कोरोना काल में दर्ज तीन लाख से अधिक मुकदमे होंगे वापस

सांसदों, विधायकों व विधान परिषद सदस्यों को राहत नहीं

कोरोना प्रोटोकॉल और लॉकडाउन के उल्लंघन पर दर्ज किए गए थे केस

हाईकोर्ट के निर्देश के बाद ही माननीयों के मामलों पर होगा विचार

न्याय विभाग ने जारी किया आदेश, कानून मंत्री बृजेश पाठक ने दी जानकारी

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क

लखनऊ। प्रदेश सरकार ने कोरोना प्रोटोकॉल और लॉकडाउन के उल्लंघन में दर्ज तीन लाख से अधिक मुकदमों को वापस लेने का आदेश दिया है। मंगलवार को न्याय विभाग की तरफ से इस संबंध में आदेश जारी कर दिया गया है। हालांकि वर्तमान या पूर्व सांसद, विधायक, विधान परिषद सदस्य इस दायरे से बाहर रखे गए हैं। इनके मामले में हाईकोर्ट की अनुमति से ही अलग से विचार किया जाएगा।

विधि एवं न्याय मंत्री बृजेश पाठक ने बताया कि योगी सरकार के इस निर्णय से आम नागरिकों को अनावश्यक अदालती कार्रवाई से राहत मिलेगी। उन्होंने बताया कि कोरोना प्रोटोकॉल और लॉकडाउन के उल्लंघन में दर्ज मुकदमे वापस लेने के लिए सभी जिला मजिस्ट्रेट से लिखित रूप से कहा गया है। अब अदालत में दर्ज हो चुके ऐसे मुकदमे वापस लेने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। इस दिशा में विस्तृत दिशा निर्देश जारी कर दिए। आदेश में कहा गया है कि आपदा प्रबंधन अधिनियम 2005, महामारी अधिनियम 1897 व आईपीसी की धारा 188 आदि में प्रदेश भर में तीन लाख से अधिक दर्ज मुकदमे, जिनमें आरोप पत्र दाखिल हो चुका है, वापस लेने की कार्यवाही शुरू की जाए।

दो साल की सजा का है प्रावधान

सरकार को यह कार्यवाही तीन महीने में पूरी कर अमल रिपोर्ट इलाहाबाद उच्च न्यायालय को देनी है अगर इस तरह के मुकदमे वापस नहीं लिए जाएंगे तो संबंधित व्यक्ति को अदालत को अधिकतम दो साल की सजा देने व साथ ही जुर्माना लगाने का प्रावधान है।

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