ये महीना खास होगा यूपी की सियासत के लिए, राजनीतिक दलों पर गहराएगा चुनावी रंग

नई दिल्ली। यूपी विधानसभा चुनाव में अब 5 महीने से भी कम का समय बचा है और यूपी के तमाम राजनीतिक दलों ने चुनावी जंग में जीत हासिल करने के लिए कमर कस ली है। पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के निधन से भाजपा ने भले ही एक सप्ताह के लिए अपने सभी कार्यक्रमों पर विराम लगा दिया हो, लेकिन सच्चाई यह भी है कि कल्याण सिंह के अंतिम संस्कार से लेकर तेरहवीं तक सभी कार्यक्रमों को भव्य बनाकर भाजपा ने पिछड़ी जातियों को अपने पाले में करने में कोई कसर नहीं छोडऩा चाह रही है। ब्राह्मणों को रिझाने के लिए 5 सितंबर से सभी विधानसभा क्षेत्रों में प्रबुद्ध जनसभाओं का आयोजन किया जाएगा. बूथ विजय अभियान के तहत बूथ सम्मेलन होंगे, सभी जिलों में संभाग अध्यक्षों, सेक्टर प्रभारियों के सम्मेलन भी आयोजित किए जाएंगे. इसके अलावा ग्राम चौपाल, किसान चौपाल का भी आयोजन होगा, संभावना है कि सितंबर से ही यूपी में प्रधानमंत्री, गृह मंत्री अमित शाह और पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा के दौरे होते रहेंगे।
वहीं समाजवादी पार्टी ने भी अपने सभी नेताओं को सक्रिय कर दिया है, प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल किसान यात्रा निकाल रहे हैं। पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव और दलित नेता इंद्रजीत पूरे राज्य में जनादेश यात्रा निकाल रहे हैं, समाजवादी पार्टी बूथ स्तर पर भी एक बड़े अभियान की तैयारी कर रही है और अखिलेश यादव का चुनावी रथ अपने यार्ड से बाहर आने के लिए तैयार है। यूपी की राजनीति में हाशिए पर रही कांग्रेस भी प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू के नेतृत्व में कमर कस रही है। कार्यकर्ताओं के प्रशिक्षण शिविर लगातार चल रहे हैं, कांग्रेस का दावा है कि सितंबर के महीने में वह दो करोड़ लोगों से सीधे संवाद करेगी।
बसपा भी एक दशक बाद यूपी में सत्ता में लौटने के लिए दिन-रात मेहनत कर रही है, पार्टी महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा राज्य भर में ब्राह्मणों को जोडऩे के अभियान में लगे हुए हैं, पार्टी अध्यक्ष मायावती खुद आम लोगों तक पहुंचने के लिए कोशिश कर रही हैं। कुल मिलाकर सभी दलों ने अपने कार्यकर्ताओं को सक्रिय कर दिया है, नेताओं को मिशन में लगा दिया गया है और इस बात की पूरी संभावना है कि सितंबर महीने से सभी दल पूरी तरह चुनावी मोड में आने वाले हैं. क्या तैयार हैं।

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