अगर डूबा बैंक तो इतने दिनों में मिलेगा पैसा वापस
नई दिल्ली। बुधवार को केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में कई बड़े विषयों पर फैसला लिया गया। इस दौरान कैबिनेट ने डीआईसीजीसी एक्ट (डीआईसीजीसी बिल 2021) में बदलाव को मंजूरी दी। इतना ही नहीं पंजाब एंड महाराष्ट्र कोऑपरेटिव बैंक, यस बैंक, लक्ष्मी विलास बैंक जैसे बैंकों के परेशान ग्राहकों के पक्ष में सरकार ने बड़ा फैसला लिया। सरकार ने इस संबंध में विधेयक को संसद में रखने की बात कही है, जिसके तहत बैंक डूबने की स्थिति में ग्राहक अपने 5 लाख रुपये 90 दिनों के भीतर बीमा के तहत प्राप्त कर सकेंगे। कैबिनेट मंत्री अनुराग ठाकुर ने कैबिनेट को जानकारी देते हुए कहा कि डिपॉजिट इंश्योरेंस क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन का गठन किया गया था, जब आरबीआई ने बैंक मोराटोरियम लागू किया, उसके बाद लोगों को मुश्किलों का सामना करना पड़ा। आज की कैबिनेट बैठक में यह तय किया गया है कि बैंक डूबने की स्थिति में जमाकर्ताओं को 90 दिनों के भीतर उनके 5 लाख रुपये मिलेंगे।
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कैबिनेट बैठक में लिए गए फैसलों की जानकारी देते हुए कहा कि पीएम मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन एक्ट में संशोधन को मंजूरी दी गई है। । उन्होंने बताया कि इससे जुड़ा विधेयक मौजूदा मानसून सत्र में पेश किया जाएगा। वित्त मंत्री ने कहा कि अधिनियम में इस संशोधन से खाताधारकों और निवेशकों को राहत मिलेगी, जिसके तहत उन्हें वित्तीय सुरक्षा मिल सकेगी। उन्होंने आगे कहा कि बिल मंजूर होने के बाद किसी भी बैंक के डूबने की स्थिति में ग्राहक 90 दिनों के भीतर अपना पैसा वापस कर सकेंगे। सीतारमण ने कहा कि व्यावसायिक रूप से संचालित सभी बैंक इस कानून के दायरे में आएंगे।
आपको बता दें कि डीआईसीजीसी आरबीआई की एक सहायक कंपनी है, जो बैंक जमा पर बीमा कवर प्रदान करती है। क्योंकि अब तक लागू नियमों के मुताबिक रिजर्व बैंक की कई प्रक्रियाएं पूरी नहीं होने तक जमाकर्ताओं को पांच लाख का बीमा नहीं मिलेगा। यही कारण है कि ऐसे खाताधारकों को लंबे समय तक पैसे का इंतजार करना पड़ता है, लेकिन एक्ट में बदलाव के बाद उन्हें बड़ी राहत मिलेगी। दरअसल, डीआईसीजीसी ही यह सुनिश्चित करती है कि बैंक डूबने की स्थिति में जमाकर्ताओं को कम से कम पांच लाख रुपये लौटाए जाएं। हालांकि पहले यह रकम सिर्फ एक लाख रुपये थी। जिसे मोदी सरकार ने बढ़ाकर पांच लाख कर दिया था।