हुए नए आईटी कानूनों का पालन करने में नाकाम रहा है। ट्विटर को सरकार की तरफ से कई मौके दिए गए थे, लेकिन ट्विटर हर बार नियमों की अनदेखी करता रहा। उन्होंने कहा कि भारत की संस्कृति अपने बड़े भौगोलिक स्थिति की तरह बदलती रहती है। सोशल मीडिया में एक छोटी सी चिंगारी भी बड़ी आग का कारण बन सकती है। खासकर फेक न्यूज के खतरे ज्यादा हैं। इस पर कंट्रोल करना और इसे रोकना नए आईटी नियमों में एक महत्वपूर्ण नियम था, जिसका पालन ट्विटर ने नहीं किया। ट्विटर ने देश के कानून की अनिवार्य प्रक्रिया को स्थापित करने से इनकार करके यूजर्स की शिकायतों को दूर करने में भी नाकाम रहा है। ट्विटर तभी फ्लैग करने की नीति चुनता है, जो वह उसके उपयुक्त हो या उसकी पसंद और नापसंद के मुताबिक चीजें हो। ट्विटर अपने फैक्ट्स चेक टीम के बारे में कुछ ज्यादा उत्साही रहा है, लेकिन यूपी में जो हुआ, वह फर्जी खबरों से लड़ने में ट्विटर की मनमानी का उदाहरण था। यूपी जैसे कई मामलों में कार्रवाई करने में ट्विटर नाकाम रहा है, जो गलत सूचना से लड़ने में इसकी नाकामी की ओर भी इशारा करता है। ट्विटर का कानूनी संरक्षण 25 मई से खत्म माना गया है। ट्विटर को ये कानूनी संरक्षण आईटी एक्ट की धारा 79 के तहत मिला था।

क्या है मामला

उत्तर प्रदेश की गाजियाबाद पुलिस ने लोनी इलाके में अब्दुल समद नाम के एक बुजुर्ग के साथ मारपीट और अभद्रता किए जाने का वीडियो वायरल होने के बाद एफआईआर दर्ज की थी। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो में दिख रहा है कि एक बुजुर्ग मुस्लिम को पीटा गया और उसकी दाढ़ी काट दी गई। पुलिस के मुताबिक, पीड़ित बुजुर्ग ने आरोपी को कुछ ताबीज दिए थे, जिनके कोई फायदा नहीं मिलने पर नाराज आरोपी ने पिटाई कर दी। पुलिस ने यह भी बताया कि पीड़ित ने अपनी एफआईआर में जय श्री राम के नारे लगवाने और दाढ़ी काटने की बात दर्ज नहीं कराई है। ट्विटर ने इस वीडियो को मैन्युप्युलेटेड मीडिया का टैग नहीं दिया। पुलिस ने इस मामले में धार्मिक भावनाएं आहत करने की धारा लगाई है। जिन लोगों पर मामला दर्ज किया गया है, उनमें अय्यूब और नकवी पत्रकार हैं। जुबैर फैक्ट चेकिंग वेबसाइट ऑल्ट न्यूज के लेखक हैं। डॉ. शमा मोहम्मद और निजामी कांग्रेस नेता हैं। वहीं, अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष उस्मानी का नाम भी शामिल है। एसएसपी अमित पाठक ने बताया कि जांच में सामने आया है कि सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने के लिए सुनियोजित तरीके से वीडियो वायरल किया गया था। आरोपी एक समुदाय से नहीं, एक से अधिक समुदाय के हैं। इस मामले में प्रवेश, आदिल खान और कल्लू को गिरफ्तार किया गया है जबकि आरिफ, मुशाहिद, पोली समेत चार अन्य की तलाश जारी है।

क्या कहा ट्विटर ने

ट्विटर के प्रवक्ता ने कहा है कि हम प्रक्रिया के हर चरण की प्रगति से सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय को अवगत करा रहे हैं। अंतरिम मुख्य अनुपालन अधिकारी को बरकरार रखा गया है और विवरण जल्द ही सीधे मंत्रालय के साथ साझा किया जाएगा। ट्विटर नए दिशा-निर्देशों का पालन करने के लिए हर संभव प्रयास कर रहा है।

