जानें कब है गुरु पूर्णिमा, क्या है महत्व, इस बार बन रहे हैं शुभ योग
लखनऊ। गुरु पूर्णिमा का पर्व 24 जुलाई को है। इस दिन आषाढ़ माह का अंतिम शनिवार होता है। इस दिन शनि देव की पूजा के लिए विशेष योग बन रहा है। पंचांग के अनुसार 24 जुलाई शनिवार को आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि है। हिंदू धर्म में इस दिन को विशेष महत्व दिया गया है। इस दिन शनि देव को शांत करने का महत्वपूर्ण योग है।
गुरु पूर्णिमा का पर्व गुरुओं को समर्पित है। इस दिन गुरुओं की विशेष पूजा की जाती है। सभी धर्मों में गुरु को विशेष दर्जा दिया गया है। गुरु के बिना ज्ञान की प्राप्ति नहीं होती। ज्ञान से ही जीवन को सरल और सुंदर बनाया जा सकता है।
आषाढ़ का महीना शनिवार को समाप्त हो रहा है। श्रावण यानी सावन माह 25 जुलाई से शुरू होने जा रहा है। सावन का महीना भगवान शिव को समर्पित है। सावन के सोमवार में भगवान शिव की पूजा और अभिषेक करने से विशेष लाभ प्राप्त होता है। सावन में भगवान शिव की पूजा करने से सभी प्रकार की मनोकामनाएं भी पूरी होती हैं।
ज्योतिष शास्त्र में शनि देव को जज माना जाता है। शनि व्यक्ति को अच्छे-बुरे कर्मों के आधार पर परिणाम देते है। शनि देव कड़ी मेहनत के बाद ही फल देते हैं। शनि देव सफलता देने से पहले व्यक्ति को संघर्ष कराते हैं। वह संघर्ष के दौरान जीवन का सच भी जानता है और वह सही-गलत का फर्क जानता है। शनि देव के अशुभ होने पर शनि देव को शांत करना जरूरी हो जाता है शनिवार को पूजा और दान करने से शनि देव प्रसन्न होते हैं।
धनु, मकर और कुंभ राशि में शनि की साढ़े साती चल रहा है। साढ़े साती के दौरान व्यक्ति को स्वास्थ्य, धन और व्यवसाय आदि से जुड़े मामलों में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
शनि की ढैय्या मिथुन और तुला राशि पर चल रही है। शनि की चाल बहुत धीमी मानी जाती है। शनि को एक राशि से दूसरी राशि में जाने में करीब ढाई साल का समय लगता है। इस दौरान व्यक्ति विवाहित जीवन, प्रेम संबंध और करियर आदि में परेशानियां पैदा करता है।
वर्तमान में मकर राशि में शनि प्रतिगामी चरण में गोचर कर रहा है। 11 अक्टूबर को शनि गोचर होगा। जब शनि प्रतिगामी यानी रिवर्स में चलता है तो वह पीडि़त हो जाता है। माना जाता है कि प्रतिगामी चलने में शनि को काफी परेशानी होती है।
आषाढ़ माह के अंतिम शनिवार को शनि देव की पूजा का विशेष योग है। इस दिन शनि मंदिर में शनि देव की पूजा करनी चाहिए। इसके साथ ही शनि चालीसा और शनि मंत्र का जप करना चाहिए। इसके साथ ही इन चीजों का दान करना चाहिए-
सरसों का तेल
काले तिल
काला छाता
काली उड़द की दाल