मंदिर तोड़ जाने के मामले में कांग्रेस और जेडीएस ने भाजपा को घेरा, बैकफुट आई बीजेपी
नई दिल्ली। कर्नाटक में मंदिर तोड़े जाने के मुद्दे पर अब सियासत गरमा गई है। प्रदेश की बीजेपी सरकार अब विपक्षी कांग्रेस और जेडीएस के निशाने पर आ गई है। दरअसल, सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत मैसूर के नंजनगुड स्थित एक मंदिर पर कार्रवाई की गई. जिस पर विपक्ष ने बीजेपी पर हिंदुओं की भावनाओं को ठेस पहुंचाने का आरोप लगाया है। मंदिर को नुकसान पहुंचाने के मुद्दे पर बीजेपी बुरी तरह घिरी हुई है. चूंकि इस समय विधानसभा की कार्यवाही भी चल रही है, इसलिए विपक्ष ने इस मुद्दे पर भाजपा को घेरने की रणनीति बनाई है।
आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक आदेश में 2009 के बाद अवैध रूप से बने हर धार्मिक स्थल को गिराने का आदेश दिया था, राज्य के मुख्य सचिव पी रविकुमार ने 1 जुलाई 2021 को कर्नाटक के सभी जिलों के डीएम को पत्र लिखा था। इस पत्र में कहा गया था कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन करते हुए जिला प्रशासन और नगर निगमों को हर हफ्ते कम से कम एक अवैध निर्माण को तोडऩा होगा. इस पत्र में यह भी बताया गया कि कर्नाटक में सार्वजनिक स्थलों पर बने ऐसे अवैध धार्मिक स्थलों की कुल संख्या 6395 है। वर्ष 2009 तक यह संख्या 5688 थी और पिछले 12 वर्षों में लगभग 2887 धार्मिक स्थलों को या तो हटा दिया गया या स्थानांतरित कर दिया गया।
कर्नाटक के दक्षिण कन्नड़ जिले में 1579 में सबसे अधिक अवैध धार्मिक संरचनाएं हैं, जबकि शिवमोग्गा में 740, बेलगावी 612, कोलार 397, बगलकोट 352, धारवाड़ 324, मैसूरु 315 और कोप्पल में 306 ऐसी अवैध धार्मिक संरचनाएं हैं।
नंजनगोडु में 8 सितंबर को जिस महादेवम्मा मंदिर पर बुलडोजर चला था, उसके बारे में प्रशासन का कहना है कि मंदिर की यह संरचना 12 साल से ज्यादा पुरानी नहीं है, जबकि स्थानीय लोगों का आरोप है कि यह गांव के देवता का मंदिर है। यह आसपास के 5-6 गांवों के लोगों के लिए आस्था का केंद्र था, स्थानीय लोगों के अनुसार यह मंदिर 80 साल पुराना है, कुछ साल पहले इसका जीर्णोद्धार किया गया था, यह मंदिर अवैध निर्माण संरचनाओं की सूची में था, इस विषय में ग्रामीणों ने सोचा भी नहीं था। ग्रामीणों का आरोप है कि सुबह प्रशासन ने बिना पूर्व सूचना के मंदिर पर बुलडोजर चला दिया।
इस पूरे मामले के सामने आने के बाद अब बीजेपी बैकफुट पर है। विपक्ष उन पर हिंदुओं की भावनाओं को ठेस पहुंचाने का आरोप लगा रहा है।
मामले को गर्म होते देख अब सरकार ने भी अपने कदम पीछे खींच लिए हैं। यहां तक कि विश्व हिंदू परिषद से लेकर मैसूरु के भाजपा सांसद प्रताप सिम्हा भी विरोध में उतर आए। आनन-फानन में बीजेपी की बोम्मई सरकार ने संयम बरतने की मांग की है।