वो कौन सा विधेयक है जिसके लिए विपक्ष ने भी दिया समर्थन

नई दिल्ली। लोकसभा और राज्यसभा के बीच गतिरोध बना हुआ है। पेगासस, कृषि कानून समेत अन्य मुद्दों पर विपक्ष के हंगामे के कारण आज भी दोनों सदनों की कार्यवाही सुचारू रूप से नहीं चल पाई।
हालांकि हंगामे के बीच सदन सरकार ने राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण माने जाने वाले अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) से संबंधित संविधान (127वां संशोधन) विधेयक, 2021 लोकसभा में पेश किया। इस बिल का पूरे विपक्ष ने स्वागत किया है। यह विधेयक राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों को सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों की अपनी राज्य सूची / केंद्र शासित प्रदेश सूची तैयार करने का अधिकार देता है।
सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री डॉ. वीरेंद्र कुमार ने निचले सदन में अन्य पिछड़ा वर्ग से संबंधित संविधान (127वां संशोधन) विधेयक, 2021 पेश किया। इस दौरान लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि आज सभी विपक्षी दलों की बैठक हुई और निर्णय लिया गया कि उक्त विधेयक पर सदन में चर्चा होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि हम अन्य पिछड़ा वर्ग के कल्याण से संबंधित इस विधेयक को पारित करना चाहते हैं। हम विपक्ष की जिम्मेदारी समझते हैं। सभी विपक्षी दलों ने फैसला किया कि इस पर चर्चा की जानी चाहिए और इसे पारित किया जाना चाहिए। देश का पिछड़ा वर्ग इस बिल से चिंतित है।
चौधरी ने कहा कि इससे पहले जब 102वां संविधान संशोधन लाया गया था तो हमने कहा था कि राज्यों के अधिकारों का हनन नहीं होना चाहिए. लेकिन बहुमत की ताकत से सरकार हमारी नहीं सुनती।
उन्होंने कहा, लेकिन आज जब भारत की आम जनता, अन्य पिछड़ा वर्ग के लोगों ने आंदोलन किया तो उनके डर से सरकार को यह विधेयक लाना पड़ा। इस दौरान कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी सदन में मौजूद रहीं।
मंत्री वीरेंद्र कुमार ने कहा कि विभिन्न मुद्दों पर विपक्ष का विरोध राजनीतिक है। विधेयक को लेकर उन्होंने कहा कि विपक्षी दलों के शासन वाले राज्यों के मुख्यमंत्री भी इसे लाने की लगातार मांग कर रहे हैं।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने 5 मई के बहुमत के फैसले की समीक्षा के लिए केंद्र की याचिका को खारिज कर दिया था, जिसमें कहा गया था कि 102 वां संवैधानिक संशोधन सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े (एसईबीसी) को नौकरियों और प्रवेश में आरक्षण प्रदान करता है। राज्य का अधिकार छीन लेता है।
विधेयक के उद्देश्य और कारण बताते हैं कि संविधान 102वें अधिनियम, 2018 को पारित करने के समय विधायी मंशा यह थी कि यह सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों की केंद्रीय सूची से संबंधित है। यह इस तथ्य को स्वीकार करता है कि 1993 में सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों की अपनी केंद्रीय सूची की घोषणा से पहले ही कई राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की अपनी राज्य सूची / अन्य पिछड़ा वर्ग की सूची है।
इसमें कहा गया है, कि यह विधेयक पर्याप्त रूप से स्पष्ट करने का प्रयास करता है कि राज्य सरकार और केंद्र शासित प्रदेश को सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों की अपनी राज्य सूची / केंद्र शासित प्रदेश सूची तैयार करने और बनाए रखने का अधिकार होगा।
विधेयक के उद्देश्यों में कहा गया है कि देश के संघीय ढांचे को बनाए रखने की दृष्टि से संविधान के अनुच्छेद 342ए और अनुच्छेद 338बी और अनुच्छेद 366 में संशोधन करने की आवश्यकता है। यह विधेयक उपरोक्त उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए है।
आज संसद की कार्यवाही शुरू होने से पहले कांग्रेस समेत 15 प्रमुख विपक्षी दलों ने बैठक की। इस बैठक में निर्णय लिया गया कि वह अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) से संबंधित संशोधन विधेयक पर चर्चा में भाग लेंगे और इसे पारित कराने में पूरा सहयोग देंगे।
बैठक के बाद राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खडग़े ने कहा, अन्य मुद्दों की अपनी जगह है, लेकिन यह मुद्दा देश के हित में है क्योंकि यह आधी से ज्यादा आबादी से जुड़ा है. हम इसका पूरा समर्थन करेंगे।
खडग़े के संसद भवन में हुई बैठक में कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, खडग़े, लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी, पार्टी के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा और लोकसभा में डीएमके के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश, समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता राम गोपाल यादव. टीआर बालू, शिवसेना नेता संजय राउत और कई अन्य दलों के नेता मौजूद रहे।
पेगासस और कुछ अन्य मुद्दों को लेकर पिछले कई दिनों से संसद के दोनों सदनों में गतिरोध बना हुआ है। 19 जुलाई से मानसून सत्र शुरू हो गया है। लेकिन, अब तक दोनों सदनों की कार्यवाही बाधित रही है। सत्र का समापन 13 अगस्त को होना है।

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