क्या है फोन हैकिंग विवाद जो बन गया है सरकार के गले की फांस

नई दिल्ली। कोरोना संकट, महंगाई और अन्य तमाम बड़े मुद्दों के बीच संसद के मानसून सत्र में जिस मुद्दे पर सबसे ज्यादा हंगामा होने की उम्मीद है, वह है फोन हैकिंग का मामला। पिछले दिनों अंतरराष्ट्रीय मीडिया द्वारा जारी एक रिपोर्ट में दावा किया गया था कि भारत में कई पत्रकारों, राजनेताओं और अन्य सार्वजनिक जीवन के लोगों के फोन पेगासस स्पायवेयर ने हैक कर लिए थे।
दावा किया जा रहा है कि ऐसा सरकार ने किया था, लेकिन केंद्र सरकार ने इन आरोपों से इनकार किया है। अब यह पूरा मामला क्या है, किस पक्ष ने क्या कहा है, एक बार पूरी बात समझ लीजिए।
रविवार रात को एक रिपोर्ट सामने आई, जिसमें दावा किया गया था कि इजरायली सॉफ्टवेयर पेगासस की मदद से भारत के करीब 300 लोगों के फोन हैक किए गए थे। इनमें पत्रकार, मंत्री, राजनेता, व्यापारी और सार्वजनिक जीवन से जुड़े अन्य लोग शामिल हैं। इस रिपोर्ट को वाशिंगटन पोस्ट समेत दुनिया की करीब 16 मीडिया कंपनियों ने प्रकाशित किया है।
रिपोर्ट की पहली कड़ी में भारत के करीब 40 पत्रकारों के नाम शामिल किए गए हैं। दावा किया जा रहा है कि 2018 से 2019 के बीच अलग-अलग मौकों पर इन सभी पत्रकारों के फोन हैक किए गए या फिर हैक करने की कोशिश की गई। इस दौरान वाट्सएप कॉल, फोन कॉल, रिकार्डिंग, लोकेशन सहित कई अन्य जानकारी ली गई।
खुलासा करने वाली कंपनियों के मुताबिक इस रिपोर्ट के अलग-अलग एपिसोड पेश किए जाएंगे। जिसकी शुरुआत रविवार रात से हुई है। अन्य संवैधानिक पदों पर आसीन नेताओं, मंत्रियों और लोगों के नाम आने वाले एपिसोड में हो सकते हैं।
यह रिपोर्ट भारतीय समयानुसार रात करीब साढ़े नौ बजे सामने आई। इसके तुरंत बाद केंद्र सरकार ने इस मुद्दे पर जवाब दिया। भारत सरकार ने फोन हैकिंग के आरोपों और उससे जुड़ी रिपोर्ट को खारिज कर दिया, साथ ही इस रिपोर्ट को भारतीय लोकतंत्र की छवि धूमिल करने का प्रयास कहा गया।
भारत सरकार ने अपने बयान में कहा भारत जैसे लोकतंत्र में निजता मौलिक अधिकार है। ऐसी स्थिति में जो रिपोर्ट सामने आई है वह पूरी तरह से गलत है, जो रिपोर्ट तैयार की गई उसके अनुसार जांचकर्ता-जूरी सब वो खुद ही है। सरकार ने संसद में यह भी स्पष्ट किया है कि भारत सरकार ऐसी किसी गतिविधि में शामिल नहीं है।
पेगासस स्पाइवेयर एक ऐसा सॉफ्टवेयर है जो व्हाट्सएप जैसे एप्स सहित फोन में अन्य एप्स को हैक कर सकता है। यह सॉफ्टवेयर इजरायली कंपनी एनएसओ ग्रुप द्वारा विकसित किया गया है। इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद एनएसओ ने अपना स्पष्टीकरण दिया है। कंपनी के मुताबिक मीडिया रिपोर्ट्स में लगाए गए आरोप और जिन मुद्दों पर बात की गई है, वे पूरी तरह से गलत हैं।
एनएसओ ने कहा कि वह इस रिपोर्ट को प्रकाशित करने वालों के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर करने की तैयारी कर रहा है। क्योंकि जिन सूत्रों के आधार पर यह रिपोर्ट प्रकाशित की गई है, उससे लगता है कि उन्होंने पूरी तरह से मनगढ़ंत जानकारी दी है। कंपनी का कहना है कि वह सिर्फ चिह्नित देशों की कानूनी एजेंसियों को ही यह सुविधा देती है, जिसका मकसद किसी की जान बचाना है।
रविवार रात को हुए खुलासे के बाद से विपक्ष इस मुद्दे पर उग्र हो चुका है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर इस मुद्दे पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने निशाना साधा है। जबकि राजद, टीएमसी समेत अन्य दलों ने इस मुद्दे पर संसद में नोटिस दिया है। संसद के मानसून सत्र से ठीक पहले किए गए इस रहस्योद्घाटन की गूंज संसद के दोनों सदनों में हो सकती है।

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