 

विपक्ष ने साधा निशाना

भाजपा सरकार बोलने की आजादी पर पहरा लगाना चाहती है। पत्रकार हों, एक्टिविस्ट हों, आम आदमी हो या सोशल मीडिया, सब पर सरकार इसलिए नियंत्रण चाहती है कि भाजपा का झूठ कोई पकड़ न सके। सरकार ने ट्विटर के कानूनी सुरक्षा खत्म कर दी है। आरोप है कि वह नियमों का पालन नहीं कर रहा है जबकि सच्चाई यह है सरकार सोशल मीडिया को चुप कराना चाहती है।

अम्ब्रीश सिंह पुष्कर, विधायक, सपा

यह सरकार उन सभी संस्थाओं पर नियंत्रण चाहती जो सरकार की बातों से सहमत नहीं है। सरकार मौलिक अधिकारों का हनन कर रही है। ट्विटर के खिलाफ कार्रवाई लोगों की आवाज को दबाना है।

बृजेंद्र त्रिपाठी, प्रवक्ता, कांग्रेस

सोशल मीडिया पर युवा खुलकर अपनी बात रखते हैं। सरकार की नीतियों की आलोचना करते हैं। इससे खफा होकर सरकार नियमों के जरिए इन पर शिकंजा कस रही है। गाजियाबाद मामले में ट्विटर के खिलाफ कार्रवाई करना सरकार की सोची समझी चाल है।

सतीश श्रीवास्तव, प्रदेश महासचिव, पूर्वांचल विंग, आप

ट्विटर का लीगल प्रोटेक्शन हटना गंभीर मसला है। नियमों के नाम पर सरकार लोगों के सामने सच्चाई लाने से रोकना चाहती है। सोशल मीडिया को इस तरह चुप कराना अभिव्यक्ति की आजादी का गला घोंटने की तरह है।

अनुपम मिश्र, राष्टï्रीय प्रवक्ता, आरएलडी

क्या कहना है पत्रकारों का

गाजियाबाद की घटना में यूपी पुलिस द्वारा पत्रकार राणा अय्यूब, सबा नकवी, द वायर, ट्विटर और अन्य व्यक्तियों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। यह एफआईआर लखनऊ में आयोजित एक उच्च स्तरीय बैठक के बाद दर्ज की गई।

दीपक शर्मा, वरिष्ठ पत्रकार

यह एक ऐसी सरकार है जो सोचती है कि सत्ता में आने का मतलब लोगों को अपने सामने झुकाना है। चाहे वह आम छात्र हों, पत्रकार हों, एक्टिविस्ट हों या कोई सोशल मीडिया फर्म। आप पर विभिन्न तरीकों से दबाव डाला जाएगा, सरकार आपको बदनाम करने का अभियान तक चलाएगी। यदि तब भी नही झुके तो आपको जेल भेजने का प्रयास किया जाएगा।

रोहिणी सिंह, वरिष्ठ पत्रकार

आज के घटनाक्रम से हमें क्या शिक्षा मिलती है? अब आगे से जो भी ट्वीट करो, सोच-समझ कर करो। नहीं तो खुद तो नपोगे ही, साथ में ट्विटर भी नप जाएगा।

अखिलेश शर्मा, वरिष्ठ पत्रकार, एनडीटीवी

केवल दबाव डालने की रणनीति के तहत ही पत्रकारों, विपक्षी नेताओं और अन्य लोगों पर केस किया गया है। पुलिस द्वारा नकारने के बावजूद दिल्ली के रिंकू शर्मा केस में जबरन धार्मिक एंगल होने की बात करना, पश्चिम बंगाल हिंसा के नाम पर फर्जी वीडियो शेयर करना..क्या यह सब सांप्रदायिक उन्माद भड़काने की कोशिश नहीं थी, लेकिन एक्शन नहीं हुआ क्योंकि यह सब सत्ता पक्ष के लोगों के द्वारा किया गया था।

साक्षी जोशी, वरिष्ठ पत्रकार

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